'मौला मेरे ले ले मेरी जान', रिजेक्टेड गाना यश चोपड़ा ने 'चक दे इंडिया' के लिए चुना और वो कल्ट बन गया
'चक दे! इंडिया' की रिलीज़ से सात दिन पहले यश चोपड़ा ने फरमान दिया-"शाहरुख जब रोते हुए तिरंगा देखता है, उस सीन में गाना चाहिए ही चाहिए."

तीजा तेरा रंग था मैं तो,
जिया तेरे ढंग से मैं तो,
तू ही मौला तू ही आन
मौला मेरे ले ले मेरी जान...
Shahrukh Khan की फिल्म Chak De! India का ये गाना पलकें नम कर देता है. मगर ये गाना न तो इस फिल्म के लिए बना था, न ही शाहरुख के लिए. ये गाना बना था फिल्म Dor (2006) के लिए. मगर डायरेक्टर Nagesh Kukunoor को ये पसंद नहीं आया. इसलिए ‘डोर’ के एल्बम में इसे जगह नहीं मिली. ‘चक दे! इंडिया’ में ये गाना कैसे फिट हुआ? कैसे Yash Chopra के तजुर्बे ने इस फिल्म को एक ऐतिहासिक गाना दिया? ये पूरा किस्सा Salim-Sulaiman ने सुनाया. बीते दिनों जब वो The Lallantop के ख़ास कार्यक्रम Guest In the Newsroom में आए, तो अपने गानों के पीछे की अनसुनी कहानियां सुनाईं.
‘तीजा तेरा रंग…’ का वो वर्जन भी सुनाया जो ‘डोर’ के लिए बना तो सही, मगर इसे किसी ने नहीं सुना. वो गाना कुछ यूं है...
एक तरफ़ तेरी धड़कन थी,
सांसें हैं तेरी दूजी ओर
मौला मेरे टूटे ना ये डोर...
‘डोर’ में इस गाने के रिजेक्शन और ‘चक दे! इंडिया’ में इसके सिलेक्शन का किस्सा सुनाते हुए सुलेमान ने कहा,
“फिल्म पूरी हो गई थी. सात दिन पहले स्क्रीनिंग रखी गई. यश जी (यश चोपड़ा), हम, लिरिसिस्ट जयदीप साहनी, डायरेक्टर... सबने फिल्म देखी. फिल्म ख़त्म हई और यश जी बोले- ‘मुझे एक गाना चाहिए. जब शाहरुख तिरंगे को देखता है ना, तब मुझे एक गाना चाहिए’.”
सलीम ने पूरा किस्सा सुनाते हुए कहा,
“ये वो सीन है जिसमें टीम अपनी जीत सेलिब्रेट कर रही है. शाहरुख रो रहा है. उसकी आंखों में पानी है. स्टेडियम में जनता भावुक हो रही है. फिर ये सीन जुड़ता है उस सीन से जिसमें शाहरुख अपनी अम्मी को वापस उसी मोहल्ले में ले जा रहा है, जो उन्हें छोड़ना पड़ा था. फिर वो उनके घर की दीवार पर जो ‘गद्दार’ लिखा होता है, एक बच्चा उस लफ्ज़ को काट रहा होता है. यश जी ने कहा कि मुझे यहां पर गाना चाहिए. मैंने कहा, यश जी एक हफ्ते में पिक्चर रिलीज़ है. वो बोले यहां तो गाना चाहिए ही चाहिए.”
यश चोपड़ा के फरमान ने सलीम-सुलेमान को थोड़ी परेशानी में डाल दिया. मगर सलीम के पास एक प्लान था. इस बारे में सलीम ने कहा,
“फिल्म ‘डोर’ के लिए बना गाना ‘एक तरफ़ तेरी धड़कन थी, सांसें हैं तेरी दूजी ओर, मौला मेरे टूटे ना ये डोर…’. नागेश को बिल्कुल पसंद नहीं आया. उसने बोला ये बड़ा सैड गाना है. मुझे जोशीला गाना चाहिए. तब हमने ‘ये हौसला कैसे झुके…' बनाया. अब ‘डोर’ तो रिलीज़ होने वाली थी... तो जिस दिन यश जी ने गाने की डिमांड की, उसी रात स्टूडियो आते समय मैंने प्लान कर लिया था कि वो वाला गाना यहां फिट करना है. जब शाहरुख तिरंगे को देखते हुए रोता है, उस सीन में ये गाना फिट हो जाएगा. मैंने जयदीप को बिना बोल के धुन सुनाई. उसने ताबड़तोड़ गाना लिख डाला, ‘तीजा तेरा रंग था मैं तो, जिया तेरे ढंग से मैं तो, तू ही था मौला तू ही आन, मौला मेरे ले ले मेरी जान...’ उफ़, इस गाने की रूह इसके लफ़्ज़ों में है.”
बहरहाल ‘चक दे इंडिया’ की बात करें, तो ये फिल्म 2007 में रिलीज़ हुई थी. ये इंडियन नेशनल हॉकी टीम के प्लेयर मीर रंजन नेगी की रियल लाइफ स्टोरी से प्रेरित है. फिल्म में शाहरुख ने उन्हीं का किरदार निभाया है. वहीं, 'डोर' साल 2006 में रिलीज़ हुई थी. इसमें आयशा टाकिया और गुल पनाग ने लीड रोल्स किए हैं. सलीम-सुलेमान का पूरा इंटरव्यू आप दी लल्लनटॉप की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं.
वीडियो: गेस्ट इन द न्यूजरूम: 'चक दे' को एंथम बनाने वाले सलीम-सुलेमान ने शाहरुख खान के बारे में सब बताया