'प्रेडेटर: बैडलैंड्स' की कहानी, वो भयानक हॉलीवुड फिल्म जो अंदर तक झिंझोड़ के रख देगी!
साल 1987 में शुरू हुई इस फ्रैन्चाइज़ की सबसे महंगी फिल्म 'प्रेडेटर: बैडलैंड्स' होगी.

साल था 1987. एलन ‘डच’ शेफर एक स्पेशल टास्क फोर्स का लीडर है. एक रोज़ उसे एक असाइनमेंट पर भेजा जाता है. यहां से सिनेमा हिस्ट्री हमेशा के लिए बदलने वाली थी. डच को जंगलों में जाना है. उसे बताया जाता है कि वहां जाकर कुछ लोगों को बचाना है. उनमें से कुछ उसके अपने साथी हैं. लेकिन ये आधा सच है, बिल्कुल अश्वत्थामा की तरह. जंगल में कोई है जो डच की ताक में बैठा है. वो कोई इंसान नहीं जिनसे डच अब तक दो-दो हाथ करता रहा है. इस विपदा से सामना पहली बार होना था. जंगल में एक प्रेडेटर है. एक ऐलियन जीव जो शिकार पर निकला है. अपने समुदाय में वो याउचा (Yautja) कहलाता है. लेकिन अंग्रेज़ी नाम है प्रेडेटर.
प्रेडेटर की लाइफ क्लियर है. ज़्यादा झोल नहीं है. उनको बस शिकार करना होता है. जैसे फिल्मों में पुलिसवाला गुंडा होता है, वैसे ही प्रेडेटर लोग उसूलवाले गुंडे होते हैं. वो प्रवृति से शिकारी भले ही हैं, लेकिन उनके भी नियम हैं. वो अपने शिकार को पूरी इज़्ज़त बख्शते हैं. ये ‘प्रेडेटर’ फिल्म की कहानी थी. जॉन टियरनन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में अर्नोल्ड श्वॉर्जनेगर ने डच का रोल किया था. ये फिल्म खत्म हुई और उसके अंत तक प्रेडेटर का भी खात्मा हो गया. सिनेमाघरों में उतरी. क्रिटिक्स ने ऐवरेज रिव्यूज़ दिए. लेकिन दर्शकों की राय कुछ और थी. उन्हें ये अनोखी साइंस फिक्शन फिल्म बहुत पसंद आई. महज़ 15 मिलियन डॉलर के बजट में बनी इस फिल्म ने करीब 98 मिलियन डॉलर की कमाई की. आज के भारतीय रुपयों में ये आंकड़ा करीब 868 करोड़ होता है.
‘प्रेडेटर’ की तगड़ी कमाई देखकर स्टूडियो वालों के मन में लड्डू फूटा. 1990 में इसका सीक्वल ‘प्रेडेटर 2’ उतारा गया. उस फिल्म ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा परफॉर्म किया. ये एक इशारा था कि ये किरदार लंबी रेस का घोड़ा बनने के लिए तैयार है. बस फिर स्टूडियो ने इसी पर दांव लगाया और ‘प्रेडेटर’ को एक ब्रांड में तब्दील कर दिया. इसके नाम पर कॉमिक्स और वीडियो गेम उतारे. फिल्मों की झड़ी लगा दी. ‘प्रेडेटर’ फिल्मों को क्रिटिक्स भले ही नीची नज़रों से देख रहे थे, लेकिन ऑडियंस को खालिस एंटरटेनमेंट मिल रहा था. उन्हें कोई शिकायत नहीं थी.
‘प्रेडेटर’ फ्रैन्चाइज़ में अब तक छह फिल्में आ चुकी हैं. इसके अलावा इन्होंने ‘ऐलियन’ फिल्म सीरीज़ के किरदारों के साथ भी कोलैबोरेट किया. वहां से ‘ऐलियन वर्सज़ प्रेडेटर’ फिल्मों की ओर एक राह निकली. खैर अब ‘प्रेडेटर’ फ्रैन्चाइज़ की नई फिल्म आ रही है. नाम है ‘प्रेडेटर: बैडलैंड्स’. कट्टर फैन्स के बीच इस फिल्म को लेकर एक्साइटमेंट है. उनका कहना है कि इस फिल्म के ज़रिए फ्रैन्चाइज़ की घर वापसी हो रही है. ये इतनी बड़ी फिल्म क्यों है, और फ्रैन्चाइज़ की सबसे अहम फिल्म कैसे बन सकती है. साथ ही इसका ‘अवतार’ और ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ कनेक्शन क्या है, सब कुछ बताएंगे.
अभी तक के सिनेमा इतिहास में प्रेडेटर विलेन थे. वो शिकार करते और कहानी के हीरो उनसे बचने की कोशिश करते. मगर अब सीन बदलने वाला है. शिकारी खुद शिकार होने वाला है. ‘प्रेडेटर: बैडलैंड्स’ की कहानी भविष्य में घटती है. एक प्रेडेटर को दूसरे ग्रह पर भेजा जाता है. बताया जाता है कि ये उस पूरे यूनिवर्स का सबसे खतरनाक ग्रह है. ये प्रेडेटर अपने बाकी साथियों जैसा नहीं. उसके चेहरे से मास्क गायब है. उसकी वजह है कि उसने आज तक कोई शिकार नहीं किया है. मुमकिन है कि या तो वो अपना पहला शिकार करने के बाद उस मास्क को कमाएगा. या फिर उसे बिरादरी से बाहर कर दिया गया है, और उसके चलते उसका सम्मान यानी उसका मास्क छीन लिया गया.
प्रेडेटर इस नए प्लेनेट को समझने की कोशिश करता है. जूझता है, लड़ता है. इसी दौरान उसकी मुलाकात होती है थिया से. थिया एक एंड्रॉयड है. उसका धड़ से नीचे का शरीर नहीं है. एल फैनिंग (Elle Fanning) ने थिया का रोल किया है. थिया उसे आने वाले खतरे से आगाह करती है. उसका साथ देती है. बताती है कि वो अब तक सबसे भयावह जीव से लड़ने वाला है. ये जीव कौन है, प्रेडेटर और उसके युद्ध में क्या होगा, यही फिल्म की कहानी होगी.
‘प्रेडेटर: बैडलैंड्स’ को डैन ट्रैकटेनबर्ग ने डायरेक्ट किया है. ये भी एक मेजर वजह है कि क्यों इस फ्रैन्चाइज़ के फैन्स इतने उत्साहित हैं. डैन ने इससे पहले ‘प्रेडेटर’ सीरीज़ की फिल्म ‘प्रे’ (Prey) भी बनाई थी. उस फिल्म की सबसे खास बात ये थी कि वो एक ईमानदार प्रेडेटर फिल्म थी. ऐसा नहीं था कि सिर्फ पॉपुलर नाम भुनाने के लिए फिल्म बना दी गई हो. इस फ्रैन्चाइज़ की कई फिल्मों ने ऐसा ही किया. ‘प्रे’ भले ही विचित्र जीवों के बारे में थी, अद्भुत विज्ञान के बारे में थी, लेकिन वो अपनी ज़मीन नहीं भूली. इसी के चलते ये फिल्म एक कमर्शियल और क्रिटिकल सक्सेस बनी.
‘प्रे’ के बाद डैन को इस यूनिवर्स को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी दी गई. वो जानते थे कि अब उनसे उम्मीद बढ़ चुकी है. कुछ भी हल्के में नहीं ले सकते. ‘प्रेडेटर: बैडलैंड्स’ के लिए वो फिर से इन जीवों की दुनिया, उनके ओरिजिन पर लौटे. अब तक की फिल्मों में प्रेडटर अपनी एक खास भाषा का इस्तेमाल करते थे. पहले वाली फिल्मों में उसका कोई सेंस नहीं था. मेकर्स ने कुछ भी जोड़कर डाल दिया. लेकिन डैन ने ये बदला. उन्होंने इस फिल्म से पहले प्रेडेटर्स के लिए एक नई भाषा रची. कुछ ऐसा ही ‘अवतार’ और ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ के मेकर्स भी कर चुके हैं. कॉमिकबुक डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में डैन बताते हैं कि वो उस शख्स के पास गए जिसने ‘अवतार’ फिल्म के लिए ना’वी भाषा रची थी. वो शख्स उस समय बिज़ी था. तो उसने डैन को अपने साथी के पास भेज दिया.
डैन ने बताया कि जिस तरह ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ में एलविश भाषा और ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ में डोथराकी भाषा बनाई गई, उन्होंने भी उसी तरह प्रेडेटर की भाषा को रचा. डैन कहते हैं कि बाकी फिल्मों में जो प्रेडेटर भाषा दिखाई गई थी, वो असल में बस दिखावे की थी, उसका कोई मतलब या नियम नहीं था. इंटरनेट पर लोगों ने उस पर कई थ्योरीज़ बनाईं, लेकिन पहले कभी उसे सोच-समझकर या किसी असली भाषा की तरह नहीं बनाया गया था. ‘प्रेडेटर: बैडलैंड्स’ को बड़े स्केल की फिल्म बनाने में मेकर्स कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसे फ्रैन्चाइज़ की सबसे महंगी फिल्म की तरह माउंट किया जा रहा है. फिल्म को 100 मिलियन डॉलर के बजट पर बनाया जा रहा है. भारतीय रुपये में ये करीब 886 करोड़ रुपये होता है. इतनी बड़ी लागत बॉक्स ऑफिस पर कितना रिटर्न लाती है, इसका जवाब 07 नवंबर 2025 को मिलेगा जब ‘प्रेडेटर: बैडलैंड्स’ दुनियाभर के सिनेमाघरों में उतरेगी.
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