जिस लड़के की कहानी पर 'होमबाउंड' फिल्म बनी, मेकर्स ने उसके परिवार को सिर्फ 10 हज़ार रुपए दिए?
अमृत के पिता ने कहा कि नीरज ने उनके बेटे से जुड़ी सभी जानकारी जुटाई. फिर उन्हें 10 हजार रुपये देकर चले गए और दोबारा कॉन्टैक्ट नहीं किया.
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Neeraj Ghaywan की Homebound ऑस्कर में भारत की तरफ़ से ऑफिशियल एंट्री के लिए चुनी गई है. इसकी कहानी दो रियल लाइफ़ लड़के- अमृत और सैय्यूब की दोस्ती से प्रेरित है. दोनों लॉकडाउन के दिनों में गुजरात से अपने घर लौट रहे थे. इस दौरान उन्हें किन हालातों का सामना करना पड़ा, फिल्म में उसे दिखाया गया है. हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस ने अमृत के पिता राम चरण के हवाले से एक रिपोर्ट छापी. इसमें राम ने बताया कि नीरज ने उनके परिवार को फिल्म से पहले केवल 10 हज़ार रुपये दिए थे. इसके बाद फिल्ममेकर ने उनसे कभी संपर्क नहीं किया. इस पूरे मामले पर अब नीरज घेवान ने अपना पक्ष रखा है.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए नीरज ने बताया कि उन्होंने अमृत के पिता को 10 हज़ार रुपये ज़रूर दिए थे. मगर ये रिसर्च के दिनों में केवल एक छोटी-सी मदद के लिए था. असली भुगतान इससे ज़्यादा का था, जिसे वो अमृत और सैय्यूब से अपने बॉन्ड के कारण रिवील नहीं करेंगे. नीरज बताते हैं,
"आपमें से कुछ लोगों ने ये चिंता जताई है कि जिस परिवार की कहानी से 'होमबाउंड' फिल्म प्रेरित है, उन्हें सिर्फ 10 हज़ार रुपये मिले, जो बहुत ही कम रकम है. मैं ये साफ़ करना चाहता हूं कि ये रुपये मैंने कई साल पहले, अपनी शुरुआती रिसर्च के दौरान, अमृत के पिता राम चरण जी को दिए थे. ये सिर्फ एक छोटी-सी विदाई भेंट थी, कोई पेमेंट नहीं."
नीरज ने अपनी बात को विस्तार से बताते हुए आगे कहा,
"प्लीज़ इसे पूरा मुआवजा समझने की भूल ना करें. ना तो मैं और ना ही प्रोड्यूसर्स इस पर्सनल स्टोरी को इतनी छोटी रकम तक सीमित रखेंगे. इन परिवारों का योगदान मेरे लिए बहुत कीमती और खास है. हमने उनके विश्वास और कहानियों का पूरा सम्मान किया है और उन्हें ज़रूरी मदद भी दी है. वो भी इस बात से खुश हैं. मैं पर्सनली उस अमाउंट का ज़िक्र नहीं करना चाहता. क्योंकि इससे मेरे, अमृत और सैय्यूब, जो 'होमबाउंड' के असली हीरो हैं, उनके रिश्ते की अहमियत कम हो जाएगी."

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में ये बताया गया था कि नीरज, अमृत के पिता राम चरण से मिले तो थे, मगर बाद में उनसे कोई कॉन्टैक्ट नहीं रखा. उनके मुताबिक, नीरज ने अमृत के बारे में जानकारी जुटाई और फिर 10 हज़ार रुपये देकर चले गए. उन्हें तो ये तक नहीं पता था कि इस विषय पर कोई फिल्म भी रिलीज़ हो रही है.
दुबई में बतौर कंस्ट्रक्शन वर्कर काम कर रहे सैय्यूब इस मुद्दे पर अलग राय रखते हैं. उनके मुताबिक, नीरज ने उन्हें भी अप्रोच किया था. उन्होंने कहा कि देश के नकारात्मक माहौल के बीच मुस्लिम और दलित की ये कहानी बेहद ज़रूरी है. ये सुनकर सैय्यूब ने इस विषय पर फिल्म बनाने को लेकर अपनी सहमति दे दी. फिल्म से जुड़ी टीम उनसे लगातार कॉन्टैक्ट में थी. यही नहीं, जब ये मूवी रिलीज़ हुई तो नीरज ने पर्सनली उन्हें इसकी टिकट मेल की. इसके बाद वो अपने दोस्तों के साथ दुबई में इसे देखने भी गए थे.
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