'महाभारत' के कर्ण रहे पंकज धीर के निधन पर मुकेश खन्ना ने कहा-"उसने महाभारत पढ़ी भी नहीं थी"
मुकेश खन्ना ने पंकज धीर को 'कॉन्वेंट पांडव' नाम दे दिया.

BR Chopra की Mahabharata में Karn का किरदार निभाने वाले Pankaj Dheer का निधन हो गया है. ऐसे में Bhishma का किरदार निभाने वाले Mukesh Khanna ने उनसे जुड़े कई किस्से सुनाए. अपने यूट्यूब पर एक वीडियो साझा करते हुए उन्होंने बताया कि पंकज ने 'महाभारत' कभी पढ़ी तक नहीं थी. बावजूद इसके, उन्होंने कर्ण के किरदार को बहुत खूब निभाया है.
अपने वीडियो मैसेज में मुकेश ने स्वीकारा कि पंकज की मौत से उन्हें धक्का लगा है. उन्होंने साल भर पहले के उस पॉडकास्ट को भी याद किया जब उन्होंने पंकज को बतौर गेस्ट अपने पॉडकास्ट में इन्वाइट किया था. पंकज इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे क्योंकि वो 'महाभारत' से जुड़ी पुरानी बातें करना नहीं चाहते थे. बावजूद इसके मुकेश ने उन्हें मना लिया. कुछ महीनों पहले उन्होंने पंकज को फिर एक इंटरव्यू के लिए अप्रोच किया था. मगर तब पंकज इसके लिए तैयार नहीं हुए. और तब जाकर मुकेश को पता लगा कि वो कैंसर से लड़ रहे हैं.
वैसे मुकेश और पंकज का कनेक्शन 'महाभारत' से भी कहीं पहले का है. दरअसल पंकज ने मुकेश की डेब्यू फिल्म 'रूही' (1981) में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर का काम किया था. यहीं से उन दोनों के करियर की शुरुआत हुई थी. मुकेश बताते हैं,
“पंकज धीर ने अपने करियर की शुरुआत मेरी पहली फिल्म रूही में AD के तौर पर की थी. उस समय उन्हें सिर्फ 300 रुपये महीना मिलता था. मुझे याद है कि वो सेट पर बहुत ईमानदारी और जोश से काम करते थे. उनके बोलने का तरीका बहुत अच्छा था. वो बहुत स्टाइल में बोलते थे. मैंने उनके साथ बाद में सौगंध और पांडव जैसी फिल्मों में काम किया. वो मुझे MK कहकर बुलाते थे. उन्हें अच्छा खाना बहुत पसंद था और बहुत अच्छे से बात करते थे. साथ ही, उनका पहनावा भी हमेशा बहुत स्टाइलिश होता था.”

पंकज के पिता CL धीर खुद भी एक फिल्ममेकर थे. बावजूद इसके पंकज को इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए काफ़ी स्ट्रगल करना पड़ा था. उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ झेला था. मुकेश ने बताया कि 'महाभारत' से गुफ़ी पेंटल (शकुनि) और प्रवीण कुमार (भीम) का पहले ही निधन हो चुका है. इसलिए अब पंकज की अचानक मौत ने भी हर किसी को आहत कर दिया है.

मुकेश पंकज को 'कॉन्वेंट पांडव' कहते थे. वो बताते हैं,
"सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि पंकज धीर ने असली महाभारत कभी पढ़ी ही नहीं थी. उन्होंने सिर्फ मृत्युंजय पढ़ी थी, जो कर्ण के नज़रिए से लिखी गई है. इसलिए जब उन्होंने बीआर चोपड़ा की महाभारत में काम किया, तो उन्हें कई सीन ऐसे लगे जो उनकी पढ़ी हुई कहानी में नहीं थे. वो अक्सर कहते थे- 'अरे, ये सीन तो था ही नहीं' या ‘मुझे तो ये सीन नहीं मिला’. मैं मजाक में उन्हें 'कॉन्वेंट पांडव' कहकर बुलाता था. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने असली महाभारत नहीं पढ़ी थी. लेकिन इसके बावजूद, उनका अभिनय कमाल का था."
'महाभारत' में पंकज और मुकेश की कास्टिंग का किस्सा भी अनोखा है. पंकज को पहले अर्जुन का किरदार ऑफर हुआ था. जबकि मुकेश, कर्ण का रोल प्ले करना चाहते थे. मगर फिर चीजें कुछ इस तरह घटीं कि फिरोज़ खान को अर्जुन, पंकज धीर को कर्ण और मुकेश खन्ना को भीष्म पितामह का रोल मिला. मुकेश और पंकज अलग-अलग इंटरव्यूज़ में बता चुके हैं कि शुरुआत में उन्हें ये कास्टिंग मनमुताबिक नहीं लगी थी. मगर समय के साथ ऐसा लगा जैसे वो इन्हीं किरदारों के लिए बने थे.
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