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भूषण कुमार पर रेप के आरोप लगे थे, बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भूषण कुमार के खिलाफ दर्ज की गई बलात्कार की प्राथमिकी को रद्द करने पर बात की है.

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Bhushan Kumar
भूषण कुमार ने साल 2021 में अपने ऊपर हुई एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी.
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मेघना
27 अप्रैल 2023 (Updated: 27 अप्रैल 2023, 01:37 PM IST)
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साल 2017 में टी-सीरीज़ के मालिक भूषण कुमार पर FIR दर्ज करवाई गई थी. उन पर रेप का आरोप लगा था. बाद में शिकायतकर्ता महिला ने अपने आरोपों को वापिस ले लिया और भूषण कुमार ने केस रद्द करने के लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. अब इसी मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपनी अनिच्छा जताई है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भूषण कुमार के खिलाफ दर्ज की गई बलात्कार की प्राथमिकी को रद्द करने पर बात कही है. कहा कि मामले को सिर्फ इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता क्योकिं पीड़िता ने इसके लिए सहमति दे दी है. भूषण कुमार ने साल 2021 जुलाई को कोर्ट में केस रद्द किए जाने की अपील की थी.

जस्टिस ए. एस. गडकरी और पीडी नाइक की बेंच ने कहा, सेक्शन 376 (रेप) का ये मामला बस इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता कि दोनों पार्टीज़ की इस पर सहमति है. हम फिर से FIR देखेंगे, जो स्टेटमेंट रिकॉर्ड किए गए हैं उन्हें देखेंगे, फिर ये तय करेंगे कि ये जघन्य अपराध था या नहीं. कोर्ट ने ये भी कहा कि इन सभी चीज़ों को देखने के बाद ऐसा नहीं लगता कि ये रिश्ता सहमति से बनाया गया है.

भूषण कुमार के वकील ने भी सफाई दी. वकील निरंजन मुंदरगी ने अदालत को बताया कि 2017 की इस घटना के लिए जुलाई 2021 में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई थी. उन्होंने बताया कि पुलिस ने अदालत में बी-समरी रिपोर्ट दायर कर दी थी. बी समरी रिपोर्ट वो होती है, जिसमें ये बताया जाता है कि आरोपी के खिलाफ झूठा मामला दायर किया गया है. या उनपर कोई मामला नहीं बनता.  

बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच ने मैजिस्ट्रेट के ऑर्डर को भी देखा. जिसमें महिला की एफआईआर को रिफ्यूज़ करते हुए उस पर लीगल एक्शन लिया गया है. बताया गया है कि उसने अपने पर्सनल लाभ के लिए कानून का गलत इस्तेमाल किया है. बेंच ने ये भी नोट किया कि मैजिस्ट्रेट ने महिला का बयान नहीं दर्ज किया है. जिसे सेक्शन 164 के तरह दर्ज किया जाना था. इन सभी चीज़ों पर सुनवाई करने के बाद बेंच ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ये रिश्ता सहमति से बनाया गया था.

कोर्ट ने कहा वैसे तो दोनों पक्षों की सहमति के बाद मामले रद्द कर दिए जाते हैं. लेकिन पुलिस ने जो इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट सबमिट की है उसमें भेद लगता है. इसलिए इस मामले को रद्द नहीं किया जा सकता. 

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