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UP Election 2022 Results: जहर खाने की सलाह देने वाले योगी के मंत्री का जनता ने क्या हाल किया?

कपिल देव अग्रवाल की मुज़फ्फरनगर सीट

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सौरभ स्वरुप और कपिल देव अग्रवाल (Source -AajTak)
11 मार्च 2022 (Updated: 11 मार्च 2022, 09:42 IST)
Updated: 11 मार्च 2022 09:42 IST
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योगी सरकार में मंत्री रहे कपिल देव अग्रवाल ने मुज़फ्फरनगर सीट पर दोबारा कब्जा कर लिया है. सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी सौरभ स्वरुप को करारी हार मिली है. कपिल देव ने सौरभ स्वरुप को करीब 18 हजार 694 वोटों से हराया है. जबकि तीसरे नंबर पर रहे BSP के पुष्पांकर दीपक को मात्र 10 हजार 733 वोट मिले हैं. कपिल देव अग्रवाल को 49.57 फ़ीसद वोट मिले हैं जबकि सौरभ को 41.2 फ़ीसद. वहीं पुष्पांकर दीपक इस लड़ाई से कितना दूर रहे इसे उनके वोट परसेंटेज से समझ लीजिए. उन्हें मात्र 4.76 फ़ीसद वोट मिले हैं. सदर सीट मुजफ्फरनगर जिले के जिला मुख्यालय की विधानसभा है. इसमें ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके आते हैं. यहां गन्ने की खेती ज्यादा होती है इसलिए इस इलाके को 'शुगर बाउल' कहा जाता है. मुजफ्फरनगर जिला स्थित एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी इसी विधानसभा के अंर्तगत आती है. इस सीट पर अब तक हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस ने 4-4 बार जीत हासिल की है. समाजवादी पार्टी 2 बार विजयी रही. वहीं भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी, जनता दल ने एक-एक बार चुनाव जीता है. इसके अलावा एक बार निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है. मुजफ्फरनगर में 3 लाख 50 हजार से अधिक मतदाता हैं. इनमें 1 लाख 90 हजार पुरुष और 1 लाख 66 हजार महिला वोटर हैं. सबसे ज्यादा संख्या मुस्लिम मतदाताओं की है. आंकड़ों के मुताबिक मुफ्फरनगर में 1 लाख 31 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. AIMIM को छोड़कर इस बार यहां किसी भी दल ने मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा है. मुस्लिमों के बाद यहां करीब 1 लाख़ वोट पिछड़ी जातियों के हैं. वैश्य समाज के वोटरों की संख्या 48 हजार है, जबकि दलित और ब्राह्मण वोटरों की संख्या क्रमशः 38 हजार और 12 हजार के आसपास है. 10 फरवरी को हुए चुनाव में मुजफ्फरनगर में 65.32 फीसद मतदाताओं ने भाग लिया था. ये 2017 के वोटिंग पर्सेंटेज से करीब 1 फ़ीसद ज्यादा है. प्रत्याशी मुजफ्फरनगर सदर सीट से सिटिंग MLA और योगी सरकार में राज्यमंत्री रहे कपिल देव अग्रवाल पर बीजेपी ने फिर भरोसा जताया था. कपिल देव दंगों के आरोपी हैं. पुलिस के दस्तावेजों के मुताबिक उन पर 2003 और 2017 में दंगा कराने और निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के दो मामले दर्ज किए गए थे. इन मामलों में नवंबर 2021 में कोर्ट ने आरोप भी तय कर दिए थे. इस बार लोकदल की टिकट पर लड़े सौरभ स्वरूप के परिवार का सियासी इतिहास रहा है. उनके पिता चितरंजन स्वरूप इसी सीट से 1974 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. 2002 और 2012 में उन्होंने सपा से चुनाव लड़ा और विधायक बने. 2012 में मंत्री भी बनाए गए. उनकी मृत्यु के बाद सीट खाली हुई तो बेटे गौरव स्वरूप को सपा ने टिकट दिया. लेकिन हार गए. 2017 के विधानसभा चुनाव में भी गौरव को हार का मुंह देखना पड़ा था. इस बार भी गौरव स्वरूप सपा से टिकट पाने की जुगत में थे, लेकिन जब टिकट भाई सौरभ स्वरूप को दे दी गई तो गौरव ने नाराज होकर बीजेपी ज्वाइन कर ली. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुबोध शर्मा का ठेकेदारी का व्यवसाय है. टिकट मिलने से पहले सुबोध कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष थे. इसके अलावा बसपा की टिकट पर चुनाव लड़े पुष्पांकर पाल जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं. चुनावी मुद्दे मीडिया कवरेज के दौरान मुजफ्फरनगर सदर के लोगों ने लॉ एंड ऑर्डर को इलाके का एक बड़ा चुनावी मुद्दा बताया था. महिलाओं की सुरक्षा भी यहां चिंता का विषय रहा है. 2013 के दंगों के बाद यहां माहौल संवेदनशील रहा है. इसके अलावा इलाके में कई जगह जलभराव की समस्या रही है. चुनावी प्रचार के दौरान सिटिंग MLA कपिल देव अग्रवाल के कुछ बयान भी चर्चा में रहे. एक में उन्होंने कहा था,
‘देश में डेढ़ सौ करोड़ लोगों को वैक्सीन लग गई है, जिसे नहीं लगवानी वो जहर खा ले, कोई दिक्कत नहीं.'
इससे पहले 28 सितंबर 2021 को एक कार्यक्रम में कपिल ने कहा था,
'वैश्य समाज अब मजबूत है, किसी ने आंखें दिखाईं तो निकाल लेंगे. सही काम होगा तो करवाएंगे, गलत काम कराना होगा तो भी आपके साथ हूं.'
पिछले चुनावों के परिणाम साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी कपिल देव करीब 10 हजार वोटों के अंतर से जीते थे. उन्हें करीब 98 हजार वोट मिले थे. वहीं निकटतम प्रतिद्वंदी रहे सपा के गौरव स्वरूप को 87 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. BSP के उम्मीदवार राकेश कुमार के खाते में 21 हजार वोट आए थे, जबकि RLD की टिकट पर चुनाव लड़ीं पायल माहेश्वरी 5,640 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रही थीं.

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