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डिप्टी CM समेत वो 11 मंत्री जिनको योगी की जादू भी जिता नहीं पाया

सिराथू सीट पर केशव प्रसाद मौर्य की हार चर्चा में है.

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केशव प्रसाद मौर्य, सुरेश राणा और आनंद स्वरूप शुक्ला (फोटो- सोशल मीडिया) (बायें से दायें)
11 मार्च 2022 (Updated: 11 मार्च 2022, 14:11 IST)
Updated: 11 मार्च 2022 14:11 IST
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उत्तर प्रदेश में बीजेपी गठबंधन ने 270+ का अपना टारगेट हासिल कर लिया है. फिर से बीजेपी सरकार बन रही है. 37 साल बाद कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सरकार बनाएगी. योगी आदित्यनाथ पहली बार विधायक चुने गए हैं. लेकिन उनकी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों का क्या हुआ? 2022 के विधानसभा चुनाव में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ-साथ 10 और मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है. केशव प्रसाद मौर्य सबसे पहले बात केशव प्रसाद मौर्य की. यूपी चुनाव में उनके हार की बड़ी चर्चा है. कौशांबी जिले की सिराथू सीट पर समाजवादी पार्टी की डॉ पल्लवी पटेल ने उन्हें 7,337 वोटों से हरा दिया. मौर्य को कुल 98,941 वोट्स मिले, जबकि पल्लवी पटेल को एक लाख छह हज़ार से ज्यादा वोट मिले. काउंटिंग को लेकर केशव मौर्य के बेटे योगेश मौर्य ने भी आपत्ति जताई थी, जिसके बाद सपा और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट और पथराव भी हुआ. ये सीट केशव प्रसाद मौर्य ने 2012 में जीती थी, हालांकि लोकसभा चुनाव में जीत के बाद 2014 में उन्हें ये सीट छोड़नी पड़ी थी. उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ केशव मौर्य के पास लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी थी. सुरेश राणा यूपी सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा को भी हार का सामना करना पड़ा. शामली जिले की थाना भवन सीट से राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के अशरफ अली खान ने सुरेश राणा को 10,806 वोटों के अंतर से हरा दिया. सुरेश राणा को 92,945 वोट मिले. वहीं आरएलडी के अशरफ अली खान ने कुल 1,03,751 वोट हासिल किए. चुनाव में हार के बाद कार्यकर्ताओं के साथ एक तस्वीर शेयर करते हुए सुरेश राणा ने लिखा,
'आपका प्यार और आशीर्वाद ही मेरी ताकत है.'
पश्चिमी यूपी का शामली एकमात्र जिला है, जहां बीजेपी को सभी सीटों पर हार मिली है. यहां कुल तीन विधानसभा सीटें हैं. छत्रपाल सिंह गंगवारChhatrapal Singh Gangwar
छत्रपाल सिंह गंगवार

यूपी के राजस्व राज्य मंत्री छत्रपाल सिंह कड़े मुकाबले में सपा प्रत्याशी से हार गए. बरेली जिले की बहेड़ी सीट से सपा के अताउर रहमान ने उन्हें 3,355 वोटों के अंतर से हरा दिया. अताउर रहमान को एक लाख 23 हज़ार से ज्यादा वोट मिले. विधानसभा क्षेत्र के 80 फीसदी सरदार और 50 फीसदी जाट सपा की तरफ माने जा रहे थे. नगरपालिका इलाके को छोड़ दें तो इस विधानसभा क्षेत्र में अधिकतर इलाके ग्रामीण हैं जहां किसान आवारा पशुओं की दिक्कतों से जूझ रहे थे. पिछले चुनाव में छत्रपाल सिंह ने बसपा के उम्मीदवार नसीम को 42 हजार वोटों से हराया था. राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंहRajendra Pratap Singh
राजेंद्र प्रताप सिंह

राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह 22,051 वोटों से हार गए. हराने वाले भी उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी सपा के राम सिंह पटेल हैं. राम सिंह पटेल को इस चुनाव में 1,08,070 वोट मिले. प्रतापगढ़ की पट्टी सीट पर पिछले चुनावों में भी इन दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है. मोती सिंह इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं. 2017 के चुनाव में उन्होंने राम सिंह को सिर्फ 1,473 वोटों से हराया था. वहीं इससे पहले 2012 विधानसभा चुनाव में राम सिंह ने मोती सिंह को महज 156 वोटों से मात दी थी. राम सिंह पटेल दस्यु सरगना ददुआ के भतीजे हैं. चंद्रिका प्रसाद उपाध्यायChandrika Prasad Upadhyay
चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय

चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय यूपी सरकार में लोक निर्माण विभाग में राज्यमंत्री थे. चित्रकूट सीट से सपा के अनिल कुमार अनिल प्रधान ने राज्यमंत्री को 20,876 वोटों से हरा दिया. अनिल प्रधान को चुनाव में कुल 1,03,887 वोट मिले. अपनी हार के बाद चंद्रिका प्रसाद ने कहा,
'चित्रकूट सदर विधानसभा क्षेत्र की जनता के फैसले को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं.'
यह क्षेत्र कुख्यात डकैत ददुआ का इलाका रहा है. पिछले चुनाव में चंद्रिका प्रसाद ने सपा के टिकट पर लड़े ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल को 26,936 वोटों से हराया था. आनंद स्वरूप शुक्ला ग्रामीण विकास विभाग राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को 12,951 वोटों से हार झेलनी पड़ी. बलिया जिले की बैरिया सीट से उन्हें सपा के जयप्रकाश अंचल ने मात दी है. आनंद स्वरूप शुक्ला बलिया नगर सीट से विधायक थे. लेकिन बीजेपी ने इस बार उनका सीट बदल दिया था. बीजेपी ने यहां से मौजूदा विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह का टिकट काट दिया था, जिसके बाद उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी में शामिल होकर इसी सीट से चुनाव लड़ा. आनंद स्वरूप शुक्ला की हार से इस सीट पर पिछले तीन चुनावों का पैटर्न भी टूटा है. 2007 से यहां उसी पार्टी के विधायक चुने गए थे, जिसकी राज्य में सरकार बनी थी. गंगा और घाघरा नदी के बीच बसा है यह इलाका. हर साल बाढ़ की चपेट में आता है. लोगों के पुनर्वास का मुद्दा काफी अहम रहा है. उपेंद्र तिवारीUpendra Tiwari
उपेंद्र तिवारी

बलिया जिले से ही एक और मंत्री उपेंद्र तिवारी भी चुनाव हार गए. वे पिछली सरकार में खेल, युवा कल्याण और पंचायती राज्य मंत्री थे. फेफना सीट से सपा नेता संग्राम सिंह ने उन्हें 19 हज़ार से ज्यादा वोटों से हरा दिया. उपेंद्र तिवारी पिछले दो चुनावों से लगातार इस सीट से जीत रहे थे. दिग्गज नेता और 1993 से 2007 तक इस सीट से लगातार चार बार विधायक रहे अंबिका चौधरी 2021 में सपा में वापस आ गए थे. जिसके कारण संग्राम सिंह की स्थिति मजबूत हुई थी. पिछले चुनाव में अंबिका चौधरी बसपा के टिकट पर ही दूसरे नंबर पर थे. रणवेंद्र प्रताप सिंह 'धुन्नी'Ranvendra Pratap Singh Dhunni
रणवेंद्र प्रताप सिंह 'धुन्नी'

रणवेंद्र प्रताप सिंह यूपी सरकार में खाद्य और रसद मंत्री हैं. फतेहपुर जिले की हुसैनगंज सीट से सपा की उषा मौर्या ने 25 हज़ार से ज्यादा वोटों से हरा दिया. उषा मौर्या को कुल 91,884 वोट मिले हैं. बसपा के फरीद अहमद 20,958 वोटों के साथ तीसरे नंबर रहे. इस सीट पर एक लाख से अधिक अनुसूचित जाति और करीब 90 हजार ओबीसी मतदाता हैं, जो निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 'गर्मी निकाल देंगे' वाले बयान को लेकर मंत्री के खिलाफ सुल्तानपुर घोष में FIR दर्ज की गई थी. लाखन सिंह राजपूतLakhan Singh Rajput
लाखन सिंह राजपूत

लाखन सिंह राजपूत यूपी के कृषि, कृषि शिक्षा और अनुसंधान राज्य मंत्री हैं. ओरैया जिले की दिबियापुर सीट से उन्हें सिर्फ 473 वोटों से हार मिली है. सपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार यादव यहां से जीतने में सफल रहे. उन्हें कुल 80,865 वोट मिले. इस सीट पर सवर्ण जातियां निर्णायक भूमिका में होती हैं. बीजेपी ने लोध और क्षत्रिय वोट को साधने की भी कोशिश की. हालांकि पिछड़ा वर्ग सपा के पक्ष में लामबंद हुआ और पार्टी को यहां से जीत मिली. सतीश चंद्र द्विवेदीSatish Dwivedi
सतीश चंद्र द्विवेदी

डॉक्टर सतीश द्विवेदी यूपी के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री हैं. सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट से उन्हें सपा के माता प्रसाद पांडेय ने 1600 वोटों के अंतर से हराया है. पिछले चुनाव में द्विवेदी ने इसी सीट पर माता प्रसाद को हराया था. इस चुनाव में वोट परसेंट देखें, तो माता प्रसाद को 38.54 फीसदी और सतीश द्विवेदी को 37.55 फीसदी वोट मिले. अपनी हार के बाद सतीश द्विवेदी ने क्षेत्र के लोगों से कहा,
'आज भी आपका बेटा, आपका भाई और आपका सेवक आपके सुख-दुख में साथ खड़ा मिलेगा.'
पूर्व मंत्री माता प्रसाद इस सीट से कई बार विधायक चुने गए. वे विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं. संगीता बलवंतSangeeta Balwant
संगीता बलवंत

संगीता बलवंत को यूपी सरकार में कुछ महीने पहले ही सहकारिता राज्य मंत्री बनाया गया था. 2017 में पहली बार विधायक बनीं संगीता को कड़े मुकाबले में हार मिली है. गाजीपुर सीट से उन्हें सपा के जयकिशन ने 1692 वोटों से मात दी है. जयकिशन को 91,147 वोट मिले हैं. अपनी हार पर उन्होंने कहा,
'जनता के इस फैसले को स्वीकार करती हूं, 1692 वोटों से चुनाव हारी हूं मनोबल नहीं.'
इस चुनाव में एक और मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा के बेटे गौरव वर्मा भी चुनाव हार गए. मुकुट बिहारी वर्मा यूपी सरकार में सहकारिता मंत्री हैं. ये इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने अपनी सीट छोड़कर अपने बेटे को टिकट दिलवाया था. मुकुट वर्मा पिछले दो चुनावों से लगातार इस सीट से जीतते आए थे. गौरव वर्मा को सपा के आनंद कुमार ने 7,711 वोटों से हरा दिया. बेटे की हार के बाद मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में कैसरगंज विधानसभा क्षेत्र की जनता की सेवा की है, जो आगे भी जारी रहेगी.

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