असम के वित्त मंत्री, भाजपा नेता हेमंत बिस्व सरमा को चुनाव आयोग ने किसी भी तरह के चुनाव प्रचार में शामिल होने से 48 घंटे के लिए बैन कर दिया. चुनाव आयोग ने ये कार्रवाई 2 अप्रैल को की. हालांकि 3 तारीख़ की शाम होते-होते बैन को घटाकर 24 घंटे का कर दिया गया. सरमा पर ये प्रतिबंध बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के नेता हगरमा मोहिलरी पर की गई उनकी टिप्पणी के चलते लगा है. सरमा ने मोहिलरी को जेल भेजने की धमकी दी थी. इसकी शिकायत कांग्रेस ने चुनाव आयोग से की, जिसके बाद ये एक्शन लिया गया. सरमा ने इस प्रतिबंध के ख़िलाफ गुवाहाटी हाई कोर्ट में अपील भी की.
ECI का आदेश आने के बाद सरमा ने भी ट्वीट किया –
“ECI ने मुझे अगले 48 घंटे तक प्रचार न करने के लिए कहा गया. इसलिए कल की मेरी जो भी मीटिंग हैं, वो रद्द समझें.”
I am asked by ECI to stop campaigning for next 48 hours. Therefore all my meetings scheduled for tomorrow stand cancelled.
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) April 2, 2021
सुरजेवाला बोले- मोदी, शाह भी बैन हों
वहीं कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला का इस पर कहना है कि –
“EC का हेमंत बिस्व सरमा को प्रचार से बैन करना ये दिखाता है कि भारतीय जनता पार्टी चुनाव हार रही है और अब अलग-अलग तरकीबें अपना रही है. हम EC से अपील करते हैं कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा और सर्बानंद सोनोवाल पर भी प्रतिबंध लगाए जाएं. ये लोग असम के अख़बारों में बड़े-बड़े विज्ञापन दे रहे हैं.”
EC debarring Himanta B Sarma from campaigning for 48 hrs prove that BJP has lost polls & is resorting to tactics. We urge EC to debar Narendra Modi, Amit Shah, Sarbananda Sonowal & JP Nadda too who were shown in ads in Assam’s newspapers, for free&fair polls: R Surjewala,Congress pic.twitter.com/kokhHq0aFt
— ANI (@ANI) April 3, 2021
कांग्रेस ने क्या शिकायत की थी
दरअसल 29 मार्च को सरमा ने एक सभा के दौरान मंच से कहा था कि नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की जांच बिठाकर कांग्रेस के सहयोगी और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के चेयरमैन हगरमा मोहिलरी को जेल भिजवाया जाएगा. कांग्रेस ने 30 मार्च को इसकी शिकायत करते हुए चुनाव आयोग से मांग की थी कि पूरे चुनाव में उन्हें प्रचार से बैन किया जाए. इसी के बाद आयोग ने ये कार्रवाई की है.
बताते चलें कि हेमंत बिस्व सरमा ने 2001 में पॉलिटिकल डेब्यू किया था. कांग्रेेस के साथ. तीन बार विधायक रहे. असम में मंत्री भी बने. तरुण गोगोई से विवाद के बाद 2015 में कांग्रेस छोड़ दी, भाजपा में आ गए. 2016 में होने वाले चुनाव के लिए उन्हें पार्टी का संयोजक बनाया गया. भाजपा ने असम में सरकार बनाई तो सरमा मंत्री बने. इस चुनाव में वे पार्टी की अगुवाई करने वाले नेताओं में से हैं.
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