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चार राज्यों की चुनावी जीत राज्यसभा में बीजेपी को कितना ताकतवर बना देगी?

AAP के सदस्यों की संख्या भी उच्च सदन में बढ़ सकती है.

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(दाएं) संसद की तस्वीर, (बाएं) पीएम नरेंद्र मोदी. (तस्वीरें पीटीआई से साभार हैं.)
11 मार्च 2022 (Updated: 11 मार्च 2022, 16:06 IST)
Updated: 11 मार्च 2022 16:06 IST
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पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम 11 फरवरी को घोषित कर दिए गए. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में बीजेपी की जीत हुई है. पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) ने जीत का झंडा गाड़ दिया है. इसके बाद से राजनीतिक विशेषज्ञों के बीच राज्यसभा में समीकरण बदलने को लेकर चर्चा तेज हो गई है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इन नतीजों के बाद AAP उच्च सदन में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी. वहीं बीजेपी राज्यसभा में 100 सीटों का आंकड़ा पार कर जाएगी. कहा जा रहा है कि ये होने के बाद बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन को अपने उम्मीदवार को नया राष्ट्रपति बनाने में कोई बाधा नहीं आएगी, जिसका चुनाव इसी साल जुलाई महीने में होना है. इस समय राज्यसभा में बीजेपी के 97 सांसद हैं. चुनाव परिणाम के बाद कहा जा रहा है कि साल के अंत तक इनकी संख्या बढ़कर 104 हो सकती है. वहीं एनडीए की सीटें बढ़कर 122 तक हो सकती है. इस तरह 243 सदस्यों वाली राज्यसभा में बीजेपी और उसके घटक दल बहुमत में आ जाएंगे. अभी तक बीजेपी संसद के उच्च सदन में अल्पमत में थी. रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को अकेले उत्तर प्रदेश से तीन और असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड से कुल चार राज्यसभा सीटें मिल सकती हैं. वहीं AAP इस साल के अंत तक होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए छह से सात सीटें जीत सकती है. AAP के फिलहाल तीन राज्यसभा सांसद हैं, जो दिल्ली से चुनकर भेजे गए हैं. पंजाब में राज्यसभा सीटें जीतने के बाद AAP उच्च सदन में पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है. उसके आगे बीजेपी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और डीएमके ही रह जाएंगी. विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद अब कांग्रेस को राज्यसभा में भी नुकसान होने वाला है. उच्च सदन में फिलहाल कांग्रेस के 34 सांसद हैं, जो कि साल के अंत तक घटकर महज 27 हो जाएंगे. इस तरह लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी कांग्रेस की पकड़ कमजोर हो जाएगी. राज्यसभा में बीजेपी सांसदों की संख्या बढ़ने का मतलब है कि अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपने विधेयकों को और आसानी से पास करा पाएगी और संभवत: विपक्ष के विरोध का उनके पारित होने की प्रक्रिया पर कोई असर न पड़े. इससे पहले कुछ विधेयकों को पारित कराने के लिए बीजेपी सरकार को बिजू जनता दल जैसी पार्टियों का बाहरी सपोर्ट लेना पड़ता था. जाहिर है इस समीकरण के बदलने के चलते राज्यसभा में केंद्रीय सत्तारूढ़ दल की राह और आसान हो जाएगी. इस साल कुल 75 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. इसमें से 13 सीटों पर होने वाले चुनाव का शेड्यूल जारी हो गया है. राज्यसभा की 13 सीटों के लिए 31 मार्च को द्विवार्षिक चुनाव होंगे. कुल 6 राज्यों में राज्यसभा चुनाव होगा. इसमें असम (2 सीट), हिमाचल प्रदेश (एक), केरल (तीन), नगालैंड (एक), त्रिपुरा (एक) और पंजाब (पांच) शामिल हैं. राज्यसभा में जिन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उसमें रिपुन बोरा, आनंद शर्मा, सुखदेव सिंह, प्रताप सिंह बाजवा, नरेश गुजराल, शमशेर सिंह, एके एंटनी इत्यादि शामिल हैं. मालूम हो कि हर दो साल में राज्यसभा के एक-तिहाई सदस्य बदलते हैं. संविधान के तहत राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 250 निर्धारित की गई है. इसमें से 238 सदस्यों के लिए चुनाव होता है, जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं. लोकसभा चुनावों के विपरीत, राज्यसभा चुनाव में मतदाता सांसदों को नहीं चुनते हैं, बल्कि राज्य के विधायक राज्यसभा सदस्यों का चुनाव करते हैं.

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