बिहार चुनाव में NDA को बहुमत के बाद जो सवाल सबसे ज्यादा हवा में तैर रहा है, वो ये कि सीएम की कुर्सी पर नीतीश कुमार ही बैठेंगे या बीजेपी ऐन वक्त पर किसी और को गद्दी सौंप सकती है? बीजेपी के अंदर से ही इस आग को हवा मिली. नीतीश के राजनीतिक भविष्य को लेकर ये सवाल इसलिए भी उठा क्योंकि पिछले करीब 25 साल से एनडीए में नीतीश कुमार की भूमिका बड़े भाई की रही है. इस चुनाव में जनता दल यूनाइटेड की 43 सीटों के मुकाबले 74 सीटें जीतकर बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में आ चुकी है. अब इस सवाल पर धुंध छंटती दिख रही है.
कहां से उठा कुर्सी का सवाल?
मंगलवार को जब नतीजों में जेडीयू बीजेपी से सीटों में पिछड़ रही थी, उसी दौरान बीजेपी के अनुसूचित जाति/जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अजीत चौधरी ने शिगुफा छोड़ दिया. सोशल मीडिया पर लिखा- “इस बार बीजेपी का हो मुख्यमंत्री”. जब चुनाव के नतीजे स्पष्ट हो गए तो केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने नया दांव चल दिया. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार किसी भी नंबर पर बैटिंग कर सकते हैं, चाहे यहां या वहां. अगर वह चाहेंगे तो केंद्रीय नेतृत्व उनके केंद्र में आने पर फैसला करेगा.
जेडीयू पूरी तरह से आश्वस्त
सवालों के बीच जेडीयू का मनाना है कि नीतीश कुमार ही एनडीए के सीएम कैंडिडेट थे, और वही गद्दी संभालेंगे. पार्टी प्रवक्ता अजय आलोक हों या सीनियर नेता केसी त्यागी सभी नीतीश कुमार की दावेदारी को सही ठहरा रहे हैं.
केसी त्यागी ने बुधवार को कहा-
नीतीश कुमार दीपावली के बाद बिहार के सीएम पद की शपथ ले सकते हैं.

चिराग विपक्ष में बैठने को राजी
चिराग पासवान ने अपना पूरा इलेक्शन कैंपेन ही नीतीश कुमार के खिलाफ रखा. ऐसे में यह माना जा रहा था कि वह नीतीश को सीएम बनाए जाने के खिलाफ कड़ा रुख रखेंगे. हालांकि महज एक सीट हासिल करने के बाद अब वह कुछ नरम पड़ते नजर आ रहे हैं. बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा –
मेरा लक्ष्य यही था कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री न बनें, लेकिन जनादेश का सम्मान करेंगे. अब बीजेपी और जेडीयू को देखना है कि वो किसे मुख्यमंत्री बनाते हैं. नीतीश कुमार के खिलाफ जांच करवानी चाहिए. मेरे पास उतनी ताकत होती तो मैं जरूर करता. अब मैं विपक्ष की भूमिका में रहूंगा. केंद्र के हमारे गठबंधन पर बिहार चुनाव का कोई असर नहीं होगा.

बीजेपी बोली – हमने वादा किया है
बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय से जब मंगलवार को चुनावी रुझानों के बीच एक टीवी पत्रकार ने पूछा कि अगला सीएम क्या नीतीश कुमार ही होंगे, तो उन्होंने कहा था कि शाम को मीटिंग के बाद ही पता चलेगा. इससे कयासों का दौर शुरू हुआ. हालांकि बीजेपी के बड़े नेता नीतीश से किया हुआ वादा याद दिला रहे हैं. बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा-
हमने जैसा वादा किया था, उसके अनुसार नीतीश जी हमारे मुख्यमंत्री होंगे, इस बात में कोई कंफ्यूजन ही नहीं है. एक चुनाव में कोई जीतता है, कोई हारता है. हम बराबरी के पार्टनर हैं.

बिहार बीजेपी यूनिट के प्रेसिडेंट संजय जायसवाल ने भी नीतीश कुमार को सीएम बनाए जाने की बात को दोहराया. इंडियन एक्सप्रेस अखबार से उन्होंने कहा-
हमारे शीर्ष नेता पहले ही नीतीश कुमार को चीफ मिनिस्टर घोषित कर चुके है. जब हम साथ आए थे, तभी हमारे तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने नीतीश कुमार को नेता घोषित कर दिया था. इसमें कोई बदलाव नहीं आया है.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार में विधानसभा चुनाव के प्रभारी देवेंद्र फडणवीस ने भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात कही. वह बोले-
हर पार्टी चाहती है कि उसका मुख्यमंत्री बने, मगर अभी इस पर बयान देने से बेमतलब का विवाद खड़ा होगा. नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री नहीं बनने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है.
मांझी और गिरिराज भी बोले- सीएम नीतीश ही होंगे
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के मुखिया जीतनराम मांझी ने भी नीतीश कुमार को सीएम बनाए जाने की पुरजोर हिमायत की है. उनका कहना है-
एनडीए ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा है. बीजेपी के बड़े नेता भी पहले ही नीतीश कुमार के नाम पर सहमति जता चुके हैं. बिहार में एनडीए एक यूनिट की तरह चुनाव लड़ा है.
बीजेपी के फायरब्रैंड नेता गिरिराज सिंह भी नीतीश को एनडीए का एक तावतवर नेता करार देते हुए उनकी दावेदारी को सही बता रहे हैं. वह बोले-
नीतीश कुमार एनडीए के लीडर हैं, हार या जीत उनकी ताकत को कम नहीं कर सकती. तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार के बारे में बोलकर क्या फायदा मिला, बिहार की जनता ने उनको आराम करने को कह दिया है.

दिग्विजय सिंह ने की इमोशनल अपील
कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने नीतीश कुमार को केंद्र की राजनीति में आने का सुझाव दे डाला. विचारधारा की लड़ाई में साथ आने का न्योता भी दे दिया. लिखा-
नीतीश जी, बिहार आपके लिए छोटा हो गया है. आप भारत की राजनीति में आ जाएं. सभी समाजवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोगों को एकमत करने में मदद करते हुए संघ की अंग्रेजों के द्वारा पनपाई “फूट डालो और राज करो” की नीति ना पनपने दें, विचार ज़रूर करें.

बहरहाल, नीतीश और बिहार में सरकार के स्वरूप को लेकर लग रही अटकलों पर विराम तभी लगेगा, जब नीतीश 7वीं बार सीएम पद की शपथ ले लेंगे. तब तक ऐसे सवाल हवा में मंडराते रहेंगे.
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