परिवार के बाद पार्टी में बगावत, अब लालू के सबसे पुराने साथी ने बम फोड़ दिया!
Shivanand Tiwari पाला बदलते रहे हैं. 1990 में जब Lalu Prasad Yadav पहली बार Bihar के मुख्यमंत्री बने थे, तब तिवारी उनके समर्थक थे. लेकिन बाद में जब मौजूदा मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने समता पार्टी बनाई थी, तो वे नीतीश के साथ आ गए.

लालू प्रसाद यादव का परिवार अभी रोहिणी आचार्य और तेजस्वी यादव के बीच छिड़े विवाद से उबरा भी नहीं था कि पार्टी के भीतर से बगावत के सुर सामने आने शुरू हो गए है. विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने लालू प्रसाद यादव को 'धृतराष्ट्र' बताते हुए मोर्चा खोल दिया है. इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव को भी नहीं बख्शा.
शिवानंद तिवारी ने एक फेसबुक पोस्ट में लालू और तेजस्वी पर निशाना साथा है. रविवार, 16 नवंबर को उन्होंने लिखा कि तेजस्वी यादव सपनों की दुनिया में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे. उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा,
"लालू प्रसाद यादव 'धृतराष्ट्र' की तरह बेटे के लिए राज सिंहासन को गर्म कर रहे थे. अब मैं मुक्त हो चुका हूं. फुर्सत पा चुका हूं. अब कहानियां सुनाता रहूंगा.."
तिवारी ने संकेत दिए हैं कि वे आगे भी इसी तरह की बातें जनता के सामने लाते रहेंगे. उन्होंने अपनी पोस्ट के शुरुआत में लालू के साथ बिताए पलों को याद करते हुए लिखा,
"बिहार आंदोलन के दौरान लालू यादव और मैं फुलवारी शरीफ जेल के एक ही कमरे में बंद थे. लालू यादव उस आंदोलन का बड़ा चेहरा थे. लेकिन उनकी आकांक्षा बहुत छोटी थी. रात में भोजन के बाद सोने के लिए जब हम अपनी अपनी चौकी पर लेटे थे, तब लालू यादव ने अपने भविष्य के सपने को मुझसे साझा किया था. लालू ने मुझसे कहा कि 'बाबा, मैं राम लखन सिंह यादव जैसा नेता बनना चाहता हूं.' लगता है कि कभी-कभी ऊपर वाला शायद सुन लेता है. आज दिखाई दे रहा है कि उनकी वह इच्छा पूरी हो गई है. संपूर्ण परिवार ने जोर लगाया. उनकी पार्टी के मात्र 25 विधायक ही जीते."
इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव ने उन्हें RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाया और कार्यकारिणी में भी जगह नहीं दी. उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई. उन्होंने लिखा,
"क्योंकि मैं कह रहा था कि मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण लोकतंत्र के विरूद्ध साजिश है. इसके खिलाफ राहुल गांधी के साथ सड़क पर उतरो. संघर्ष करो. पुलिस की मार खाओ. जेल जाओ. लेकिन वह तो सपनों की दुनिया में मुख्यमंत्री (पद) की शपथ ले रहा था. उसको झकझोर कर, उसके सपनों में मैं विघ्न डाल रहा था. लालू यादव 'धृतराष्ट्र' की तरह बेटे के लिए राज सिंहासन को गर्म कर रहे थे."
इसी साल जुलाई में शिवानंद तिवारी की RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से छुट्टी कर दी गई थी. शिवानंद तिवारी एक सीनियर समाजवादी नेता हैं. छात्र राजनीति से ही तिवारी, लालू प्रसाद के साथ रहे हैं. दोनों ने समाजवादी युवजन सभा में रहते हुए छात्र राजनीति की. लालू और शिवानंद जेपी आंदोलन में साथ रहे. शिवानंद के पिता रामानंद तिवारी भी बड़े राजनेता थे. उस समय रामानंद तिवारी और कर्पूरी ठाकुर को बिहार के सबसे बड़े नेताओं के तौर पर जाना जाता था.
हालांकि, शिवानंद तिवारी पाला बदलते रहे हैं. 1990 में जब लालू प्रसाद यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब तिवारी उनके समर्थक थे. लेकिन बाद में जब मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समता पार्टी बनाई थी, तो वे नीतीश के साथ आ गए.
शिवानंद तिवारी RJD के टिकट पर दो बार शाहपुर सीट से विधायक चुने गए. बाद में नीतीश ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) से उन्हें सांसद बनाकर राज्यसभा भेजा. वे फिर बाद में लालू के साथ आ गए. लालू के खिलाफ चारा घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच की मांग करने वालों में शिवानंद तिवारी का भी नाम आता है. तिवारी के अलावा, सुशील मोदी और ललन सिंह जैसे नेताओं ने भी चारा घोटाले में CBI जांच की मांग की थी.
फरवरी 2022 में तिवारी ने कहा था कि उन्हें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि वे इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच की मांग को लेकर अदालत में लालू प्रसाद के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में से एक थे. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक तिवारी कहा था,
"जॉर्ज फर्नांडिस ने नीतीश कुमार से याचिका पर साइन करने को कहा, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. उनके इनकार के बाद जॉर्ज फर्नांडिस ने मुझसे याचिका पर हस्ताक्षर करने को कहा. मैं दिल्ली में था. उन्होंने मेरे लिए हवाई जहाज का टिकट भेजा था. मैं पटना लौटा और रविशंकर प्रसाद के घर पर याचिका पर हस्ताक्षर किए. मेरे अलावा सरयू राय और सुशील कुमार मोदी ने याचिका पर हस्ताक्षर किए. मैं उस समय JDU में था और पार्टी की ओर से हस्ताक्षर किए थे, क्योंकि नीतीश कुमार ने हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था."
उन्होंने आगे बताया था कि दूसरी याचिका राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दायर की थी. उस याचिका में ललन सिंह, वृष पटेल और जीतन राम मांझी याचिकाकर्ता थे. उन्होंने कहा था कि दोनों याचिकाओं में CBI जांच की मांग की गई थी.
शिवानंद तिवारी के बेटे राहुल तिवारी 2020 में RJD के टिकट पर शाहपुर सीट से विधायक चुने गए थे. 2025 विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने राहुल पर भरोसा जताया, लेकिन वो ये सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राकेश रंजन के हाथों हार गए.
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