प्रशांत किशोर चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे? असल वजह बताई
Prashant Kishor ने लल्लनटॉप के साथ बातचीत में कहा- 'हम लोगों को ये तय करना था कि क्या मैं अपने चुनाव के लिए 3-4 दिन निकालूं या जो 200-300 लोग मेरे भरोसे आकर चुनाव लड़ रहे हैं, उनको जाकर मदद करूं.'

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर बिहार चुनाव को लेकर राज्य की प्रमुख पार्टियों पर हमलावर हैं. काफी समय से ये अटकलें चल रहीं थीं कि वो खुद चुनाव लड़ेंगे या नही. लेकिन उन्होंने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. अब उन्होंने लल्लनटॉप के खास प्रोग्राम ‘जमघट’ के दौरान इसकी वजहों पर बात की है.
लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी ने प्रशांत किशोर से कहा, ‘बिहार चुनाव यात्रा कवरेज के दौरान लोग आपके समर्थन में आने को लेकर कई तर्क देते हैं. लेकिन एक बात पर सभी निराश हैं. उनका कहना है कि प्रशांत किशोर को भी चुनाव लड़ना चाहिए था. इस पर आपका क्या कहना है?’ जवाब में उन्होंने कहा,
ठीक बात है. मेरे चुनाव लड़ने पर बहुत चर्चा हुई. मैंने भी उस विकल्प को खुला ही रखा था. कहा था कि अगर मैं चुनाव लड़ा, तो जन्मभूमि से लड़ूंगा या किसी कर्मभूमि से लड़ूंगा. राघोपुर की चर्चा इसलिए शुरू हुई, क्योंकि जब जन सुराज में उम्मीदवारों के नाम की चर्चा शुरू हुई, तो साथियों ने मेरे नाम से आवेदन भरा. फिर मैंने कहा कि वहां से चुनाव लड़ने के बारे में सोचा जा सकता है. मैं राघोपुर गया भी और लोगों से बात भी की.
अगर लड़ता, तो वहीं से लड़ता. लेकिन उसमें एक दिक्कत ये आई कि समय की मर्यादा है. 15-20 दिन के अंदर ही चुनाव हो जाएगा. और जन सुराज की जो पूरी व्यवस्था है, उसमें चाहें या ना चाहें, मेरी सेंट्रल भूमिका है. जब मैं राघोपुर से लौटकर आया, तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथियों से बातचीत हुई. तब ये बात समझ में आई कि अगर राघोपुर से मैं चुनाव लड़ूंगा, तो कम से कम तीन चार दिन तो मुझे वहां जाने के लिए जरूर निकालना पड़ेगा.
जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने आगे कहा,
जन सुराज में जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं, उनमें बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिन्होंने अपनी नौकरी, अपना व्यवसाय, अपनी प्रतिष्ठा सब कुछ मेरे कहने पर मेरे भरोसे पर दांव पर लगाया है. उनमें से 200 से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्होंने कभी जीवन में चुनाव लड़ा ही नहीं है. उन सबकी आशा है कि प्रशांत किशोर उनकी मदद करेंगे. हम लोगों को ये तय करना था कि क्या मैं अपने चुनाव के लिए 3-4 दिन निकालूं या जो 200-300 लोग मेरे भरोसे आकर चुनाव लड़ रहे हैं, उनको जाकर मदद करूं.
ऐसे में कहा गया कि अगर इतने लोगों ने आप पर भरोसा किया है, तो सबसे पहली प्राथमिकता ये है कि उनको जितनी भी ताकत दी जा सकती है, उनको जिताने में जो कुछ किया जा सकता है, वो कीजिए. अगर तीन चार दिन आप राघोपुर चुनाव लड़ने चले जाएंगे, तो उससे कम से कम 30-40 क्षेत्रों में जहां पर अदरवाइज आप जा सकते हो, वहां नहीं जा पाएंगे. तो नेट नेट हम लोगों ने इसको एसेस किया और तय किया कि भाई चलो. जो लोग पहले से चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी मदद की जाए.
बताते चलें, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने घोषणा की है कि वह राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. लेकिन प्रशांत ने दावा किया कि उनकी पार्टी के तीन उम्मीदवारों को ‘BJP नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों’ ने दबाव डालकर चुनावी मैदान से हटने को मजबूर किया. ये तीनों उम्मीदवार हैं- दानापुर से अखिलेश कुमार उर्फ मुटुर साव, ब्रह्मपुर से सत्य प्रकाश तिवारी और गोपालगंज से शशि शेखर सिन्हा. बीत दिनों इसे लेकर उन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए थे.
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