क्या वीरभद्र सिंह ने ही पत्नी प्रतिभा सिंह को सासंदी का चुनाव हरवा दिया था?
क्या वीरभद्र नहीं चाहते थे कि उनकी पत्नी राजनीति में आए?

हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं. पूरा प्रदेश 12 नवंबर को (Himachal Pradesh Elections) मतदान करेगा. चुनाव हो रहे हैं, तो कवरेज भी हो रही है. दी लल्लनटॉप की भी टीमें ग्राउंड पर हैं. हिमाचल की जनता के मुद्दे खंगाल रही हैं. और, इस सिलसिले में वापस आ चुका है ‘जमघट’ - जहां हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी सत्ता के दावेदारों से जनता के हिस्से के सवाल पूछते हैं. सौरभ ने बात की प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और मंडी से लोकसभा सांसद प्रतिभा सिंह (Pratibha Singh) से.
प्रतिभा सिंह ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था 1998 में. और, महेश्वर सिंह से हार गई थीं. बात ये चली थी कि वीरभद्र सिंह नहीं चाहते थे कि उनकी पत्नी राजनीति में आए और इसीलिए उन्होंने प्रतिभा को पर्याप्त सपोर्ट नहीं किया. इस बारे में पूछे जाने पर प्रतिभा ने कहा,
"हां, ये बिल्कुल सही बात है. घर में भी कई दफ़ा ऐसी बातें होती थीं. उनका कहना था कि पॉलिटिक्स में रहते हुए लोग आप पर कई तरीक़े के आरोप लगाएंगे. उन्होंने कहा कि वो एक पुरुष हैं और वो इसे झेल सकते हैं, लेकिन अगर कोई उनके परिवार या पत्नी पर आरोप लगा दे, तो उन्हें सहन नहीं होगा. इसलिए वो चाहते थे कि परिवार घर तक रहे और उनके परिवार से कोई भी पॉलिटिक्स में न आए.
यहां तक कि उन्होंने विक्रमादित्य के बारे में भी ऐसा ही कहा था. जब वो यूथ कांग्रेस का पर्चा भर रहा था (2013 में), तो उन्होंने बहुत नाराज़गी जताई थी. विक्रमादित्य से पूछा था कि आपको किसने बोला ये काम करने के लिए और फिर ये भी कहा था कि वो पढ़ाई में दिमाग़ लगाएं. मतलब, विक्रमादित्य के लिए भी उनके शब्द यही थे.
फिर जब बात मेरे पर आई और बड़ा दबाव पड़ा कि आप लड़ो-लड़ो-लड़ो. वीरभद्र जी ने पहले ठाकुर कॉल सिंह को मानने की कोशिश की, फिर रंगीला राम जी से भी पूछा. लेकिन दोनों ने मना कर दिया, कि नहीं यही लड़ेगी. तब जा कर वो माने. मगर वो अंदर से ख़ुश नहीं थे."
अपने हारने की वजह भी प्रतिभा ने बताई. उन्होंने कहा कि तीन ट्राइबल इलाक़े - लाहौल-स्पिति, किन्नौर और पांगीबर्मा - कांग्रेस से अलग हो गए. अगर उनका विश्वास मिल जाता, तो प्रतिभा सिंह का दावा है कि वो चुनाव जीत जातीं.
लगे हाथ सौरभ ने प्रतिभा सिंह जी से ये भी पूछ लिया कि प्रतिभा और वीरभद्र को पहली मर्तबा मिले कहां थे. प्रतिभा ने बताया कि वो दोनों ही राज घरानों से हैं. दोनों के ही परिवार पूर्व रियासतों के राजे-महाराजे थे. तो सभाओं और जश्न के दौरान दोनों की मुलाक़ात होती रहती थी. एक वाक़या बताया कि एक बार वो दोनों किसी परिवार के कार्यक्रम में मिले और वीरभद्र सिंह ने प्रतिभा से उनका हाल-ख़बर पूछा. प्रतीभा ने तब दसवीं पास की थी और आगे पढ़ने का कोई इरादा नहीं था. तब वीरभद्र सिंह ने प्रतिभा के पिता से कहा कि उन्हें आगे पढ़ना चाहिए.
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