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बिहार चुनाव में बागी बिगाड़ेंगे राजद का खेल, बीजेपी-जदयू की भी परेशानी बढ़ी

Bihar Assembly Election में इस बार बागी उम्मीदवार सभी दलों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं. RJD ने सबसे ज्यादा 27 लोगों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण बाहर का रास्ता दिखाया है. दूसरा नंबर JDU का है. वहीं BJP भी बागी नेताओं से हलकान है.

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बिहार चुनाव में बागी उम्मीदवारों ने राजद, जदयू और बीजेपी की बेचैनी बढ़ा दी है. (इंडिया टुडे)
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आनंद कुमार
29 अक्तूबर 2025 (Published: 11:47 AM IST)
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बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) 2025 में इस बार कई तरह के मुकाबले देखने को मिल रहे हैं. NDA और महागठबंधन का मुकाबला. कई सीटों पर महागठबंधन के बीच फ्रेंडली फाइट. और तो और पार्टियों के भीतर भी मुकाबले देखने को मिल रहा है. महागठबंधन और एनडीए के टिकट बंटवारे से नाराज नेताओं ने बगावत का रास्ता चुन लिया है. और अपनी पार्टी का खेल खराब करने में जुटे हैं. अब तक 50 से ज्यादा बागी नेताओं को उनकी पार्टियों ने दल विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में निष्कासित कर दिया है. राजद ने 27, जदयू ने 16 और बीजेपी ने 6 नेताओं को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता निलंबित करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है.

राजद के कई बागी निर्दलीय और दूसरे दलों से चुनाव लड़ रहे

राजद ने 27 बागियों को पार्टी से निष्कासित किया है. इसमें एक विधायक छोटे लाल राय जदयू के टिकट पर परसा से चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि तीन नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. विधायक मोहम्मद कामरान गोविंदपुर विधानसभा से निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. वहीं महिला राजद की प्रदेश अध्यक्ष रही ऋतु जायसवाल परिहार से, सरोज यादव बड़हरा से, राजी रंजन उर्फ पिंकु भइया जगदीशपुर से, अनिल यादव नरपतगंज से, अक्षय लाल यादव चिरैया से और रामसखा महतो चेरिया बरियारपुर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

इसके अलावा भगत यादव शेरघाटी से, मुकेश यादव संदेश से, संजय राय महनार से, कुमार गौरव और राजीव कुशवाहा दरभंगा से, महेश प्रसाद गुप्ता जाले से, पूनम देवी गुप्ता मोतिहारी से, सुरेंद्र प्रसाद यादव सोनपुर से, डॉ. राम प्रकाश महतो कटिहार से, प्रणव प्रकाश मधेपुरा से और अफजल अली गौड़ा बौराम से चुनाव लड़ रहे हैं. 

जदयू भी बागियों से परेशान

नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से भी कई पुराने नेताओं ने बगावत की है. पूर्णिया के सांसद रहे संतोष कुशवाहा ने राजद का दामन थाम लिया है. वो धमदाहा विधानसभा सीट से जदयू सरकार में मंत्री लेसी सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह सीवान के बड़हरिया विधानसभा से, गोपाल मंडल  भागलपुर के गोपालपुर विधानसभा सीट से, जदयू के युवा नेता दिव्यांशु भारद्वाज मोतिहारी सदर सीट से और बरबीघा से जदयू विधायक सुदर्शन  निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जदयू ने इन नेताओं समेत 16 लोगों को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है.

बीजेपी ने 6 लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया

बीजेपी ने भी बागियों पर कार्रवाई करते हुए 6 लोगों को पार्टी से निष्कासित किया है. इनमें कहलगांव से चुनाव लड़ने वाले विधायक पवन यादव, बहादुरगंज से चुनाव लड़ने वाले वरुण सिंह और गोपालगंज से चुनाव लड़ रहे अनूप कुमार श्रीवास्तव  और बड़हरा से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे सूर्य भान सिंह शामिल हैं. इसके अलावा श्रवण कुशवाहा और उत्तम चौधरी को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है. इन सभी को 6 साल के लिए पार्टी से बाहर किया गया है.

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बागियों का चुनाव पर क्या असर होगा?

बीजेपी, राजद और जदयू से निष्कासित नेता कई सीटों पर हार और जीत में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. खास कर उन सीटों पर जहां मुकाबला करीबी है. बागी नेता की मौजूदगी इन सीटों पर पार्टी की हार का कारण बन सकती है. बागियों के निर्दलीय लड़ने से कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय भी हो जाता है. पिछली बार जमुई की चकाई विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार सुमित सिंह ने एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवार को पछाड़ दिया था. वहीं बिक्रम विधानसभा सीट पर बीजेपी के बागी अनिल कुमार 50 हजार वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. और बीजेपी के उम्मीदवार अतुल कुमार की जमानत जब्त हो गई थी.

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