सीट बंटवारे पर फंसा पेच, NDA में चिराग पासवान-कुशवाहा और महागठबंधन में कांग्रेस अड़ी
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में अगले कुछ दिनों में चुनाव की तारीखों का एलान होने वाला है. लेकिन अब तक NDA और महागठबंधन के बीच सीट बंटवारे का मामला सुलझ नहीं पाया है. एनडीए में Chirag Paswan और Upendra Kushwaha और महागठबंधन में कांग्रेस ने पसंदीदा सीटों को लेकर गरारी फंसा दी है.

बिहार चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. 6 अक्टूबर के बाद किसी दिन चुनाव की तारीखों का एलान हो सकता है. लेकिन NDA और महागठबंधन में अब तक सीट बंटवारे का मामला सुलझ नहीं पाया है. एनडीए के घटक दलों में जहां 83 सीटों पर विवाद है. वहीं महागठबंधन में कांग्रेस पिछली बार की 37 सीटें लेने को तैयार नहीं है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की नजर जिन सीटों पर है, उनमें से अधिकतर बीजेपी-जदयू की पारंपरिक सीटें हैं. दोनों पार्टियां इन सीटों को छोड़ना नहीं चाहती हैं. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान लगातार कह रहे हैं कि वे विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा की तरह 100 % का स्ट्राइक रेट बरकरार रखना चाहते हैं. इसके चलते ही उनका जोर सीटों की संख्या के साथ-साथ जीत की संभावना वाली सीटों पर है.
विवाद की 83 सीटों में नरकटियागंज, शिवहर, बेलसंड, लौकाहा, जोकीहाट, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, कोचाधामन, वायसी, मधेपुरा, कांटी, हथुआ, रघुनाथपुर, गरखा, सोनपुर, राघोपुर, उजियारपुर, बख्तियारपुर जैसी सीटें प्रमुख हैं. चिराग पासवान वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा और मुजफ्फरपुर तो उपेंद्र कुशवाहा सासाराम और बांका जिले में अधिकांश सीटों पर दावेदारी किए हुए हैं.
एनडीए के घटक दल कितने सीटों की दावेदारी कर रहे?बीजेपी और जदयू 103-103 सीटों पर लड़ने की तैयारी में हैं. वहीं लोजपा (रामविलास) ने 45, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने 15 और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने 20 सीटों पर दावा किया है. हालांकि बीजेपी की ओर से लोजपा (रामविलास) को 20, हम को 15 और रालोमो को 8 सीट देने की बात रखी गई है.
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महागठबंधन में भी सीट बंटवारे को लेकर खींचतानमहागठबंधन के घटक दलों में भी पसंदीदा सीटों को लेकर रस्साकशी चल रही है. सबसे ज्यादा तनाव राजद और कांग्रेस के बीच है. कांग्रेस पिछले चुनाव में मिली 70 सीटों के संतुलन पर सवाल खड़ा कर चुकी है. पार्टी का मानना है कि उसे 70 में से 51 सीटें ऐसी मिली जहां महागठबंधन का जनाधार कमजोर था. इस बार कांग्रेस ने ऐसी सीटों को लेने से इनकार कर दिया है.
पार्टी पिछली बार हारी 51 में से 37 सीटें लेने को तैयार नहीं है. 37 सीटों में से 21 सीटें वैसी हैं, जिन पर 2010 और 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार नहीं जीते थे. इनमें 15 सीटें ऐसी हैं, जिन पर 2015 में जदयू महागठबंधन के साथ चुनाव लड़कर जीता.2020 में ये सीटें कांग्रेस के खाते में आई. और पार्टी को इन पर हार मिली. पिछले चुनाव में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी. और केवल 19 ही जीत सकी.
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