नोटों के ढेर में गोते लगा रहा भारतीय बाजार, इस तेजी की वजहें जानते हैं?
बंबई शेयर बाजार यानी बीएसई सेंसेक्स 1,022 अंकों के उछाल के साथ 85,609 अंक पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 50 में 320 अंकों की बढ़ोतरी हुई, जिससे ये 26,205 अंक पर बंद हुआ. इस तरह सेंसेक्स अपने ऑलटाइम हाई के काफी करीब पहुंच गया है. पिछले साल 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978 अंक पर बंद हुआ था.

शेयर बाजार में 26 नवंबर को जोरदार तेजी देखने को मिली. बाजार के दोनों बेंचमार्क, इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी, अपनी तीन दिनों की लगातार गिरावट के बाद तेजी के साथ बंद हुए. दोनों इंडेक्स अपने रिकॉर्ड हाई के बेहद करीब पहुंच गए हैं.
बंबई शेयर बाजार यानी बीएसई सेंसेक्स 1,022 अंकों के उछाल के साथ 85,609 अंक पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 50 में 320 अंकों की बढ़ोतरी हुई, जिससे ये 26,205 अंक पर बंद हुआ. इस तरह सेंसेक्स अपने ऑलटाइम हाई के काफी करीब पहुंच गया है. पिछले साल 27 सितंबर को सेंसेक्स 85,978 अंक पर बंद हुआ था. यानी इस समय सेंसेक्स अपनी रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 400 अंक नीचे है. निफ्टी 50 भी अपने नए रिकॉर्ड हाई से लगभग 150 अंकों की दूरी पर है. सितंबर 2024 में इसने 26,277 अंकों का का स्तर छुआ था. बीएसई में लिस्टेड सभी कंपनियों का कुल मार्केट कैप 4 लाख करोड़ रुपये बढ़कर लगभग 474.87 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
जानकारों का कहना है कि सितंबर 2024 के बाद से बाजार अच्छा खासा गिर गया था. इसकी कई वजहें थीं. जैसे कंपनियों के शेयरों की वैल्युएशन काफी ज्यादा हो गई थी. शेयरों का वैल्युएशन मतलब किसी कंपनी के शेयर की असली कीमत का अंदाजा लगाना. यानी वह शेयर महंगा है या सस्ता है या अपनी सही कीमत पर ट्रेड हो रहा है. इसके अलावा कंपनियों के मुनाफे घटने से विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार अपने शेयर बेच रहे थे.
लेकिन अब ये सब दिक्कतें काफी हद तक कम हो गई हैं. इसके साथ ही दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों की तरफ से इंटरेस्ट रेट्स में कटौती की उम्मीदें हैं. भारत में भी जीएसटी टैक्स दरों में कमी के चलते आर्थिक ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
अब बात मार्केट में आई तेजी के कारणों की. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में शेयर बाजार में तेज़ी के कुछ कारण बताए गए हैं. मसलन, अमेरिका में आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती देखने को मिल सकती है. शेयर मार्केट में निवेश करने वाले लोग इसको लेकर उम्मीद जता रहे हैं कि अमेरिका का केन्द्रीय बैंक (फेडरल रिजर्व) दिसंबर 2025 की पॉलिसी मीटिंग में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है.
इधर, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी अपनी अगली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती कर सकता है. वजह ये कि रिटेल महंगाई रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ चुकी है. RBI की पॉलिसी मीटिंग 3 से 5 दिसंबर के बीच होगी.
बाजार में लौटी रौनक का एक और कारण अमेरिकी शेयर बाजार और एशियाई बाजारों में तेजी रही है. MSCI का एशिया-प्रशांत इंडेक्स 1% चढ़ा, जबकि जापान का निक्केई करीब 2 फीसदी उछला. MSCI एक ग्लोबल इंडेक्स बनाने वाली कंपनी है, जो दुनिया भर के शेयर बाज़ारों की परफॉर्मेंस को ट्रैक करने वाले इंडेक्स तैयार करती है. अमेरिका में 25 नवंबर को S&P 500 और Nasdaq लगातार तीसरे दिन चढ़े.
एक फैक्टर कच्चे तेल की कीमतों से भी जुड़ा है. इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें करीब 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं जो बीते एक महीने के निचले स्तर के आसपास हैं. दुनियाभर में कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ने की संभावना से कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव है. अमेरिका के निवेश बैंक जेपी मार्गन (JP Morgan) ने अनुमान लगाया है कि ब्रेंट क्रूड वित्त वर्ष 2026-27 के अंत तक 30 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में जा सकता है, क्योंकि सप्लाई तेज़ी से बढ़ रही है. अगर यह अनुमान सही निकलता है तो भारत को कई बड़े फायदे होंगे क्योंकि हम काफी मात्रा में कच्चा तेल विदेश से खरीदते हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक शेयर बाजार में आई तेजी की एक वजह विदेशी निवेशकों की खरीदारी बताई गई है. 25 नवंबर को FIIs नेट खरीदार बनकर उभरे. उन्होंने 785 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. आगे भी FIIs भारत के शेयर बाजार में तेजी दिखा सकते हैं क्योंकि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भारतीय कंपनियों की कमाई में तेजी की उम्मीद है.
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