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एक्सिडेंट होने पर नहीं देना पड़ेगा एक भी रुपया, थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस का 'अ से ज्ञ' आज जान लें

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, फर्स्ट पार्टी और सेकंड पार्टी के बीच एक तरह का कानूनी समझौता होता है. इस सुविधा के बदले बीमा कंपनी पॉलिसीहोल्डर से प्रीमियम चार्ज करती है.

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Third party insurance is manatory in India for vehicle buyers.
भारत में गाड़ी खरीदते समय थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेना जरूरी होता है. (तस्वीर साभार- Freepik)
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उपासना
7 अगस्त 2023 (Updated: 7 अगस्त 2023, 11:18 PM IST) कॉमेंट्स
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कोई कितनी ही अच्छी गाड़ी क्यों ना चलाता हो, एक्सिडेंट होने की संभावना हमेशा बनी रहती है. एक्सिडेंट छोटा हो या बड़ा, खर्चा भारी भरकम ही आता है और अगर एक्सिडेंट अपनी गाड़ी से हो जाए तो खेल ही खत्म. पहले सामने वाले की गाड़ी को नुकसान का पैसा दो, अगर किसी आदमी को चोट आई है तो उसके इलाज का खर्च भरो, उसके बाद अपनी गाड़ी को ठीक कराओ.

कई बार ऐसा भी होता है कि गलती नहीं होने पर भी सामने वाला शख्स आपसे पैसे वसूलने पर तुल जाता है. ऐसे में आप उसके खिलाफ कोर्ट भी जा सकते हैं. अगर कोर्ट गए तो कानूनी कामकाज का खर्चा अलग से. ऐसी ही स्थितियों में वित्तीय सुरक्षा देता है, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस. दरअसल, कार इंश्योरेंस पॉलिसी में तीन पार्टियों का जिक्र आता है.

फर्स्ट पार्टीः कार या गाड़ी का मालिक, जिसने इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी है.
सेकेंड पार्टीः बीमा कंपनी, जो नुकसान की भरपाई करती है.
थर्ड पार्टीः पॉलिसी लेने वाले की कार से जिस गाड़ी या प्रॉपर्टी या इंसान को नुकसान पहुंचा है.

और आसान शब्दों में कहें तो थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, फर्स्ट पार्टी और सेकंड पार्टी के बीच एक तरह का कानूनी समझौता होता है. इसमें सेकेंड पार्टी (बीमा कंपनी) फर्स्ट पार्टी (पॉलिसी होल्डर) से वादा करती है कि उसकी वजह से हुए सभी तरह के नुकसान की भरपाई कंपनी करेगी. इस सुविधा के बदले बीमा कंपनी पॉलिसी होल्डर से प्रीमियम चार्ज करती है.

इंडिया में दो पहिया से लेकर चार पहिया, कमर्शियल गाड़ियां, टैक्टर, ट्रक वगैरह सभी के लिए थर्ड पार्टी मोटर इंश्योरेंस लेना जरूरी है. ध्यान रहे, थर्ड पार्टी कवर तभी काम आता है जब आपकी गाड़ी से किसी तीसरे को (इंसान या गाड़ी) नुकसान हुआ हो. जिसकी गाड़ी से एक्सिडेंट हुआ है उसके नुकसान के लिए थर्ड पार्टी कवर से एक रुपया भी नहीं मिलता.

इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लेते हैं आप गाड़ी चला रहे हैं और सामने अचानक एक कुत्ता आ गया. उसे बचाने के चक्कर में आपने गाड़ी झटके से दूसरी तरफ मोड़ी. कुत्ता तो बच गया मगर आपकी गाड़ी बगल में खड़ी एक दूसरी गाड़ी में जाकर भिड़ गई. चूंकि, अनजाने में ही सही आपकी गाड़ी से दूसरे की गाड़ी को नुकसान हुआ है. इसलिए कानूनी तौर पर उसके नुकसान की भरपाई आपको करनी होगी. अगर कम नुकसान हुआ है तो खर्चा भी हुल्का-फुल्का आएगा. मगर नुकसान ज्यादा है तो भरपाई करने में बैंक बैलेंस भी खाली हो सकता है. बस इसी सिरदर्दी को दूर करने के लिए बनाए गए हैं थर्ड पार्टी इंश्योरेंस. 

आइए देखते हैं थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में क्या-क्या कवर होता है? यानी कि किस किस स्थिति में थर्ड पार्टी कवर का पैसा मिलता है. नियम के मुताबिक आपकी कार के साथ एक्सिडेंट की वजह सेः 

- किसी शख्स की मौत हो जाए.

- किसी को चोट लग जाए या जख्मी हो जाए.

- एक्सिडेंट के कारण कोई विकलांगता हो जाए.

- किसी की प्रॉपर्टी का कोई नुकसान हो जाए.

इन स्थितियों में आपके ऊपर बनने वाली देनदारी की भरपाई बीमा कंपनी करती है.

इस हाल में नहीं मिलेगा फायदा

- अगर लाइसेंस के बिना गाड़ी चला रहे हैं.

- शराब या मादक पदार्थ का सेवन करके गाड़ी चला रहे हैं.

- भारत की सीमा के बाहर गाड़ी चला रहे हैं.

- किसी आपराधिक काम या जोखिम वाले काम में संलिप्त पाए जाते हैं.

अगर एक्सिडेंट के बाद ऊपर बताई गई कोई भी स्थिति पाई जाती है तो थर्ड पार्टी कवर का पैसा नहीं मिलेगा.

थर्ड पार्टी कवर से जुड़ी कुछ जरूरी बातें

- थर्ड पार्टी कवर लेना इंडिया में अनिवार्य है. बेहद गंभीर हालात में थर्ड पार्टी कवर नहीं होने पर जुर्माना और जेल तक हो सकती है.

- मौत या चोट लगने की स्थिति मेंं बीमा कंपनी पूरा खर्च लौटाती है. इस स्थिति में कवरेज की कोई अधिकतम सीमा नहीं है.

- किसी एक्सिडेंट में कितने का नुकसान हुआ है इसका फैसला मोटर एक्सिडेंट्स क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) करता है. MACT जो रकम तय करती है, बीमा कंपनी उतने रुपये थर्ड पार्टी को लौटाती है.

- थर्ड पार्टी का प्रीमियम सभी कंपनियों के पास एक ही जैसा होता है और इसका प्रीमियम बाकी प्लान के मुकाबले किफायती भी होता है.

- हां, प्रॉपर्टी का नुकसान होने की स्थिति में अधिकतम साढ़े सात लाख रुपये ही मिलते हैं. अगर इससे ज्यादा का नुकसान हुआ है तो बाकी की रकम आपको ही भरनी होगी.

- नई कार लेने वाले को लगातार तीन साल तक वाला थर्ड पार्टी कवरेज लेना जरूरी होता है. अगर पुरानी कार है तो साल भर के हिसाब से थर्ड पार्टी कवरेज लेना होता है.

- थर्ड पार्टी कार इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम बीमा नियामक संस्था IRDAI तय करती है. सभी बीमा कंपनियां इसी हिसाब से थर्ड पार्टी कवर ऑफर करती हैं.

क्लेम करने का तरीका

- अगर आपकी गाड़ी से कोई नुकसान हुआ है तो सबसे पहले बीमा कंपनी को इसकी जानकारी दें.

- उसके बाद पुलिस के पास FIR दर्ज कराएं, जिसमें बीमा क्लेम से जुड़ी सारी जानकारी हो. FIR की एक कॉपी अपने पास भी रख लें. क्योंकि क्लेम लेने के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी.

- क्लेम रजिस्टर होने के बाद MACT के पास जाएगा. ट्रिब्यूनल जांच पड़ताल करके बताएगा कि मोटा मोटी कितने का नुकसान हुआ है.

- MACT के फैसले के आधार पर बीमा कंपनी के पास थर्ड पार्टी क्लेम जमा कर दें.

- क्लेम मिलते ही बीमा कंपनी आपकी तरफ से थर्ड पार्टी को नुकसान की रकम ट्रांसफर कर देगी.

थर्ड पार्टी क्लेम करने के लिए बीमा कंपनी के पास ये कागज जमा करने होंगेः

- साइन किया हुआ और पूरा भरा क्लेम फॉर्म.

- इंश्योरेंस पॉलिसी की एक कॉपी.

- पुलिस FIR की एक कॉपी.

- ड्राइविंग लाइसेंस की एक कॉपी.

- आईडी प्रूफ की कॉपी.

- अगर पुलिस की तरफ से कोई और कागज दिया गया है तो उसकी एक कॉपी.

थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस लेना जरूरी क्यों है?

देश में हर साल एक्सिडेंट के मामले बढ़ते जा रहे हैं. ज्यादातर एक्सिडेंट्स में गलती किसी और की होती है और भुगतना किसी और पड़ता है. लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए ही सरकार ने थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की व्यवस्था की है. साथ ही इसे अनिवार्य भी किया गया है. ताकि, गलती नहीं होने पर भी अगर किसी को नुकसान हुआ है उसे घाटा न उठाना पड़े. इसके अलावा मोटर वीकल एक्ट, 1988 के तहत थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लेने वाले पर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं होती है. आपकी गाड़ी से एक्सिडेंट होने पर ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित नहीं किया जाएगा. 

क्या थर्ड पार्टी कार इंश्योरेंस काफी है?

अगर कानूनी नजरिये से देखें या फिर किसी तीसरे की गाड़ी को नुकसान के लिहाज से भी थर्ड पार्टी इंश्योरेंस काफी है. मगर असल दिक्कत तब आती है जब अपनी गाड़ी के नुकसान की भरपाई करनी हो. क्योंकि ऊपर भी बताया गया है, थर्ड पार्टी कवर सिर्फ सामने वाले को हुए डैमेज की भरपाई होती है. अगर गाड़ी चोरी हो गई तो भी थर्ड पार्टी कवर में कोई फायदा नहीं मिलेगा. इसलिए अकेले थर्ड पार्टी कवर के भरोसे रहना घाटे का सौदा हो सकता है. 

बेहतर होगा कि आप वो इंश्योरेंस कवर लें जिसमें थर्ड पार्टी के साथ-साथ फर्स्ट पार्टी को डैमेज की भी भरपाई हो. ऐसे में तीसरी पार्टी को नुकसान का पैसा मिलता ही है साथ में अपने नुकसान पर भी पैसा मिलता है.

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