आपके होम और ऑटो लोन की ईएमआई कम करने का जुगाड़ मिल गया, बस इतना काम करना होगा
RBI के सर्कुलर के मुताबिक बैंक Spread की तीन साल वाली व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है. इसकी वजह से आपकी ईएमआई कम हो सकती है. हां, ये सब घर बैठे नहीं होने वाला. माने कोई ऑटोमैटिक प्रोसेस नहीं है. आपको बैंक जाना होगा.

आपके होम लोन और कार लोन की ईएमआई कम करने का एक मौजू जुगाड़ आ गया है. ना-ना आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है बल्कि जुगाड़ CIBIL से आया है. वही सिबिल स्कोर जिसके दम पर आपको लोन मिलता है. इसी स्कोर के बलबूते अब आप अपने लोन की ईएमआई भी कम कर पाएंगे. हां, ये सब घर बैठे नहीं होने वाला. माने कोई ऑटोमैटिक प्रोसेस नहीं है. थोड़ी मेहनत आपको भी करना होगी. क्या करना होगा. वो हमसे जान लीजिए.
Cibil बढ़ा तो ईएमआई कमCIBIL स्कोर क्या है, उसकी जानकारी तो आपको होगी ही सही. आपकी वित्तीय कुंडली जिसके बेस पर आपको लोन मिलता है. यहां स्कोर जितना अच्छा, लोन मिलना उतना आसान. लोन पर ब्याज की दर भी इसी स्कोर के बेस पर निर्धारित होती है. लेकिन हम इस स्कोर का इस्तेमाल सिर्फ लोन लेने के लिए करते हैं. लोन लिया और फिर भूल गए. इस स्कोर को हम तब तक नहीं देखते, जब तक फिर से लोन की जरूरत नहीं होती.
मगर अब इस स्कोर को साल-छह महीने में देखने की आदत लगा लीजिए. RBI खुद ऐसा चाहता है इसलिए उसने 1 अक्टूबर को नया सर्कुलर जारी किया है. इस सर्कुलर के मुताबिक अब ईएमआई पर फ्लोटिंग इन्टरेस्ट रेट के तीन साल वाले लॉक इन पीरियड को खत्म कर दिया गया है. RBI ने बैंक Spread की तीन साल वाली व्यवस्था को खत्म कर दिया है.
बैंकिंग वाली भाषा बता दी, अब आसान भाषा में समझते हैं. हमारे लोन के दो हिस्से होते हैं. पहला आरबीआई बेंचमार्क और दूसरा बैंक Spread. बेंचमार्क मतलब रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट वाला गुणा गणित. बैंक Spread मतलब आपके लोन की ईएमआई जो आपके क्रेडिट स्कोर, बैंक के मार्जिन और लोन (Loan Tenure) की उम्र पर निर्भर करती है. आरबीआई अभी तक इसमें तीन साल तक कोई बदलाव की इजाजत नहीं देता था. यहां एक बात और जान लीजिए. इसका संबंध आरबीआई के ब्याज दरों में बदलाव से नहीं है. वो एक ऑटोमैटिक प्रोसेस है. ब्याज घटा तो ईएमआई अपने आप कम हो जाती है.
बैंक Spread का मामला आपके वित्तीय स्कोर से जुड़ा है. इसलिए अगर आपने कोई लोन चुका दिया है या किसी और वजह से आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ गया है तो बैंक का रुख कीजिए. बैंक ना सुने तो उसे आरबीआई का सर्कुलर दिखा दीजिए और घटी हुई ईएमआई का मजा लीजिए.
सूचना समाप्त क्योंकि अपन चले बैंक.
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