चीन ने जिस रेयर अर्थ मैग्नेट से अमेरिका-यूरोप के पसीने छुड़ाए, वो अब भारत में बनेगा
सरकार इस नई योजना के तहत कुल 5 कंपनियों का चयन करेगी और इसके लिए दुनियाभर से बोलियां मंगाई जाएंगी. चुनी गई कंपनी को हर साल अधिकतम 1,200 मीट्रिक टन रेयर अर्थ मैग्नेट बनाने की अनुमति दी जाएगी.
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मोदी सरकार ने सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स (REPMs) के उत्पादन को बढ़ाने के लिए के लिए एक नई योजना को मंजूरी दे दी है. इसके तहत सरकार इन मैग्नेट्स के उत्पादन के लिए कंपनियों को 7,280 करोड़ रुपये देगी. इस पैसे से देश में हर साल 6,000 टन रेयर-अर्थ परमानेंट मैग्नेट बनाने की क्षमता तैयार की जाएगी. कुल बजट में से सरकार यह पैसा दो तरह से देगी. अगले 5 साल में कंपनियों को उनकी बिक्री के आधार पर प्रोत्साहन (इनसेंटिव) के रूप में 6,450 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. जबकि 750 करोड़ रुपये फैक्ट्री तैयार करने और मशीनें लगाने के लिए पूंजी सब्सिडी के रूप में दिए जाएंगे.
सरकार इस नई योजना के तहत कुल 5 कंपनियों का चयन करेगी और इसके लिए दुनियाभर से बोलियां मंगाई जाएंगी. चुनी गई कंपनी को हर साल अधिकतम 1,200 मीट्रिक टन रेयर अर्थ मैग्नेट बनाने की अनुमति दी जाएगी. यह पूरी योजना सात साल की होगी. इसमें पहले दो साल प्लांट तैयार करने, मशीनें लगाने और उत्पादन के लिए कंपनी खड़ी करने में लगेंगे. इसके बाद अगले 5 साल तक सरकार कंपनियों को उनकी बिक्री के आधार पर इनसेंटिव देगी.
इस योजना की खास बात ये है कि मैग्नेट बनाने की पूरी प्रक्रिया एक ही जगह पर होगी. इसमें सबसे पहले रेयर अर्थ ऑक्साइड को मेटल्स में बदला जाएगा. फिर इन मेटल्स से मिश्रधातु यानी एलॉय तैयार किया जाएगा. बाद में इन एलॉय से मैग्नेट बनाए जाएंगे. इस तरह कच्चे माल से लेकर तैयार उत्पाद तक का पूरा काम भारत में होगा.
बता दें कि भारत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट्स की अपनी ज्यादातर जरूरत को चीन से पूरी करता है. साल 2030 तक इन मैग्नेट्स की मांग दोगुनी होने की संभावना है. योजना से साफ जाहिर होता है कि सरकार चीन पर निर्भरता कम करना चाहती है. उसकी इस पहल का उद्देश्य देश में ही रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इकोसिस्टम तैयार करना है. इसका एक और बड़ा फायदा ये होगा कि देश में नए रोजगार पैदा होंगे, निवेश आएगा.
इन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में होता है. विंड टर्बाइन, रोबोट, मिसाइल और डिफेंस सिस्टम में भी इन्हें यूज किया जाता है. ये इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मोटर को हल्का और स्पीड में लाने का काम करते हैं. इलेक्ट्रिक गाड़ियों की परफॉर्मेंस काफी हद तक इन मैग्नेट्स पर निर्भर करती है. इतना ही नहीं, हमारी आपकी रोजमर्रा की जरूरतों जैसे स्पीकर, कैमरा, मोबाइल फोन वगैरह में भी ये मैग्नेट लगे होते हैं.
फिलहाल दुनियाभर में इन मैग्नेट्स का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन करता है. करीब-करीब 90% से ज्यादा. इसका मतलब हुआ है कि सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया के कई देश इन रेयर अर्थ के लिए चीन के भरोसे रहते हैं. इसलिए अगर चीन कभी सप्लाई रोक दे या कीमतें बढ़ा दे तो पूरी दुनिया में बवाल मच जाता है. इसी साल 4 अप्रैल को जब चीन ने रेयर-अर्थ मैग्नेट्स और कई दूसरे रेयर अर्थ मैग्नेट्स के आयात पर रोक लगाई थी तो इससे अमेरिका, यूरोप और भारत की EV इंडस्ट्री से लेकर डिफेंस सप्लाई चेन पर भारी असर पड़ा था. हालांकि बाद में भारत के लिए कुछ सीमित संख्या में लाइसेंस जारी किए गए, लेकिन अब भी काफी सख्त नियम हैं.
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