देश में कोरोना के आंकड़ों का रिकॉर्ड और ऊपर चढ़ गया है. पिछले 24 घंटे में यानी 6 अप्रैल को देश में कोरोना के 1 लाख 15 हज़ार 736 नए केस दर्ज हुए. ये एक दिन में आए अब तक के सबसे ज़्यादा केस हैं. कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल सितंबर में जितने मामले आए थे, उनसे भी 18 हज़ार ज्यादा हैं. 24 घंटे के भीतर कोरोना ने 630 लोगों की जान ले ली. और ये आंकड़ा अभी और ऊपर जाएगा. सरकार कह रही है कि अगले 4 हफ्ते हालात बहुत ही ज्यादा नाजुक रहेंगे.
एक सच्चाई इन आंकड़ों में है और दूसरी सच्चाई वो है जो हम अपनी आंखों से देख रहे हैं. देश के प्रधानमंत्री राज्यों के साथ बैठक में संक्रमण के लिए आगाह करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री जब चुनावी रैलियों के लिए निकलते हैं तो उनमें हज़ारों की भीड़ उमड़ती है. देश का एक हाईकोर्ट कहता है कि निजी कार में मास्क लगाना है, सड़क पर चलती गाड़ी भी पब्लिक प्लेस है, जबकि रैलियों में उमड़ती भीड़ के दौरान कोरोना की चिंताएं पीछे छूट जाती हैं. नेता बिना मास्क घूम रहे हैं, लेकिन अगर कोई आम आदमी सड़क पर सही से मास्क लगाए बिना दिखे तो उसके साथ बर्ताव दूसरे तरह का होता है. और इन घटनाओं को देखकर लगता है कि जैसे कोरोना के नाम पर सरकारी मशीनरी को वो हथियार मिल गया है जिसका आम जनता के खिलाफ इस्तेमाल होता है. तो कोरोना को लेकर ये दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है? क्यों सरकारें कोरोना की बंदिशें अपने अपने तरीके से इस्तेमाल कर रही हैं? और जो डर आम जनता को दिखाया जा रहा है, वो राजनीतिक रैलियों से क्यों गायब है?
कुछ उदाहरणों से ये बात समझते हैं
सबसे पहले बात मध्य प्रदेश के एक वीडियो की. मंगलवार को इंदौर से ये वीडियो आया, आप भी शायद देख चुके होंगे. सड़क पर दो पुलिस वाले एक आदमी को बुरी तरह से दबोचते दिख रहे हैं. सीन में एक बच्चा भी है जो कह रहा है कि पापा को छोड़ दो. इंदौर के फिरोज़ गांधीनगर चौराहे पर मंगलवार दोपहर साढ़े 12 बजे ये घटना हुई. पुलिस ने जिस आदमी को पीटा वो ऑटो ड्राइवर है, कृष्णा कुंजीर नाम है. और पिटाई की वजह क्या बताई गई. कहा कि मास्क ठीक से नहीं पहन रखा था, मास्क नाक के नीचे था. इसी जुर्म में पुलिसवाले उसे थाने ले जाना चाहते थे, वो जा नहीं रहा था तो पीट दिया.
विडियो रिपोर्ट देखिए
अगर किसी का आपराधिक बैकग्राउंड हो, या मास्क ठीक से नहीं पहन रखा हो तो भी कौनसा कानून कहता है कि उसे सड़क पर गिराकर पीटना चाहिए. इंदौर पुलिस के बजाय थोड़ा शांतिपूर्ण तरीका दिखाया एमपी की विदिशा पुलिस ने. मास्क ना पहनने वालों को सबक सिखाने का एक विचित्र तरीका विदिशा में शुरू किया गया. शहर के चौक पर कटआउट लगा दिया. इस पर लिखा है मैं कोरोना दूत हूं. जो मास्क नहीं पहनेगा उसकी तस्वीर कटआउट से साथ खींची जाएगी. ऐसा विदिशा के एसपी कह रहे है.
मध्य प्रदेश के इन दो उदाहरणों को देखकर लग रहा है कि पुलिस मास्क को लेकर बहुत ही गंभीर है. इतनी गंभीर कि मास्क ना पहनने वाले की पिटाई भी कर सकती है. राज्य की पुलिस गृह विभाग के अधीन आती है. और एमपी के गृह मंत्री हैं डॉ नरोत्तम मिश्रा. अब नरोत्तम मिश्रा के कुछ वीडियो और तस्वीरें देखते हैं. उनके ही ट्विटर अकाउंट पर ये वीडियो मिलते हैं.
‘दो मई ममता दीदी गई।’#Bengal की जनता भाजपा के इस आह्वान पर मुहर लगाकर #MamataBanerjee की सरकार को उखाड़ फेंकने जा रही है। पहले चरण की वोटिंग में ही दीदी को इस हकीकत का अहसास हो गया है। तुष्टिकरण की राजनीति के कारण उन्हें घुसपैठिए अपने और राष्ट्रवादी बाहरी लगते हैं। pic.twitter.com/b5VGESAKwD
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) April 5, 2021
आपको बस ये गौर करना है कि उन्होंने या उनके आसपास कितने लोगों ने मास्क पहना है. नरोत्तम मिश्रा बिना मास्क के हैं. उनके बगल में खड़ा आदमी भी बिना मास्क है. नरोत्तम मिश्रा पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार में बिजी हैं और ये वीडियो भी वहीं का है. ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ एक वीडियो के आधार पर हम नरोत्तम मिश्रा के बारे में कोई नैरेटिव बना रहे हैं. कुछ और तस्वीरें देखिए. नरोत्तम मिश्रा और साथ में बीजेपी के कुछ और नेता. किसी के चेहरे पर मास्क नहीं दिखता है. ये एक और तस्वीर देख लो. इसमें भी मास्क नहीं. खोजेंगे तो ऐसी दर्जनों और तस्वीरें मिल जाएंगी. ये वही नरोत्तम मिश्रा हैं जिन्होंने पिछले साल सितंबर में कह दिया था कि वो किसी कार्यक्रम में मास्क नहीं पहनते. हालांकि बाद में फज़ीहत होते देख इन्होंने कह दिया था कि वो बात तो इनके मुंह से निकल गई थी, कहना नहीं चाहते थे.
नरोत्तम मिश्रा मास्क का कोई लोड नहीं लेते लेकिन उनके अधीन आने वाली पुलिस को कोई ऑटो वाला बिना मास्क मिल जाए तो उसे बीच सड़क पर पीट दिया जाता है.
दूसरा उदाहरण उत्तर प्रदेश का लेते हैं
उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ से ये वीडियो आया. एक आदमी को पुलिस वाले जबरदस्ती गाड़ी में बैठा रहे हैं. डिटेल ये आई कि वीडियो में दिख रहा आदमी सर्राफा कारोबारी आशीष गोयल है. मास्क ना पहनने के इल्ज़ाम में उसे गाड़ी में डालकर ले जाया जा रहा है. पूरी बात ये है कि मंगलवार को SDM सदर गौरव कुमार और CO सिटी राजेश तिवारी फोर्स के साथ कोरोना गाइडलाइन का अनुपालन कराने निकले थे. यहां सराफा कारोबारी आशीष गोयल की दुकान पर SDM और CO ने कुछ ग्राहकों को बिना मास्क के देखा. अधिकारी दुकान में घुस गए. इसी दौरान सराफा कारोबारी आशीष गोयल से उनकी किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई. आरोप है कि पुलिस ने व्यापारी के साथ मारपीट की और घसीटते हुए ले गए. परिवार वाले कह रहे हैं कि दुकान के अंदर 15 पुलिसवाले घुसे थे और मारपीट की.
अब ये मास्क ना पहनने वाला अपराध ऐसा नहीं है कि किसी को मारपीट करके थाने ले जाया जाए. और अगर ऐसा है तो ये नियम सबके लिए क्यों नहीं हैं. अगर अगर ये मान भी लें कि योगी आदित्यनाथ कोरोना और मास्क को लेकर गंभीर हैं. तो ये गंभीरता तब कम क्यों हो जाती है जब उनकी ही चुनावी रैलियों या रोड शो में हज़ारों लोग रहते हैं. ज्यादातर बिना मास्क के. पश्चिम बंगाल या दूसरे राज्यों के चुनावों में हमने उनकी ऐसी ही रैलियां देखी हैं.
और भी राज्यों की बात कर लेते हैं. कांग्रेस शासित राजस्थान की बात करते हैं. वहां अब कोरोना के दो हज़ार से ज्यादा केस आ रहे हैं. कई शहरों में नाइट कर्फ्यू है. राज्य के बाहर से आने वालों के लिए कोविड नेगेटिव रिपोर्ट होना ज़रूरी है. लेकिन उपचुनाव में प्रचार की बात हो तो ये नियम नहीं रहते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ही ट्विटर पर उनकी रैलियों की तस्वीरें मिल जाएंगी जिनमें बिना मास्क भीड़ जुट रही है.
BJP’s real face, character & agenda have now been totally revealed, they are now being exposed, PM Narendra Modi ji’s own graph is going down. The people of #Bengal and #Assam are very sensible, they understand very well what is happening in the country.
:PC at Assam PCC pic.twitter.com/hO0uaxJ7Pi
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) March 31, 2021
उत्तराखंड के हरिद्वार में तो कुंभ चल रहा है. बीजेपी के तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री हैं. वो अभी कोरोना से ठीक हुए हैं लेकिन कुंभ में आए तो बिना मास्क के दिखे. पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, ममता बनर्जी या दूसरी पार्टियों की रैलियां तो हम देख ही रहे हैं जहां कोई कोरोना का लोड नहीं ले रहा. इसलिए सोशल मीडिया पर ये सवाल पूछे जा रहे हैं कि कोरोना चुनावी रैलियों में क्यों नहीं होता है. केंद्र सरकार दिल्ली में बैठकर कोरोना पर चिंता जताती है लेकिन चुनाव की रैलियों में कोरोना को क्यों भूल जाती है.
तर्क ये दिया जाता है कि कोरोना की इस दूसरी लहर से चुनावी राज्य प्रभावित नहीं है. महाराष्ट्र जैसे सिर्फ 5 राज्यों में ये मामले आ रहे हैं. लेकिन इस बात में भी आधी ही सच्चाई है.
चुनावी राज्यों में टेस्टिंग घटा दी गई है?
ये हमें शुरू से ही मालूम है कि कोरोना के नए मामलों का सीधा संबंध टेस्टिंग से है. टेस्टिंग ज्यादा होगी तो कोरोना के मामले ज्यादा आएंगे. और आंकड़े देखने पर मालूम चलता है कि चुनावी राज्यों में टेस्टिंग घटा दी गई है. एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक एक अक्टूबर को पश्चिम बंगाल में करीब 44 हज़ार टेस्टिंग हुई थी, लेकिन 5 अप्रैल को 26 हजार 174 लोगों की ही टेस्टिंग हुई. यानी टेस्टिंग में 6.4 फीसदी की कमी कर दी. तमिलनाडु में साढ़े 4 फीसदी, केरल में साढ़े 8 फीसदी, असम में 3 फीसदी और पुदुचेरी में 6.2 फीसदी टेस्टिंग रेट घटाई गई है. इसके मुकाबले उन राज्यों में ज्यादा टेस्टिंग हो रही है जहां चुनाव नहीं हैं. मसलन मध्य प्रदेश में टेस्टिंग 4.8 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 6.3 फीसदी बढ़ाए गए हैं.
कम टेस्टिंग के बावजूद भी इन राज्यों में नए मामले तेज़ी से आ रहे हैं. पिछले 2 हफ्ते में बंगाल में नए मामले 6 गुना तक बढ़ गए हैं. तमिलनाडु में पिछले दो हफ्ते कोरोना के मामले लगभग तीन गुना हो गए.
यानी कोरोना तो बढ़ रहा है. और चुनावी राज्यों में भी बढ़ रहा है. लेकिन इसे राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी सहूलियत के हिसाब से भुना रही हैं. कब कहां सख्ती करनी है, चुनाव जैसे कई पैमानों से तय किया जा रहा है. हम ये नहीं कहते कि मास्क नहीं पहनना चाहिए, या कोरोना का खतरा जानलेवा नहीं है. बिल्कुल है. और मास्क नहीं पहनने जैसी हमारी लापरवाहियों से ही ये और बढ़ रहा है. इसलिए हमें तो सावधान होना ही है. ज़रूरी ये भी है कि सरकारें भी इस पर दोहरा रवैया रखना बंद करें.
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