“आप भी किसान हैं. यहां आंदोलन क्यों नहीं फैल गया? ये 10-15 लोग हैं. अगर मैं गाड़ी से उतर जाता तो उनको भागने का रास्ता नहीं मिलता. पीठ पीछे काम करने वाले 10-15 लोग यहां पर शोर मचाते हैं. ऐसे तो अगर कृषि कानून ख़राब होते तो पूरे देश में आंदोलन फैल जाना चाहिए था. क्यों नहीं फैला? मैं ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं सुधर जाओ. नहीं तो हम आपको सुधार देंगे. दो मिनट लगेगा केवल.
मैं केवल मंत्री, सांसद या विधायक नहीं हूं. जो लोग विधायक या मंत्री बनने से पहले मेरे बारे में जानते होंगे, वे जानते हैं कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूं. जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया, उस दिन बलिया क्या, लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जाएगा. ये याद रखिएगा.”
‘We’ll fix you – won’t take 2 minutes’
Minister of State for Home Ajay Mishra TeniAfter this statement, the farmers who came to protest against the black farm laws were crushed by the son of Minister Teni with his car, many farmers died.#LakhimpurKheri pic.twitter.com/q8MzWVYvNn
— Pichhi Puvvu | BrainLess Flower (@PichhiPuvvu56) October 3, 2021
वीडियो कुछ दिन पहले का है. उत्तर प्रदेश का है. आज इसका ज़िक्र कर रहे हैं क्योंकि वीडियो जिसका है, जो ये बातें कह रहा है, वो UP के लखीमपुर खीरी में हुए पूरे घटनाक्रम के केंद्र में है. नाम- अजय मिश्रा ‘टेनी’. भाजपा नेता. वर्तमान में केंद्र में मंत्री. अजय मिश्रा ने कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों को धमकी भरे लहजे में ये बात कही थी. कहा जा रहा है कि इसी वीडियो के वायरल होने के बाद लखीमपुर और आस-पास स्थितियां बिगड़ती चली गईं. और इस क़दर हिंसक हो गईं.
अजय मिश्रा कौन हैं? सांसद, विधायक, मंत्री बनने से पहले का उनका कौन सा इतिहास है, जिसका वो दंभ भर रहे हैं? राज्य और केंद्र की राजनीति में उनका क्या स्थान है, सब जानते हैं.
खीरी के महाराज
लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश के बड़े जिलों में से एक है. नेपाल की सीमा के पास होने के कारण भी इसकी अहमियत रहती है. दुधवा नेशनल पार्क और पीलीभीत टाइगर रिज़र्व, दोनों लखीमपुर खीरी में ही हैं. खीरी का ही एक गांव है – बनवीर पुर. यहां 25 सितंबर 1960 को अजय मिश्रा का जन्म हुआ था. पढ़ाई-लिखाई अच्छी रही. बैचलर्स ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की. खीरी में वे ‘महाराज’ या ‘टेनी’ के नाम से चर्चित हैं.
अजय मिश्रा का नाम बड़ा हुआ 2000 के बाद से. इलाके में अच्छी दबंगई रखने के कारण उनकी जान-पहचान बनी. फिर अजय मिश्रा का नाम प्रभात गुप्ता मर्डर केस में आया. प्रभात गुप्ता तिकुनिया गांव का रहने वाला 24 वर्षीय युवक था. 2003 में उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. अजय मिश्रा इस हत्याकांड में नामजद थे. लेकिन एक साल बाद ही स्थानीय अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त कर दिया. प्रभात गुप्ता मर्डर केस की सुनवाई के दौरान ही टेनी पर कोर्ट परिसर में हमला भी हुआ था. उन पर गोली चली थी. टेनी को मामूली चोट आई थी. लेकिन इन सभी घटनाक्रमों के बीच अजय मिश्रा का रसूख़ थोड़ा और चौड़ा होता गया.
राजनीति में एंट्री
2004-05 से अजय मिश्रा राजनीति में सक्रिय रहने लगे. 2009 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य बने. रुतबा बढ़ता गया और 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा की तरफ से टिकट मिल गया. निघासन सीट से. अजय मिश्रा ने सपा के आरए उस्मानी को करीब 22 हज़ार वोट से हराया. 2014 में लोकसभा चुनाव की बारी आई तो अजय मिश्रा के लिए दिल्ली से फरमान आ गया. कि निघासन सीट खाली कर दीजिए, आपको लोकसभा लड़ना है.
विधायक जी को खीरी लोकसभा सीट से टिकट मिला और उन्होंने बसपा के अरविंद गिरी को करीब एक लाख, 10 हज़ार वोट से बड़े अंतर से हरा दिया. नेमप्लेट से विधायक की पट्टी आउट, सांसद की पट्टी इन. पांच साल तक सांसदी चली. साल आया 2019. फिर से हुए लोकसभा चुनाव. अजय मिश्रा को खीरी से ही टिकट मिला और उन्होंने एक बार फिर सीट निकाली. सपा की पूर्वी वर्मा को हराया. इस बार जीत का अंतर पिछली बार से भी बड़ा था. 2 लाख से भी ज़्यादा वोटों का.

मोदी कैबिनेट में UP का ब्राह्मण चेहरा
अजय मिश्रा टेनी की सियासत में सबसे बड़ा दिन आया 7 जुलाई 2021 को. जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमाम बड़े नेताओं की मौजूदगी में उनका नाम पुकारा गया. माननीय अजय कुमार.
एक बड़े से हॉल में पीछे की कतार में बैठे अजय मिश्रा उठकर आगे आते हैं. माइक के सामने अपनी बात शुरू करते हैं.
“मैं अजय कुमार, ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा.”
आप जो समझ रहे हैं, वो ठीक समझ रहे हैं. माननीय सांसद जी, अब माननीय मंत्री जी बन चुके थे. अजय मिश्रा ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली और उन्हें केंद्रीय गृह राज्य मंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई. मोदी कैबिनेट में वे UP से इकलौते ब्राह्मण चेहरे के तौर पर शामिल हुए.
1996 में खुली थी हिस्ट्रीशीट
अजय मिश्रा अब मंत्री बनने के बाद अपने जिस इतिहास का ज़िक्र कर रहे हैं, उसके बारे में भी बता देते हैं. 1990 में थाना तिकुनिया में उनके ख़िलाफ़ धारा 323, 324 और 504 में केस दर्ज हो चुका है. ये धाराएं मारपीट करने, घातक आयुध हथियारों से हमला करने जैसे मामलों में लगती है. 1996 में कोतवाली तिकुनिया में अजय मिश्रा की हिस्ट्रीशीट भी खोली गई थी. लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद हिस्ट्रीशीट बंद कर दी गई थी. इसके अलावा 2007 में मारपीट और धमकी के मामले में अजय मिश्रा और उनके बेटे आशीष भी नामजद किए गए थे.
3 महीने के भीतर ही खीरी हिंसा
अजय मिश्रा के मंत्री बनने के 3 महीने के भीतर ही खीरी में बड़ा संघर्ष हो गया. 3 अक्टूबर को खीरी में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के काफिले को काला झंडा दिखाने की तैयारी कर रहे किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने का मामला सामने आया. 4 लोगों की इसमें मौत हो गई, कई घायल हुए. गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगा अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू पर. घटनाक्रम के बाद मोनू मिश्रा की तीन गाड़ियों में आग लगा दी गई. किसान भी उग्र हो गए. हिंसा में 3 से 4 लोगों की और जान गई. आशीष मिश्रा के ख़िलाफ़ FIR हो गई. हालांकि टेनी ने बेटे का बचाव करते हुए कहा –
“हमारे कार्यकर्ता मुख्य अतिथि के स्वागत के लिए वहां गए हुए थे. उसी समय कुछ शरारती तत्वों ने काफिले पर हमला कर दिया. इसके चलते गाड़ी का चालक घायल हो गया और वह कार पर नियंत्रण खो बैठा. कार्यक्रम ओपन एरिया में हो रहा था. हजारों लोग मौजूद थे. इस दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी थे. मेरा बेटा वहां 11 बजे से मौजूद था और कार्यक्रम खत्म होने तक वो वहीं रहा.”
किसानों के बीच छुपे हुए कुछ उपद्रवी तत्वों ने उनकी (भाजपा कार्यकर्ताओं) गाड़ियों पर पथराव किया, लाठी-डंडे से वार करने शुरू किए। फिर उन्हें खींचकर लाठी-डंडों और तलवारों से मारापीटा, इसके वीडियो भी हमारे पास हैं: लखीमपुर खीरी की घटना पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी pic.twitter.com/H2ytWPc9HB
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 3, 2021
कौन हैं आशीष मिश्रा
अजय मिश्रा टेनी के बड़े बेटे हैं आशीष मिश्रा. चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में सक्रिय रहने लगे थे. भारतीय जनता युवा मोर्चा के अवध क्षेत्र के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. पेट्रोल पंप और ईंट भट्ठे समेत परिवार के तमाम व्यवसाय संभालते हैं. आशीष मिश्रा का छोटा भाई लखीमपुर में जिला सहकारी बैंक का डायरेक्टर है. ऐसे समीकरण बन रहे हैं कि कभी अजय मिश्रा की विधानसभा सीट रही निघासन से इस बार आशीष मिश्रा को टिकट मिल सकता है. अब खीरी कांड के बाद भी ये समीकरण कितना टिकते हैं, ये देखना होगा.
अजय मिश्रा के पिता अंबिका प्रसाद मिश्रा पहचाने हुए पहलवान थे. उनके समय से बनवीरपुर गांव में सालाना दंगल का आयोजन होता आया है. इस समय आशीष मिश्रा ही इस दंगल आयोजन समिति के अध्यक्ष हैं.
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