ज़्यादातर मैसेजिंग ऐप घाटे में चलते रहते हैं, क्योंकि इनका शुरुआती गोल पैसा कमाना नहीं, ज़्यादा यूजर इकट्ठा करना होता है. वॉट्सऐप का टक्करी ऐप टेलीग्राम अब 50 करोड़ यूजर का आंकड़ा छूने वाला है. इसी के साथ कंपनी अब पैसा कमाने के प्लान पर काम करने लगी है.
टेलीग्राम के फाउन्डर पावेल डूरोव (Pavel Durov) ने बताया है कि अगले साल से टेलीग्राम ऐप में ऐड्वर्टाइज़ दिखेंगे. मगर ये ऐड पर्सनल चैट या ग्रुप में नहीं होंगे बल्कि सिर्फ़ पब्लिक टेलीग्राम चैनल पर नज़र आएंगे. बड़े-बड़े टेलीग्राम चैनल के मालिक खुद से ऐड दिखाकर पैसा कमाते हैं, मगर इनमें कई ऐड जुआ, लॉटरी या स्कैम के होते हैं. टेलीग्राम का खुद का ऐड प्लैट्फॉर्म इन दिक्कतों को दूर कर सकता है.
डूरोव ने ये भी कहा कि टेलीग्राम प्रीमियम स्टीकर बेचकर भी पैसे बना सकता है. हालांकि फाउन्डर साहब ने ये क्लियर कर दिया कि टेलीग्राम के मौजूदा सारे फीचर फ़्री ही रहेंगे. इससे पहले पैसा बनाने के लिए टेलीग्राम बिटकॉइन के जैसा ही एक ब्लॉक चेन प्रोजेक्ट बना रहा था. मगर अमेरिकी कोर्ट और SEC (सिक्योरिटी एण्ड एक्सचेंज कमीशन) से बात बिगड़ने के चलते टेलीग्राम ने ये प्रोजेक्ट गिरा दिया.
वॉट्सऐप पैसे कैसे कमाता है?

वॉट्सऐप को जान कूम (Jan Koum) और ब्रायन ऐक्टन (Brian Acton) ने 2009 में एक स्टेटस अपडेट करने वाले ऐप की तरह बनाया था. इसे आज 100 करोड़ से ज़्यादा लोग इस्तेमाल करते हैं. शुरुआती दिनों में वॉट्सऐप हर साल यूजर से 1 डॉलर लेता था. बाद में वॉट्सऐप ने शुरुआती 1 डॉलर लेना बंद कर दिया. तब यूजर को एक साल पूरा होने पर सर्विस आगे चालू रखने के लिए पैसे देने पड़ते थे.
मगर वॉट्सऐप ने कभी ऐड्वर्टाइज़ नहीं दिखाए. क्यों? क्योंकि वॉट्सऐप के फाउन्डर किसी सूरत में नहीं चाहते थे कि ऐप में ऐड दिखें. इस बात को उन्होंने 2012 में लिखी एक ब्लॉग पोस्ट में पूरी तरह साफ़ कर दिया था. फ़िर फ़ेसबुक ने 2014 में वॉट्सऐप को खरीद लिया, और 2016 से इसे पूरी तरह से फ़्री बना दिया. तो अब पैसा कहां से आएगा?
वॉट्सऐप की कमाई का फिलहाल एक जरिया है- वॉट्सऐप बिज़नेस.
वॉट्सऐप का एक बिज़नेस ऐप है, जिसका इस्तेमाल कंपनियां कस्टमर सर्विस या फ़िर वॉट्सऐप पर अपना सामान बेचने के लिए करती हैं. बड़ी कंपनियों के यहां वेरीफ़ाइड अकाउंट हैं. अगर आप इस तरह के किसी भी बिज़नेस को मैसेज करेंगे, और सामने से कंपनी 24 घंटे तक कोई जवाब न दे तो वॉट्सऐप इनसे पैसा वसूलता है.

ऐसा करने से पैसा तो बनेगा ही, साथ में कंपनियां वॉट्सऐप पर ज़्यादा ऐक्टिव रहेंगी और कस्टमर को भी टाइम पर जवाब पाकर मज़ा आएगा. जब ये रिलेशनशिप बढ़िया से बन जाएगा, तो शायद आगे चलकर पैसा कमाने के लिए वॉट्सऐप कुछ दूसरे तरीके भी ढूंढ सकता है. बिज़नेस पर शॉपिंग और वॉट्सऐप में पेमेंट भी इसी का हिस्सा बन सकते हैं.
वॉट्सऐप के पास तो फिलहाल कोई और तरीका नहीं है पैसा कमाने का मगर वॉट्सऐप के होने से फ़ेसबुक के पास एक नए तरह के ऐड आते हैं. “क्लिक टु वॉट्सऐप ”, यानी कि क्लिक करके वॉट्सऐप पर पहुंचाने वाले ऐड. ऐसे ऐड पर क्लिक करके आप सीधे उस कंपनी के वॉट्सऐप बिजनेस अकाउंट के साथ चैट में पहुंच जाएंगे.
वॉट्सऐप की स्टोरीज़ में ऐड?

वॉट्सऐप की तरफ़ से ये बात आई है कि वह जल्द ही स्टोरीज़ में ऐड्वर्टाइज़ दिखाना शुरू करेगा. ये ऐड ठीक वैसे ही होंगे, जैसे इस वक़्त फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम की स्टोरीज़ में ऐड दिखते हैं. वॉट्सऐप से कमाई को लेकर फ़ेसबुक का ये कदम वॉट्सऐप के दोनों फाउन्डर के गले से तो किसी हाल में नहीं उतरता. दोनों ही बंदे ऐड के सख्त खिलाफ थे, और कमाई के ज़रिए को लेकर ही दोनों ने वॉट्सऐप छोड़ दिया था.
ब्रायन ऐक्टन ने तो अपने हिस्से के 85 करोड़ डॉलर या 6,000 करोड़ रुपए लिए बिना ही सितंबर 2017 में कंपनी छोड़ दी थी. और जान कूम ने अपना पैसा उठाकर अप्रैल 2018 में कंपनी को बाय बाय कह दिया. दोनों का मानना था कि जब ऐड्वर्टाइज़िंग शामिल हो जाती है तो यूजर खुद प्रोडक्ट बन जाता है. अपनी 2012 की एंटी-ऐड वाली ब्लॉग पोस्ट को जान और ब्रायन ने फाइट क्लब मूवी के एक डायलॉग से शुरू किया था, और हम उसी डायलॉग पर इस स्टोरी को खत्म कर रहे हैं:
Advertising has us chasing cars and clothes, working jobs we hate so we can buy shit we don’t need– Tyler Durden, Fight Club.
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