विनीत दी लल्लनटॉप के रीडर और पक्के वाले दोस्त हैं. बलिया से हैं. जहां से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने थे. उन्हीं ने देवस्थली विद्यापीठ स्कूल खोला था जिस स्कूल में पढ़े हैं विनीत. आजकल मुंबई में रहते हैं और वहीं से दुनिया देख रहे हैं. अपने देखे सुने का तमाम एक्सपीरिएंस लल्लन के साथ भी बांटते हैं. अपने दोस्त मकालू से परेशान रहते हैं, उसके किस्से भेजते हैं. आप भी पढ़िए.
मेरा दोस्त मकालू मिला. सूट बूट में लेकिन परेशान और हैरान सा. शक्ल बिगडी हुई, बाल बिखरे हुए. खुद अकेले बड़बड़ाए जा रहा था. हालत देखकर मैं समझ गया कि पक्का मकालू किसी टीवी चैनल के स्टूडियो से डिबेट करके वापस आ रहा है. आम तौर पर मैं उससे नज़रें बचा कर निकल लेता हूं, लेकिन आज आगे बढ़ कर मैंने खुद पूछ लिया- क्या हाल चाल है दोस्त?
मकालू बोला- अच्छा हुआ मिल गए गुरु, बड़ी दुविधा में हूं. कुछ मदद करो.
मैंने कहा- कोशिश पूरी करूंगा, पूछो.
मकालू ने सवाल दागा- ये बताओ, मैं जब भी गांव जाता हूं हमेशा सबके दरवाजे पर जवान, स्वस्थ और दूध देने वाली गाय ही दिखती है. ये थोड़ी गड़बड़ बात नहीं है?
ये तो अच्छी बात है, कैसी फिजूल की बात कर रहे हो.
मकालू बोला- फिर सबकी बूढी गायें कहां जाती हैं?
कहां जाती हैं? अरे जब मवेशी दूध देना बंद कर देते हैं तो लोग उसे बेच देते हैं. कौन रखें और कौन खिलाए. वैसे ही किसानों पर मंहगाई इतनी मार है- मैंने जवाब दिया.
मकालू बोला – हां मानता हूं तुम्हारी बात. लेकिन वही तो पूछ रहा हूं. जब लोग दूध पीने के बाद भी मवेशियों को बुढ़ापे में खुद नहीं रखते तो उनको बुढ़ापे में खरीद कर ले जाने वाला क्यूं रखता होगा. आखिर क्या करता होगा?
मकालू एक के बाद एक सवाल दागता गया.
गुरु मैंने देखा है. जब लोग जूता और बेल्ट खरीदते हैं तो दुकानदार से बीसियों बार पूछते हैं कि ‘ओरिजनल लेदर’ का तो है ना? क्या कभी बेल्ट का साइज देखकर कुछ ख्याल नहीं आता होगा लोगों के मन में?
कोई क्या जवाब देगा ऐसे सवालों का, मकालू कुछ और पूछता इससे पहले मैंने बात बदलने की के लिए खुद ही पूछ लिया- छोड़ो भी मकालू इन फिजूल की बातों को, ये बताओ ये हुलिया क्यूं खराब हो रखा है तुम्हारा?
मकालू गुस्से में बोला- लगता है ना टीवी देखते हो और ना सोशल मीडिया पर हो. मेरे पीटने का वीडियो वायरल हो गया है, और तुम्हें कुछ खबर ही नहीं है.
मैंने कहा- सोशल मीडिया पर हूं तो सही पर मैं सिर्फ लाइक और शेयर करके अपनी स्मार्टनेस साबित करने में व्यस्त रहता हूं, बाकी बातों में ध्यान नहीं दे पाता. खैर किसने पीट दिया तुमको.
मकालू झुंझलाता हुआ बोला – गुरु एक न्यूज चैनल वाले ने डिबेट में बुलाया था. यही सब जो मैंने तुमसे पूछा मैंने वहां भी पूछ लिया. जवाब में सालों ने जूतों से पिटाई कर दी. जबकि मैं तो खुद किसी भी तरह की जीव हत्या का विरोधी हूं. बचपन से ही शाकाहारी हूं.
ये तो बिल्कुल गलत है. एंकर ने बचाया नहीं? – मैंने पूछा, मैं जेनुएनली कन्सर्न्ड था.
मकालू कुछ याद करके अचानक गुस्से में आ गया, बोला- यही तो सबसे बुरी बात हुई. शुरूआत ही एंकर ने माइक फेंक कर करी थी.
मैं समझ गया था कि मकालू आज किसी “फैसला आन द स्पाट” टाइप किसी एंकर के हाथ लग गया था. और इससे पहले कि वो अपना गुस्सा मुझ पर ही उतार देता. अपनी बेहतरी के लिए मैंने दुआ सलाम करके खिसक लेना उचित समझा.
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