कैप्टन. सुनकर ही फील आ जाता है. सेना से इतर कैप्टंस भले ही छाती पर मेडल टांगे ना मिलें, लेकिन टीम द्वारा जीती गई हर ट्रॉफी के साथ वह स्वतः ही रिकॉर्डबुक्स में आ जाते हैं. बीते बुधवार, 8 दिसंबर को टीम इंडिया को नया वनडे कप्तान मिला. विराट कोहली की जगह अब रोहित टीम को लीड करेंगे. इस फैसले के पीछे के कारण जो भी हों, लेकिन एक बात साफ है कि अब रोहित ज्यादा चर्चा में रहेंगे.
टीम इंडिया का कैप्टन होने के नाते वह ज्यादा से ज्यादा सुर्खियां बटोरेंगे. और इसके साथ ही कई अन्य मोर्चों पर भी रोहित को फायदा होगा. ऐसे में हमने सोचा कि क्यों ना इसी बहाने एक कप्तान और प्लेयर के बीच के अंतर पर चर्चा कर लें. कप्तान का अलग रुतबा तो टीवी पर भी साफ दिखता ही है, लेकिन इस पोस्ट की जिम्मेदारी भी बहुत होती है. खासतौर से क्रिकेट जैसे खेल में. जहां मैदान पर या उसके किनारे से कोई आप पर चिल्लाने वाला नहीं होता.
# Captain Role & Duty
जो नहीं जानते उन्हें बता दें कि हॉकी और फुटबॉल जैसे खेलों में टचलाइन, बोले तो मैदान का वह हिस्सा जहां गेंद जाने से गेम दोबारा शुरू करना पड़ता है, कोच वहां खड़े होकर चिल्लाते रहते हैं. अपनी टीम को बताते रहते हैं कि उन्हें क्या करना है, वह क्या गलत कर रहे हैं. लेकिन क्रिकेट में ऐसा नहीं होता. प्लीज ड्रिंक्स के साथ आने वाली पर्चियों की बात मत करिएगा. क्योंकि वो हमेशा नहीं आतीं.
ऐसे में मैदान के अंदर खड़ा कप्तान बिल्कुल अकेला होता है. चीजें कंट्रोल करने, उन्हें बदलने और बदले हालात से लड़ने के लिए उसे खुद पर भरोसा करना पड़ता है और चीजें सही करनी होती हैं. फिर चाहे वो बोलिंग चेंज हो या फिर फील्ड प्लेसमेंट. और फिर बैटिंग के वक्त बैटिंग ऑर्डर में कुछ इधर का उधर करना भी तो इसमें शामिल ही है.
To sack an ODI captain as successful as @imVkohli with a terse press release and no explanation is hardly ideal but typical of the way the dice rolls in Indian cricket. Venkatraghavan was removed as captain in 1979 through a flight pilot announcement! @SGanguly99 @BCCI @JayShah
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) December 9, 2021
याद करिए 2011 वनडे वर्ल्ड कप फाइनल. मुरली के आगे लेफ्टी युवराज को ना उतरने का धोनी का फैसला. इस एक फैसले ने श्रीलंका के सबसे बड़े हथियार की धार कुंद कर दी. और भारत वर्ल्ड चैंपियन बन गया. जाहिर है कि इंडिया को वर्ल्ड चैंपियन सिर्फ एक फैसले ने नहीं बनाया. लेकिन ऐसे कई फैसले मिले तभी हम सालों बाद दोबारा वर्ल्ड कप उठा पाए.
ऐसे ही उदाहरण के लिए 2007 T20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ बॉलआउट मैच को भी ले सकते हैं. जब पाकिस्तानी कप्तान रेगुलर बोलर्स के पास गए लेकिन धोनी ने सहवाग और उथप्पा जैसे बल्लेबाजों को गेंद थमा दी. और भारत पहले मैच और फिर वर्ल्ड कप जीत गया.
ये तो हुई जिम्मेदारी की बात. इसके साथ ही कैप्टन होने का अर्थ है कि आप टीम को लीड करेंगे. अब लीड करेंगे तो सबसे ज्यादा बात आपकी ही होगी. और ऐसा होते ही आपके पीछे आता है मार्केट. ब्रैंड वैल्यू आसमान छूती है. तमाम ब्रांड्स आपको साइन करने के लिए लाइन लगा लेते हैं. यानी कप्तानी मिलने के बाद आपकी कमाई भी बढ़ती है. हर चीज में आप पहले आते हैं. बोले तो टीम के प्रथम पुरुष या महिला आप ही होते हैं.
1992 में साउथ अफ्रीका दौरे पर गई भारतीय टीम की कहानी