आज किस्सा एक तस्वीर का. तस्वीर अमर शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की. आज़ाद की एक तस्वीर हम सबने देखी है. जनेऊ पहने हुए और मूंछों पर ताव देते हुए. इस तस्वीर का किस्सा बड़ा दिलचस्प है. काकोरी एक्शन के बाद जब आज़ाद गुप्त प्रवास पर थे, तो वो झांसी में अपने दोस्त मास्टर रुद्रनारायण के घर पर भी रुके थे. रुद्रनारायण जी को फोटोग्राफी का शौक़ था. उन्होने ही ज़िद करके आज़ाद की ये फोटो खींची थी.
आज़ाद को हर वक़्त जासूसी का ख़तरा रहता था इसलिए वो नहीं चाहते थे कि उनकी फोटो खींची जाए. उस वक़्त तक उनकी एक भी फोटो अंग्रेज़ों के पास नहीं थी. मास्टर रुद्रनारायण ने कहा कि उन्हें एक फ़ोटो इसलिए खिंचवा लेनी चाहिए कि आने वाले वक्त में लोग समझ सकें कि भारत का ये महान क्रांतिकारी उन्ही की तरह आम शक्ल सूरत का था मगर उसकी भावना और साहस ने उसे ख़ास बना दिया. मास्टर रुद्रनारायण ने फोटो खींची और आज़ाद को भरोसा दिया कि ये फोटो पूरी तरह सुरक्षित रहेगी.

इस फोटो के खिंचने के कुछ ही दिन बाद आज़ाद को लग गया कि उनसे गलती हुई है. उन्होंने अपने दोस्त विश्वनाथ वैशम्पायन को रुद्रनारायण के पास भेजा कि वो तस्वीर नष्ट की जाए. मगर रुद्रनारायण ने वैशम्पायन को भरोसा दिला दिया कि फोटो बहुत अहम है, आज़ाद के जीते जी वो इसे सार्वजनिक कभी नहीं करेंगे. वो इसके निगेटिव को दीवार में चुनवा दे रहे हैं, इसके सब प्रिंट नष्ट किये दे रहे हैं. आज़ाद को बता दिया जाए कि ये फोटो नष्ट कर दी गयी है. वैशम्पायन ने ऐसा ही किया. आज़ाद जब शहीद हो गए तब ये फ़ोटो मास्टर रुद्रनारायण ने दीवार से निगेटिव निकलवा कर बनवाई और इस तरह देश के सामने आई उस महान क्रांतिकारी की एकमात्र जीवंत छवि जो आज तक देश तमाम वासियों के मन में बसी है.

हिमांशु बाजपेयी. क़िस्सागोई का अगर कहीं जिस्म हो, तो हिमांशु उसकी शक्ल होंगे. बेसबब भटकन की सुतवां नाक, कहन का चौड़ा माथा, चौक यूनिवर्सिटी के पके-पक्के कान और कहानियों से इश्क़ की दो डोरदार आंखें.‘क़िस्सा क़िस्सा लखनउवा’ नाम की मशहूर क़िताब के लेखक हैं. और अब The Lallantop के लिए एक ख़ास सीरीज़ लेकर आए हैं. नाम है ‘क़िस्सागोई With Himanshu Bajpai’. इसमें दुनिया जहान के वो क़िस्से होंगे जो सबके हिस्से नहीं आए. हिमांशु की इस ख़ास सीरीज़ का ये था क़िस्सा नंबर तीस.
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