एक लड़का जो स्कूल के दिनों से ही स्पेस को लेकर फेसिनेटिंग था. उसके पिता जो हिंदी के टीचर थे, लेकिन साइंस में इंस्ट्रेट रखते थे, अपने बेटे को साइंस की किताबें लाकर दिया करते थे. आज वही लड़का ISRO यानी कि इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन का मुखिया बन गया हैे. हम बात कर रहे हैं वैज्ञानिक डॉ. एस सोमनाथ की. एस सोमनाथ रॉकेट मैन नाम से चर्चित मौजूदा इसरो प्रमुख के सिवन की जगह लेंगे. उनका कार्यकाल 14 जनवरी को खत्म हो रहा है.
कौन हैं इसरो के नए मुखिया?
इसरो का मुखिया बनने से पहले एस सोमनाथ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक थे. उन्होंने संसद टीवी को दिए एक इंटरव्यू में अपनी जर्नी के बारे में बात की थी. बताया था,
जब मैं स्कूल में था तो दूसरों की तरह मैं भी स्पेस को लेकर बहुत फेसिनेटिंग था, सूरज, चांद और तारों को लेकर. मेरे पिता हिंदी के टीचर थे, लेकिन साइंस में उनकी बहुत रुचि थी. वह साइंस की किताबें लाते थे. खासकर एस्ट्रोनॉमी की और कुछ अंग्रेजी की किताबें. क्योंकि उस समय मेरी स्कूल की पढ़ाई मलयालमय में चल रही थी. मैंने उस समय वो किताबें पढ़ीं. वो अक्सर साइंस की बातें करते थे. स्कूल का समय बहुत मजेदार था.
एस सोमनाथ केरल के रहने वाले हैं. अलप्पुझा में उनका जन्म हुआ. जुलाई 1963 में. उन्होंने केरल के टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग से मैकेनिकल इंजिनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद IISc बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजिनियरिंग में पीजी की डिग्री हासिल की. वो यहां गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं.
Happy to join as Secy, Dept of Space & Chairman (ISRO). Areas of focus will be technology, policy, implementation & areas where stakeholders need to be taken care of. We need to bring in newer approaches; have to work with various capacity builders like tech companies: S Somanath pic.twitter.com/pHIrjse1f0
— ANI (@ANI) January 12, 2022
इसी इंटरव्यू में एस सोमनाथ बताते हैं,
जब मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए गया, तब मैंने वास्तव में अपने अंदर स्पेस को लेकर रुचि विकसित की. कोई स्पेशलाइजेशन नहीं था. मैं मैकेनिकल इंजीनियर था, जब मैंने ग्रेजुएशन किया. लेकिन कोर्स के दौरान मेरी रुचि Propulsion (Aerospace Engineering) में बढ़ी. मैंने अपने प्रोफेसर से पूछा आप कोर्स में Propulsion शामिल क्यों नहीं करते. उन्होंने कहा कि मैं स्टडी करूंगा और फिर तुम्हें पढ़ाऊंगा. तो ऐसे पहली बार मेरे कॉलेज में Propulsion की पढ़ाई शुरू हुई.
साराभाई स्पेस सेंटर से शुरू हुआ सफर
1985 में एस सोमनाथ VSSC से जुड़े. वो बताते हैं,
जब हम लोगों का स्पेस प्रोग्राम के लिए चयन हुआ, उस समय PSLV (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) प्रोग्राम शुरू हो रहा था. उस समय इंजीनियर्स की भर्ती चल रही थी. हम सभी ने अल्पाई किया. उस समय मैं फाइनल ईयर में था. चयन भी फाइनल ईयर वालों का ही हो रहा था. पिछले सेमेस्टर के मार्क्स के आधार पर. इसमें 5 लोगों का चयन हुआ. मैं भी उनमें से एक था. मेरी रुचि ने मुझे यहां तक पहुंचा दिया था.

सोमनाथ ने करियर की शुरुआत PSLV से की थी. उनके शब्दों में PSLV प्रोग्राम भारत के स्पेस प्रोग्राम में गेम चेंजर साबित हुआ. डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जो बाद में देश के राष्ट्रपति बने, वो इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे. PSLV को डेवलप करने में सोमनाथ का खास योगदान रहा है. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था,
हमारा लक्ष्य 1000 किलोग्राम के सेटेलाइट को 1000 किलोमीटर तक भेजना था और PSLV ने ये हासिल किया. कुछ लोग कहते हैं कि हमने दूसरों के डिजाइन को कॉपी किया. लेकिन मैं कहूंगा कि ये सच है कि हमने कई देशों के डिजाइन का अध्ययन किया. लेकिन हमने खुद का डिजाइन बनाया.
कई सब्जेक्ट के एक्सपर्ट
वैज्ञानिक एस सोमनाथ एक नहीं बल्कि कई विषयों के एक्सपर्ट हैं. वो लॉन्च व्हीकल डिजाइनिंग जानते हैं, उन्होंने लॉन्च व्हीकल सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनेमिक्स, मैकेनिज्म डिजाइन और पायरोटेक्निक में विशेषज्ञता हासिल की है.
वो देश के सबसे शक्तिशाली स्पेस रॉकेट GSLV एमके-3 लॉन्चर को डेवलप करने वाले वैज्ञानिकों की टीम की अगुआई कर चुके हैं. 2010 से 2014 तक सोमनाथ GSLV एमके-3 प्रोजेक्ट के निदेशक थे. GSLV के तीन और PSLV के 11 सफल मिशनों में उनका अहम योगदान रहा है. वो 22 जनवरी 2018 से लेकर अब तक विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर का पद संभाल रहे थे.

एस सोमनाथ की गिनती चंद्रयान-2 के लैंडर के इंजन को विकसित करने वाले साइंटिस्ट के रूप में होती है. जीसैट-9 में इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम की उड़ान को कामयाब बनाने के लिए भी वो चर्चित रहे हैं.
साइंटिस्ट सोमनाथ की शादी वलसाला (Valsala) से हुई है. उनकी पत्नी वित्त मंत्रालय में जीएसटी डिपार्टमेंट में काम करती हैं. एस सोमनाथ के दो बच्चे हैं. दोनों ने इंजीनियरिंग पूरी कर ली है. आम तौर पर कहा जाता है कि पढ़ने वाले बच्चे मूवी वगैरह से दूर रहते हैं. लेकिन साइंटिस्ट सोमनाथ को फिल्मों से लगाव रहा है. वो कई फिल्म सोसायटी से जुड़े ग्रुप के मेंबर भी रहे हैं. वो कमाल के स्पीकर भी हैं. देश और विदेश में उनके लेक्चर होते रहते हैं. एस सोमनाथ TEDx पर भी आ चुके हैं.
इसरो प्रमुख के तौर पर क्या होंगी प्राथमिकताएं?
इसरो के चेयरमैन के तौर पर एस सोमनाथ का कार्यकाल तीन साल का होगा. उन्होंने कहा इसरो का चेयरमैन बनाए जाने से वो खुश हैं और सम्मानित महसूस कर रहे हैं. सोमनाथ ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए व्यापार के अवसर प्रदान करने के लिए विकसित करने की जरूरत है. आने वाली पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में बदलाव करने की भी जरूरत है.
नए इसरो प्रमुख का ये भी कहना है कि अंतरिक्ष बजट बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरिक्ष बजट को 15-16 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 से 50 हजार करोड़ रुपये तक किए जाने की जरूरत है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा है कि अंतरिक्ष बजट में बढ़ोतरी केवल सरकारी धन या समर्थन से नहीं हो सकती है. सोमनाथ का मानना है कि जैसे टेलीकॉम और हवाई यात्रा जैसे क्षेत्रों में बदलाव हुए, वही बदलाव यहां भी होने चाहिए. इससे रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकते हैं और अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा सकता है.
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