इस आदमी का फ्रिज खुला छूट जाता है, तो ठंड बढ़ जाती है. जिस दिन इसने स्कूल बंक किया था, वो दिन तब से संडे के नाम से जाना जाता है. जहां इस आदमी का वॉलेट गिर गया था, वहां अब स्विस बैंक है. नरेंद्र मोदी ने हजार और पांच सौ के जो नोट बंद किए हैं न, वो आइडिया भी इसी आदमी ने दिया था. अब लिखना भी पड़ेगा क्या कि हम किसकी बात कर रहे हैं?
सुपरस्टार रजनी सर
ब्लैक मनी और फेक करंसी पर एकतरफा सर्जिकल स्ट्राइक हुई है और ये आइडिया रजनीकांत का था. अब इससे पहले कि आप झौंझियाते हुए इसका सबूत मांगने लगें, ये तस्वीर देख लीजिए.
2007 में रजनीकांत की फिल्म आई थी ‘शिवाजी’. टैगलाइन थी दि बॉस. बॉस का मतलब था, ‘Bachelor of Social Service’. फिल्म खत्म होने पर एक अखबार दिखाया जाता है, जिसमें करप्शन खत्म करने के लिए 1000 और 500 के नोट बंद करने की खबर होती है. जब नरेंद्र मोदी ने असल में ये फैसला लिया, तो रजनी फैंस एकदम नॉस्टेल्जिक हो गए. बोले रजनीकांत से ही मोदी ने आइडिया लिया है नोट बंद करने का. सोशल मीडिया के पोस्ट देखकर रजनीकांत के लिए एकदम नास्त्रेदमस वाली फीलिंग आ रही है.
वैसे ‘शिवाजी’ इकलौती फिल्म नहीं है, जिसमें 500 और हजार के नोट बंद करने की बात हुई है. इस साल मार्च में एक फिल्म आई थी ‘पिचईकरन’. उसमें सड़क पर बैठा एक भिखारी करप्शन रोकने के लिए बड़े नोटों को बंद करने पर बहुत तगड़ा ज्ञान देता है.
भारत में गरीबी के सवाल पर वो कहता है, ‘रिश्वत, करप्शन और टैक्स चुराने की वजह से हमारे देश में गरीबी है. इस तरह कमाया गया पैसा 500 और हजार के नोटों में रखा जाता है. देश में सिर्फ 20% लोग ये नोट यूज करते हैं. इन नोटों की गड्डियों से 100 करोड़ रुपए भी दो बड़े सूटकेस में रखे जा सकते हैं. यही अगर सौ और पचास के नोट हों, तो रखने के लिए पूरा घर चाहिए होगा. ये सेफ नहीं होगा और लोग डरेंगे. वो गोल्ड में इन्वेस्ट इसलिए नहीं करेंगे, क्योंकि इसके दाम चढ़ते-गिरते रहते हैं. प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट नहीं करेंगे, क्योंकि सरकार बदलने पर जमीन सीज हो सकती है. बैंक में जमा करेंगे, तो टैक्स देना पड़ेगा. अगर देश का हर अमीर आदमी ईमानदारी से टैक्स दे, तो सिर्फ गरीबी ही नहीं, भिखारी भी खत्म हो जाएंगे.’
अब साउथ इंडियन सिनेमा की बात हो और कमल हासन का नाम न आए, ये तो हो ही नहीं सकता. अपनी फिल्मों में सुनामी और इबोला वायरस तक प्रिडिक्ट कर चुके हासन फिल्म ‘इंडियन’ में पांच सौ की नोटों की नाव बनाकर नदी में बहाते दिखे थे. ये फिल्म शंकर ने डायरेक्ट की थी.
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