संध्या यादव. मुलायम सिंह यादव की भतीजी. पूर्व सपा सांसद धर्मेंद्र यादव की बहन. भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें जिला पंचायत का टिकट दिया है. वह निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष हैं. संध्या यादव पिछली बार समाजवादी पार्टी से जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीती थीं. संध्या को BJP से टिकट मिलने के बाद मीडिया में खबरें चल रही हैं कि BJP ने मुलायम सिंह यादव के कुनबे में बड़ी सेंधमारी कर दी है.
Mainpuri: Sandhya Yadav, niece of Samajwadi Party (SP) leader and former Uttar Pradesh CM Mulayam Singh Yadav, filed her nomination for the upcoming panchayat elections on a BJP ticket, yesterday
She is the incumbent chairperson of Mainpuri district panchayat pic.twitter.com/Ya8jLpliH2
— ANI UP (@ANINewsUP) April 7, 2021
क्यों हुआ ऐसा?
सैफई के स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि संध्या यादव का बीजेपी में जाना रातों-रात घटी कोई घटना नहीं है. संध्या 2015 में मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष बनी. जुलाई 2017 में समाजवादी पार्टी ने ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया था. कहते हैं कि समाजवादी पार्टी के सदर विधायक के इशारे पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. ये भी कहा जाता है कि संध्या यादव के पति अनुजेश प्रताप यादव की ओर से फिरोजाबाद में बीजेपी का समर्थन करने की वजह से ऐसा किया गया. संध्या यादव के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर कुल 32 जिला पंचायत सदस्यों में से 23 के हस्ताक्षर थे. हालांकि वह बीजेपी के साथ जोड़ तोड़कर जिला पंचायत अध्यक्ष की अपनी कुर्सी बचा ले गई थीं. इसके बाद से ही वह बीजेपी के करीब होती गईं. संध्या यादव के पति पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और अब बीजेपी ने संध्या यादव को टिकट दिया है.
मुलायम के कुनबे में सेंध!
संध्या यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई की बेटी हैं. धर्मेंद्र यादव की बहन हैं, धमेंद्र यादव पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी को रिवाइव करने के लिए काम कर रहे हैं. ऐसे में उनकी बड़ी बहन बीजेपी में चली जाएं ये दिखाता है कि मुलायम के परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. मुलायम की फैमिली में बीजेपी ने डेंट मारा है. शिवपाल यादव पहले ही अखिलेश यादव वाली सपा से अलग होकर अपनी पार्टी बना चुके हैं. मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव कई मौकों पर बीजेपी की तारीफ करती रही हैं.

इंडिया टुडे के पत्रकार आशीष मिश्रा बताते हैं कि लखनऊ की कैंट सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर 2017 में विधानसभा लड़ चुकीं अपर्णा को योगी सरकार ने Y श्रेणी की सुरक्षा दी है. वह कई मौको पर सीएम योगी और पीएम मोदी की तारीफ कर चुकी हैं. अपर्णा यादव बहू हैं. वो बाहर से आई हैं. ऐसे में बीजेपी और योगी की तारीफ करना एक अलग बात है. हालांकि अपर्णा अब तक बीजेपी में शामिल नहीं हुई हैं. लेकिन ये पहली बार है कि मुलायम परिवार की बेटी बीजेपी में आई है. समाजवादी पार्टी इसे कैसे लेती है, उसके लिए ये बड़ा चैलेंज होगा.
सीनियर जर्नलिस्ट के विक्रम राव का कहना है,
ये नेतृत्व की अक्षमता है कि आप परिवार को, लोगों को साथ नहीं रख पा रहे हैं. अविश्वास की भावना क्यों जगी. ये दूरी क्यों पैदा हो रही है. क्यों परिवारवाले छोड़कर जा रहे हैं. दोनों पार्टियां बीजेपी और समाजवादी पार्टी वैचारिक पार्टियां हैं, तो क्या विचार से नफरत हो गई या संगठन से परेशानी है. विचार से नफरत है तो यह विश्वसनीय नहीं है, क्योंकि आप इतने सालों तक रहीं. हां संगठन से नाराजगी समझ में आती है. अगर पार्टी छोड़ी है तो कारण क्या है, ये सोचने वाली बात है.
अखिलेश को क्या नुकसान होगा?
पंचायत चुनाव को विधानसभा चुनाव से पहले एक तरह का सेमीफाइनल माना जा रहा है. संध्या यादव के बीजेपी में जाने के मसले को अखिलेश यादव कैसे देखते हैं. इंडिया टुडे के पत्रकार आशीष मिश्रा का कहना है कि अखिलेश यादव को भी पता है कि उनके परिवार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसे में इसको वो बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देंगे.अखिलेश अपर्णा के बारे में भी कमेंट नहीं करते. अपर्णा अखिलेश के बारे में कई बार बोल चुकी हैं, लेकिन अखिलेश ने अभी उनके बयानों पर रिएक्ट नहीं किया. वो ऐसा इसलिए करते हैं कि उनके लोगों को दुविधा ना हो.

लेकिन पहले शिवपाल, अपर्णा यादव और संध्या यादव. आगे क्या होगा ये अंदरखाने में अखिलेश यादव को कुछ ना कुछ सोचना होगा. मुलायम सिंह यादव बीमार हैं. शिवपाल हैं नहीं, जो संकटमोचक का काम करते थे. राम गोपाल की परिवार में ही स्वीकार्यता नहीं है. मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई के संबंध आज भी शिवपाल से अच्छे हैं. संध्या यादव के बीजेपी में जाने के बाद एक संदेश जरूर जाएगा कि समाजवादी पार्टी में सबकुछ सही नहीं चल रहा है.
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