मोलनुपिराविर. एक एंटी वायरल दवा है. कोरोना मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाएगी. मोलनुपिराविर को भारत के ड्रग रेगुलेटर DCGI के तहत काम करने वाले एक्सपर्ट पैनल CDSCO ने 28 दिसंबर को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है. इस दवा को अमेरिकी फार्मा कंपनी Merck ने बनाया है. अब भारत में भी इस दवा की मैन्युफैक्चरिंग होगी. हालांकि मोलनुपिराविर को कोरोना वायरस के इलाज के लिए भारत सरकार ने नेशनल प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया है. वहीं इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के चीफ डॉ. बलराम भार्गव (Dr Balram Bhargava) ने मोलनुपिराविर के सेफ होने को लेकर चिंता जताई है. ऐसे में इससे जुड़े कई सवाल हैं, जिनके जवाब जानने की कोशिश करेंगे.
क्या है मोलनुपिराविर?
मोलनुपिराविर एक एंटी-वायरल ड्रग है, जो मुख्य रूप से इंफ्लूएंजा के लिए बनाया गया था. एंटीवायरल दवाएं संक्रमण से लड़ने का काम करती हैं. इन दवाओं को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लिया जाता है. हर प्रकार के संक्रमण के लिए अलग-अलग एंटीवायरल दवाएं होती हैं.
मोलनुपिराविर को सबसे पहले अमेरिका में 1433 मरीजों पर टेस्ट करने के बाद मंजूरी दी गई थी. बाद में ब्रिटेन और अब भारत समेत कई देशों में इस दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है. इसकी सशर्त आपात मंजूरी की जानकारी देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया,
कोविड-19 के जिन वयस्क मरीजों में रोग बढ़ने का ज्यादा जोखिम है, उनके इलाज के लिए आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग को ध्यान में रखते हुए देश में 13 कंपनियां मोलनुपिराविर को बनाएंगी.
Congratulations India 🇮🇳
Further strengthening the fight against COVID-19, CDSCO, @MoHFW_INDIA has given 3 approvals in a single day for:
– CORBEVAX vaccine
– COVOVAX vaccine
– Anti-viral drug MolnupiravirFor restricted use in emergency situation. (1/5)
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) December 28, 2021
जानकारों के मुताबिक मोलनुपिराविर कोविड-19 के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2 कोरोना वायरस के जेनिटिक कोड में कमियों को खोजती है और वायरस को आगे म्यूटेशन करने से रोकती है. अभी तक की स्टडी के अनुसार ओमिक्रॉन के सामने भी इस दवा के प्रभावी होने की उम्मीद है. इस दवा को सबसे पहले बनाने वाली अमेरिकी फार्मा कंपनी मर्क रिसर्च लेबोरेटरीज के अध्यक्ष डॉ. डीन वाई. ली का दावा है कि,
ये एक अकेली ओरल दवा है जो कोरोना वायरस के म्यूटेशन को रोक सकती है. ये ड्रग कोरोना के कई वेरिएंट पर कारगर है. इसके ट्रायल में पता लगा है कि इसका इस्तेमाल करने वाले कोरोना मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने और मौत के जोखिम में काफी कमी आई.

कोरोना के इलाज में कितनी असरदार है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये दवा कोरोना के सभी संक्रमितों के लिए नहीं है. साथ ही ये कोरोना संक्रमण होने से नहीं बचा सकती है. इसे कोरोना के लक्षण दिखने पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है. दवा को सिर्फ वयस्क और गंभीर लक्षण वाले कोरोना मरीजों को दिया जा सकता है. हल्के लक्षण वाले या जिनमें कोई लक्षण नहीं है, उन्हें ये दवा न लेने की सलाह दी गई है. इसके अलावा इस दवा को लेने के लिए ब्लड ऑक्सीजन लेवल का 93 पर्सेंट तक होना जरूरी है. 18 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी ये दवा नहीं दी जाएगी.
हमने इस दवा के असर को लेकर ICMR के एडिशनल डायरेक्टर जनरल डॉक्टर समिरन पांडा से बात की. उन्होंने इसके फायदे और नुकसान के साथ मौजूदा दवाओं से इसकी तुलना भी की. डॉ. समिरन पांडा ने कहा,
ये दवा कितनी असरदार या खतरनाक है, इसे लेकर पर्याप्त ट्रायल नहीं हुआ है. इसके रिस्क बेनिफिट एनालिसिस में कुछ खास पता नहीं लगा. इसका ट्रायल अभी तक वैक्सीन ले चुके लोगों पर नहीं हुआ है, ऐसे लोगों को ये दवा दी जाती है तो क्या परिणाम होंगे, इसे लेकर क्लैरिटी नहीं है.
डॉ. पांडा ने आगे कहा,
इस दवा में ऐसा कुछ खास नहीं लगता जो बड़ा अंतर ला सकता है. इसे 18 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं दिया जा सकता है. अभी तक मोलनुपिराविर के बिना भी पैरासिटामोल से इलाज हो रहा था, जो असरदार भी रहा है. फिलहाल डॉक्टर की सलाह से ही किसी भी दवा का सेवन करना है. ICMR ने कोरोना से बचाव और होम आइसोलेशन को लेकर जो गाइडलाइन जारी की है, उसका पालन करना सबसे बेहतर विकल्प है.
साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
DCGI से मंजूरी मिलने के बाद भारत में कई फार्मास्यूटिकल्स ने मोलनुपिराविर को लॉन्च करने की घोषणा की है. लेकिन ICMR के चीफ बलराम भार्गव ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सुरक्षा चिंताओं के कारण दवा को भारत के कोविड उपचार प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया गया. उन्होंने मोलनुपिराविर के साइड इफेक्टस को लेकर चिंता जताई है. कहा,
ये दवा टेराटोजेनिसिटी और म्यूटेजेनेसिटी का कारण बन सकती है. टेराटोजेनिसिटी से मतलब है कि जब ये दवा कोई गर्भवती महिला लेती है तो भ्रूण से जुड़े विकार या भ्रूण के विकास में समस्या आ सकती है. वहीं म्यूटेजेनेसिटी का अर्थ जेनेटिक मटेरियल में होने वाले स्थाई बदलावों से है. पुरुष और महिलाओं दोनों को दवा लेने के 3 महीने बाद तक गर्भ निरोधक उपाय करना होगा. क्योंकि मोलनुपिराविर के प्रभाव में जन्मे बच्चे में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं… हालांकि हम इस संभावना पर भी चर्चा करेंगे कि इस दवा को नेशनल ट्रीटमेंट गाइडलाइंस में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं.
Molnupiravir has major safety concerns including mutagenicity, muscle & bone damage. If this drug is given contraception has to be done for three months as child may have problems. So it is not included in national task got treatments: Dr Balram Bhargava, DG, ICMR pic.twitter.com/FubPjGLeOU
— ANI (@ANI) January 5, 2022
द प्रिंट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डॉक्टरों ने कई चिंताओं का हवाला देते हुए मोलनुपिराविर को लेकर चेताया है. फिर भी आंकड़े बताते हैं कि देशभर में डॉक्टरों ने इस दवा का ऑर्डर देना शुरू कर दिया है. देश के कई फार्मास्यूटिकल्स न केवल भारत को बल्कि 100 से अधिक अन्य निम्न और मध्य आय वाले देशों को भी इसकी आपूर्ति करने के लिए कमर कस रहे हैं.
कैसे और कितने रुपए में मिलेगी?
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार से मोलनुपिराविर को मंजूरी मिलते ही कई कंपनियों ने अपनी दवा का नाम जारी किया है.
- स्ट्राइड्स फार्मा ने कहा कि वो जल्द ही भारत में इस दवा को अपने ब्रांड नैम ‘Stripiravir’ के नाम से लॉन्च करेगी.
- सन फार्मा इस दवा को भारत में ‘Molxvir’ नाम से लाएगी.
- मुंबई की दवा कंपनी सिप्ला इसे ‘Cipmolnu’ नाम से उतारेगी.
- हैदराबाद की हिटेरो कंपनी इसे ‘Movfor’ नाम से लाएगी.
- अहमदाबाद स्थित टोरेंट फार्मा ने बताया कि वो इसे ‘Molnutor’ नाम से बेचेगी.
- अरबिंदो फार्मा इसे ‘Molnaflu’ नाम से बेचेगी.
दवा की कीमत 35 से 63 रुपये प्रति कैप्सूल तक हो सकती है. इसका एक डोज 200mg का होगा, जिसे हफ्ते में 5 दिन लेना होगा. बताया गया है कि पूरे कोर्स में 40 कैप्सूल लेने की जरूरत है. तो मान कर चलिए कि इसका पूरा कोर्स करीब 2,000 रुपए से 3,000 रुपए के बीच बैठेगा.
मोलनुपिराविर जल्दी ही देशभर की फार्मेसी की दुकान पर मिलने लगेगी. फिलहाल हैदराबाद के डॉ. रेड्डीज ने इस दवा को ‘Molflu’ नाम से बाजार में उतार दिया है. इसके एक कैप्सूल की कीमत 35 रुपये रखी गई है.
लेकिन हमारी आपको सलाह है कि जितना हो सके कोरोना गाइडलाइन का पालन करें, ताकि इलाज की जरूरत ही ना पड़े. इलाज से बेहतर है बचाव. इसलिए मास्क लगाएं, जरूरत होने पर ही घर से निकलें, भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाने से बचें. अगर जरा भी लक्षण दिखें तो घबराएं नहीं, बल्कि डॉक्टर की सलाह लें और जो जरूरी इलाज हो वो लें.
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