कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार, 21 दिसंबर को एक ट्वीट किया. इस ट्वीट पर हंगामा बरपा है. राहुल गांधी ने इसमें लिखा,
“2014 से पहले लिंचिंग शब्द सुनने में भी नहीं आता था.”
जब इशारा 2014 की ओर है तो साफ है कि केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा गया है. सवाल यह है कि इन बातों का अचानक जिक्र क्यों हो रहा है. वजह यह है कि कांग्रेस शासित पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब की कथित बेअदबी को लेकर दो लोगों की पीट-पीटकर भीड़ ने हत्या कर दी. पंजाब के कपूरथला स्थित एक गुरुद्वारे में निशान साहिब की बेअदबी के आरोप में भीड़ ने एक युवक को पकड़ा था. आरोप है कि इसके बाद युवक की पिटाई की गई, जिसके चलते उसकी मौत हो गई. इससे एक दिन पहले ही अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में भी गुरु ग्रंथ साहिब के साथ बेअदबी के आरोप में एक शख्स की कथित रूप से लिंचिंग हुई थी. खैर, ये तो थीं पंजाब में हाल ही में हुई लिंचिंग की घटनाएं.
2014 से पहले ‘लिंचिंग’ शब्द सुनने में भी नहीं आता था।
Before 2014, the word ‘lynching’ was practically unheard of. #ThankYouModiJi
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 21, 2021
अब राहुल गांधी के दावे पर आते हैं. उनका कहना है कि 2014 से पहले लिंचिंग शब्द सुनने में भी नहीं आता था. हमने जब इस दावे की पड़ताल की तो पता लगा कि यह सही नहीं है. आइए आपको बताते हैं साल 2014 से पहले हुईं मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बारे में..
मणिपुर: दंपती की पीट-पीटकर हत्या
मामला अप्रैल 2011 का है. मणिपुर के सोरा गांव में एक दंपती की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. दोनों पर स्थानीय जिला परिषद के एक सदस्य को गोली मारने का आरोप था. गुस्साई भीड़ ने उनकी पिटाई कर दी. जानकारी के मुताबिक मणिपुर के पल्लेल जिला परिषद के सदस्य मोहम्मद शहाबुद्दीन (58) को उनके मोबाइल फोन पर नूरसाना बेगम (34) और उनके पति मोहम्मद मजीबुलाह (40) का फोन आया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि फोन आने के तुरंत बाद शहाबुद्दीन अपने घर से बाहर गए लेकिन वापस नहीं आए. अगली सुबह, उनके पड़ोसियों ने सोरा गांव और उसके आसपास तलाशी अभियान चलाया. इस दौरान उन्हें गोलियों से छलनी शहबुद्दीन का शव मिला. जब अफवाह फैली कि मजीबुल्लाह और नूरसाना ने शहाबुद्दीन को फोन किया था, तो गुस्साए स्थानीय लोग दंपती के घर पहुंचे. उनकी बेरहमी से पिटाई की, जिससे दोनों की मौत हो गई. मणिपुर में इस घटना के दौरान कांग्रेस की सरकार थी. ओकराम इबोबी सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री थे.
पुदुचेरी: कंपनी प्रेजिडेंट की हत्या
अगली खबर है पुदुचेरी की. टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, जनवरी 2012 में पुदुचेरी के यनम स्थित सीरीन एनक्लेव की एक कंपनी अचानक जंग का मैदान बन गई. रीजेंसी सिरेमिक्स नाम की इस प्राइवेट कंपनी के मजदूरों पर लाठीचार्ज किया गया था. इसकी वजह से मजदूर यूनियन के एक नेता की मौत हो गई. नाराज मजदूरों ने कंपनी के प्रेजिडेंट केसी चंद्रशेखर की पीट-पीटकर हत्या कर दी. चंद्रशेखर कंपनी के चेयरमैन के दामाद थे. वह अपने आवास में थे, जब उन पर हमला किया गया. बुरी तरह से जख्मी चंद्रशेखर को आनन-फानन में आंध्र स्थित काकीनाड़ा के एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया. वहां उनकी मौत हो गई. पुदुचेरी में साल 2011 से 2016 तक एन रंगास्वामी मुख्यमंत्री थे. यहां सरकार ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस की थी. यह एक क्षेत्रीय दल है. इसकी स्थापना साल 2011 में पुदुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी ने की थी.
असम: 30 रुपए न देने पर हत्या
एक और लिंचिंग का मामला. इंडिया टुडे में प्रकाशित खबर के मुताबिक 25 जून 2013, असम का कारबी अंगलॉन्ग जिला. यहां के डिफू टाउन में 16 वर्षीय झनकर सैकिया और उसके पिता हरेन सैकिया पर भीड़ ने हमला किया. पेशे से वकील हरेन और उनके बेटे की महज इसलिए पिटाई की गई क्योंकि उन्होंने ऑटो ड्राइवर को सामान्य किराए 20 रुपये के बजाए 30 रुपये देने से मना कर दिया था. चश्मदीदों ने बताया कि 16 वर्षीय लड़के को बुरी तरह से पीटा जा रहा था. इस दौरान पुलिस भी नजदीक ही मौजूद थी, लेकिन वे महज तमाशबीन बनकर खड़े रहे. झनकर को गंभीर हालत में नजदीकी अस्पताल ले जाया गया. यहां 1 जुलाई 2013 को उसकी मौत हो गई. इस घटना के वक्त असम में कांग्रेस की सरकार थी.
हाजीपुर पुलिस की कस्टडी से खींचकर हत्या
अब जिस खबर का हम जिक्र कर रहे हैं, वह मामला बिहार का है. इंडिया टुडे में 23 फरवरी 2008 को एक खबर प्रकाशित हुई. हाजीपुर जिले में हत्या के एक संदिग्ध को भीड़ ने बुरी तरह पीटा. इस घटना को पुलिस के सामने ही अंजाम दिया गया. 20 वर्षीय छात्र रवि कुमार पर अपने दोस्त ओम प्रकाश की हत्या का आरोप लगा. हत्या से पहले दोनों के बीच मोबाइल को लेकर झगड़ा हुआ था. इस घटना के बाद आक्रोशित भीड़ ने रवि को पुलिस कस्टडी से घसीट लिया. उसकी डंडों और पत्थरों से पिटाई की गई. रवि लहूलुहान होकर जमीन पर गिर गया, लेकिन लोगों ने उसे पीटना बंद नहीं किया. रवि को हाजीपुर अस्पताल ले जाया गया. बाद में उसे पटना मेडिकल कॉलेज शिफ्ट किया गया. बिहार में जब यह घटना हुई, उस वक्त राज्य में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे.
असम में महिला विधायक को किया लहूलुहान
घटना साल 2012 की है, तब रूमी नाथ बाराक वैली इलाके की बाराखोला सीट से विधायक थीं. 30 जून 2012 को एनडीटीवी में छपी एक खबर के मुताबिक 33 वर्षीय रूमी और उनके पति की तकरीबन 100 लोगों ने एक होटल में पिटाई की. इस घटना में दोनों लहूलुहान हो गए. रूमी नाथ पर आरोप था कि उन्होंने अपने पहले पति को तलाक दिए बिना ही जकी जाकिर नाम के एक मुस्लिम शख्स से दूसरी शादी कर ली और इस्लाम धर्म अपना लिया. बताते हैं कि शादी के कुछ रोज बाद रूमी नाथ अपने पति के साथ असम के करीमगंज पहुंची. रात के वक्त ये दोनों यहां के एक होटल में खाना खा रहे थे. तभी भीड़ ने उन पर हमला कर दिया. असम में तब कांग्रेस की सरकार थी और तरुण गोगोई मुख्यमंत्री थे.
वीडियो: गोल्डन टेंपल में बेअदबी के मामले में पुलिस ने मरने वाले युवक पर ही दर्ज किया केस!