आज बात एक वीभत्स स्कैंडल की. जिसके तहत मासूम बच्चों से जीने का बुनियादी अधिकार छीना गया. नैतिकता के नाम पर उनसे जानवरों जैसा सुलूक किया गया. नवजात बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल्स किए गए. जब इन बच्चों की मौत हुई, उन्हें नालियों और अनजान क़ब्रों में दफ़न कर दिया गया. ये कुकृत्य समूचे देश में दशकों तक चलता रहा. इस दौरान राज्य और समाज ने अपनी आंखें बंद रखीं. अब इस मामले की जांच रिपोर्ट बाहर आई है. इसे ‘राष्ट्रीय शर्म’ का चैप्टर क्यों बताया जा रहा है? इसमें ऐसा क्या है कि देश के प्रधानमंत्री को सरेआम माफ़ी मांगनी पड़ रही है?
रिपब्लिक ऑफ़ आयरलैंड का एक शहर है, टूम. साल 1975 का क़िस्सा है. शहर में एक नई हाउसिंग कॉलोनी बन रही थी. पुरानी इमारत को तोड़कर. ये जोड़-तोड़ बच्चों के लिए लुभावना था. एक दोपहर की बात है. दो भाई खेल-कूद में व्यस्त थे. ये उनकी दिनचर्या का हिस्सा था. अचानक ही वे जोर-जोर से चिल्लाने लगे. चीख सुनकर आस-पड़ोस के लोग इकट्ठा हुए. बच्चों ने दीवार की तरफ इशारा किया.
वहां जमा हुए लोगों ने जो देखा, उसने उनके होश उड़ा दिए. वहां इंसानी कंकाल के टुकड़े बिखरे हुए थे. लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. आयरलैंड में अकाल का लंबा इतिहास रहा है. लोगों ने सोचा, ये अकाल के समय मरे लोगों की कब्रगाह होगी. उन्होंने पादरी को बुलाकर उस जगह का शुद्धिकरण करवाया और अपने काम में लग गए. टूम के लोगों ने इस घटना को भुला दिया.
उन्हें इसकी याद आई, 37 बरस बाद
कैसे? एक इतिहासकार हुईं, कैथरीन कॉरलेस. वो टूम के ‘मदर एंड बेबी केयर होम’ के इतिहास की पड़ताल कर रहीं थी. 2012 में उनकी पहली रिपोर्ट पब्लिश हुई. उन्होंने आशंका जताई कि 1925 से 1961 के बीच इस केयर होम में लगभग 800 बच्चों की मौत हुई. अलग-अलग बीमारियों की वजह से. उनकी रिपोर्ट में एक दिलचस्प खुलासा भी था. इन बच्चों को दफ़नाए जाने का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं था. ये बच्चे किसी अनजान क़ब्र में बंद थे.
कैथरीन कॉरलेस ने अकेले दम पर सबकी जानकारियां जुटाई. दो सालों तक उन्होंने नाम इकट्ठा किए. 2014 में कैथरीन ने इन बच्चों के लिए मेमोरियल बनाए जाने की मांग की. उनकी मांग ने खूब सुर्खियां बटोरीं. जब ये मामला बढ़ा, तब आयरलैंड सरकार हरक़त में आई. सरकार ने मदर एंड बेबी केयर होम्स की जांच के लिए एक कमीशन बनाने का ऐलान किया.

फिर कमीशन ने फ़ाइलें खंगालनी शुरू कीं
उनके हिस्से मेें रोज़ चौंकाने वाले आंकड़े आते रहे. अक्टूबर, 2016 में टूम में खुदाई शुरू हुई. उस जगह पर, जहां शहर का मदर एंड बेबी केयर होम बना था. ये वही जगह थी, जहां बच्चों को कंकाल का ढेर मिला था. जिसे लोगों ने कुछ और मानकर नज़रअंदाज कर दिया था. खुदाई में सैकड़ों कंकाल बाहर आए. कमीशन ने कहा, ‘वी आर शॉक्ड’.

कहा तो ऐंडा कैनी ने भी. कैनी उस वक़्त देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. उन्होंने टूम के केयर होम को नाम दिया ‘चैम्बर ऑफ़ हॉरर्स’. हिंदी में मतलब निकालें तो ‘दहशत की कोठरी’. कैनी ने कहा कि हमें और इंतज़ार करना चाहिए.

ये इंतज़ार अब जाकर खत्म हुआ है
12 जनवरी, 2021 को कमीशन की रिपोर्ट सामने आ गई है. 3000 पन्नों की. पूरे देश के मदर एंड बेबी केयर होम्स का पूरा काला चिट्ठा इसमें दर्ज था. रिपोर्ट के मुताबिक, 1922 से 1998 तक आयरलैंड के 18 केयर होम्स में कम-से-कम 09 हज़ार बच्चों की मौत हुई. ये कुल पैदा हुए बच्चों की संख्या का 15 प्रतिशत है. इन बच्चों में से अधिकतर अपना पहला जन्मदिन तक नहीं देख पाए. मरने के बाद इन्हें अनजान जगहों पर दफ़ना दिया गया. इस गुनाह के लिए सीधे कैथोलिक चर्च और राज्य को दोषी ठहराया गया है.
अब आपके मन में दो सवाल उठ रहे होंगे. पहला, जब ये केयर होम थे, तब इनमें बच्चों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया? दूसरा, इन मौतों के लिए कैथोलिक चर्च और राज्य को दोषी क्यों माना गया?

इसका जवाब जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे चलना होगा
आयरलैंड, ग्रेट ब्रिटेन का पड़ोसी है. एक वक़्त ये ब्रिटेन का हिस्सा हुआ करता था. फिर लड़ाई हुई, समझौता हुआ और आयरलैंड को आज़ादी मिल गई. लेकिन देश धर्म के जाल से आज़ाद नहीं हो पाया. आयरलैंड कैथोलिक ईसाई देश है. कैथोलिक चर्च का यहां के समाज और सरकार पर दबदबा रहा है.
चर्च कट्टर था. शुद्ध जीवन, चरित्र और नैतिकता लादने के चक्कर में चर्च ने लोगों के जीवन में दखल देना शुरू किया. मदर एंड बेबी केयर होम्स इसी दखल का हिस्सा थे. उस वक़्त आयरलैंड में बिना शादी के सेक्स अपराध माना जाता था. कंट्रासेप्टिव के इस्तेमाल या गर्भपात कराने की इज़ाज़त नहीं थी. समाज इसे अपने ऊपर धब्बे की तरह देखता था.
अगर कोई लड़की बिना शादी के प्रेग्नेंट हो जाती, उन्हें समाज अपराधी की नज़र से देखने लगता था. ऐसी ही लड़कियों के लिए मदर एंड बेबी केयर होम्स बनाए गए. सुदूर इलाकों में. समाज से बिल्कुल अलग-थलग. ये केयर होम्स चर्च के द्वारा चलाए जाते थे. इन्हें पैसा राज्य की तरफ़ से मिलता था. दावा तो ये था कि यहां लड़कियों का ध्यान रखा जाएगा. यहां पैदा हुए बच्चों की परवरिश की जाएगी. और, बाद में उन्हें सक्षम परिवारों को अडॉप्शन के लिए दिया जाएगा.
असलियत क्या थी?
दावों से बिल्कुल विपरीत. वहां क्या होता था? लेबर पेन में गई लड़कियों को अलग कोठरियों में बंद कर दिया जाता. वो चीखतीं तो उन्हें चुप रहने के लिए कहा जाता. उन्हें भरपेट खाना तक नहीं दिया जाता था. और, न ही मेडिकल केयर. केयर होम्स चलाने वाले नन और पादरी उन्हें दोयम मानकर चलते थे. पादरियों ने लड़कियों का यौन शोषण भी किया.

अधिकतर बच्चे तो गर्भ में ही मर जाते थे. जो ज़िंदा बच जाते, उनके लिए आगे की राह आसान नहीं थी. इन बच्चों को उनकी मांओं से अलग रखा जाता. इन मांओं को गुलाम की तरह काम करवाया जाता था. बच्चों को कई दिनों तक खाना भी नहीं दिया जाता था. बच्चे हड्डियों का ढांचा भर रह जाते. अधिकतर बच्चे एक साल से अधिक नहीं जी पाते थे. ये सब कुछ एक हिंसक सोच का परिणाम था. ये समझ कि अविवाहित मांओं से पैदा हुए बच्चे धर्म की शुद्धता के लिए खतरनाक हैं.
इन बच्चों के शोषण की कोई सीमा नहीं थी
कई ऐसी कहानियां सामने आई हैं, जिनमें बच्चों को गिनि पिग की तरह इस्तेमाल किया गया था. उनके ऊपर वैक्सीन्स के ट्रायल किए गए. बिना मां-बाप की इजाज़त के. बहुत सारे बच्चों को पैसों के लिए बेचा गया. ऐसे हज़ारों बच्चों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. जो इस हादसे में सलामत रह गए, वे आज भी मेंटल ट्रॉमा झेल रहे हैं.
इन अत्याचारों पर लगाम लगा, साल 1998 में. इस साल आयरलैंड में अंतिम मदर एंड बेबी केयर होम पर ताला लग गया. साथ में बहुत सारी दर्दनाक कहानियों पर भी. ये कहानियां कभी बाहर नहीं आती, अगर कैथरीन कॉरलेस ने इन्हें खंगाला न होता. और, इन्हें दुनिया के सामने नहीं लाया होता.

आयरलैंड के प्रधानमंत्री हैं माइकल मार्टिन. उन्होंने कहा है कि ‘ये आयरलैंड के इतिहास का शर्मनाक चैप्टर है. ये हमारे लिए शर्मनाक है.’ प्रधानमंत्री इसी हफ्ते संसद में पीड़ित परिवारों से माफ़ी मांगेंगे. सरकार अनजान कब्रों की तलाश और बचे अवशेषों को सम्मानजनक तौर से दफनाने पर भी काम करेगी. मृत बच्चों के लिए मेमोरियल बनाने के लिए भी राज़ी हो गई है.
ये आयरलैंड के लिए ग़लती सुधारने का समय है. वे इसे मानकर इसे ठीक करने की कोशिश में जुटे हैं. लेकिन इसकी एक सीमा है. राज्य पर धर्म के हावी होने की ये कहानी बहुतों के लिए सबक है. इसे याद रखा जाना चाहिए. ताकि धर्म, राज्य और इंसान अपने-अपने दायरे में सलामत रह सकें.
विडियो- इंडोनेशियाई प्लेन के क्रैश होने की पूरी कहानी