अपना लोगों का सही है. दुनिया के किसी कोने में कोई भी बहस चल रही हो. अपने मुद्दे फिक्स हैं. साल के 365 दिन मंदिर-मस्जिद, राष्ट्रगान-वंदे मातरम्, गौमाता-बकरी, वैलेंटाइन्स-क्रिसमस. बस इन्हीं के आस पास मीडिया, सोशल मीडिया, संसद से लेकर चाय के टप्पर तक तर होते रहते हैं. अभी फिर से वंदे मातरम् वाला मामला छिड़ा हुआ है. मध्य प्रदेश में नए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सचिवालय में महीने के पहले दिन वंदे मातरम् गाने की 14 साल पुरानी प्रथा बंद करवा दी. हल्ला हुआ, प्राइम टाइम बहसें हुईं तो फिर चालू करवा दी. वो भी 2.0 अपडेट के साथ.
इस बीच मजेदार ये रहा कि न्यूज चैनल वाले माइक लेकर बीजेपी नेताओं के सामने पहुंच गए. जो सबसे ज्यादा बमचक मचाए हुए थे. उनसे कहा आप तो वंदे मातरम् पर बहस करते हो. चलो वंदे मातरम् सुनाओ. आंय बांय करने लगे. तो सवाल ये है कि जो 14 साल रट्टा मारने के बाद भी अभी राष्ट्र गीत नहीं याद कर पाए हैं वो कितने बड़े देशभक्त हैं. क्या उनको पाकिस्तान…… छी छी छी, ऐसी बातें सोचने का अधिकार किसी को नहीं है. जो ये बातें करता है उसे भी पहले नीचे लिखा वंदे मातरम् कंठस्थ कर लेना चाहिए. ताकि फिर से चैनल वाले माइक सामने कर दें तो बेइज्जती के नाले में न कूदना पड़े.
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यश्यामलाम्
मातरम्।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्॥
कोटि कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले।
बहुबलधारिणीं
नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम्॥
तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वम् हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे॥
त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम्
नमामि कमलाम्
अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलाम् मातरम्॥
वन्दे मातरम्
श्यामलाम् सरलाम्
सुस्मिताम् भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम्॥
इस राष्ट्र गीत को जितनी जल्दी हो सके याद कर लें. बार बार बेइज्जती करवाना किसे अच्छा लगता है भई.
एक और बवाल पर वीडियो देखें कि फायदा किसका होगा: