धर्म, जाति, रंग, संस्कृति, क्षेत्र… हमारी दुनिया ऐसी कितनी ही अलग-अलग चीज़ों के आधार पर बंटी हुई है. हर रोज़ कितने ही लोग इन्हीं आधारों पर भेदभाव का शिकार होते हैं. और ये भेदभाव समाम को जोड़ने की कोशिश करने वाले खेलों में भी है. हाल में ही एशियाई मूल के इंग्लिश क्रिकेटर अज़ीम रफीक़ ने इंग्लैंड क्रिकेट में नस्लभेद के आरोप लगाए हैं.
अज़ीम का आरोप है कि इंग्लैंड के कई क्रिकेटर्स ने उनके साथ नस्लभेद किया. अज़ीम इंग्लैंड की अंडर-15 और बाद में अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम के कप्तान भी रह चुके हैं. जो रूट, बेन स्टोक्स और जोस बटलर जैसे खिलाड़ी उनकी कप्तानी में खेले भी हैं.
ये पहला मामला नहीं है जहां पर क्रिकेट के मैदान पर नस्लभेद की घटनाएं सामना आईं हैं. क्रिकेट के मैदान पर ऐसी नस्लभेदी घटनाओं की लंबी लिस्ट है. क्रिकेट के मैदान पर एक तरफ हम ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ जैसे मामलों पर घुटनों के बल बैठ रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर क्रिकेटर्स के साथ रंग और नस्ल के आधार पर भेदभाव भी कर रहे हैं. अज़ीम रफीक़ द्वारा ऐसे मामलों के खिलाफ डटकर खड़े होने के बाद एक बार फिर से लोग क्रिकेट में नस्लभेद पर चर्चा करने लगे हैं.
ऐसे में हमने सोचा कि क्यों ना आपको क्रिकेट के मैदान पर हुई ऐसी ही नस्लभेदी घटनाओं के बारे में बताएं.
# डीन जोन्स-हाशिम अमला
डीन जोन्स. ऑस्ट्रेलिया के टॉप ऑर्डर के अटैकिंग बल्लेबाज़. तेज़ गेंदबाज़ों को आगे बढ़कर मारने की कला हमने उथप्पा में देखी, लेकिन डीन काफी साल पहले ही ये कारनामा कर चुके थे. क्रिकेट के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के लिए उनका योगदान बड़ा है. 1987 का क्रिकेट विश्वकप हो या फिर 1989 की एशेज़ सीरीज़. लेकिन कॉमेंट्री के मैदान पर डीन की ज़ुबान नस्लभेदी हो गई.
साल 2006 में साउथ अफ्रीकी टीम श्रीलंका के दौरे पर थी. कोलंबो में दो मैचों की टेस्ट सीरीज़ का दूसरा मैच खेला जा रहा था. मैच के चौथे दिन जब श्रीलंकाई टीम दूसरी पारी खेलने उतरी तो कॉमेंट्री पैनल में डीन जोन्स मौजूद थे. उन्होंने अमला को कुमार संगाकारा का कैच लपकते देखा और तुरंत कहा,
“the terrorist has got another wicket”
”आतंकवादी को एक और विकेट.”

डीन का ये कमेंट हाशिम आमला की दाढ़ी की वजह से आया. डीन को इस बयान के बाद ब्रॉडकास्टर्स ने हटा दिया था. हालांकि बाद में खुद डीन जोन्स ने अपने इस कमेंट के सिलसिले में माफ़ी मांगी और कहा कि बहुत से मुसलमान उनके दोस्त हैं. जिनकी आस्था में उनका भी विश्वास है.
# मोईन अली-ऑस्ट्रेलियन प्लेयर्स:
मोईन अली. वो क्रिकेटर जिनके घर में कभी इतने पैसे भी नहीं थे कि वो ट्रायल्स में जाने के लिए गाड़ी में पेट्रोल डलवा सकें और कुछ खाने के लिए जुटा सकें. लेकिन फिर भी मोईन अपने खेल के दम पर वर्ल्ड क्रिकेट तक पहुंचे और इंग्लैंड के लिए कमाल का प्रदर्शन भी कर रहे हैं. लेकिन इतने संघर्ष के बाद अपनी टीम के लिए खेलते हुए मोईन को भी नस्लभेदी टिप्पणी का सामना करना पड़ा. साल 2015 में एशेज़ के दौरान कार्डिफ में पहला टेस्ट खेला जा रहा था. इस मैच में जब मोईन अली 77 रनों की पारी खेल रहे थे. तभी उन्हें अपशब्द कहे गए.

मोईन ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में बताया था कि
”मैच के दौरान मैदान पर एक ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी मेरी तरफ मुड़ा और बोला ‘टेक दैट ओसामा’ मैंने जो सुना उस पर मुझे यकीन नहीं हुआ. मैं गुस्से से लाल हो गया. इससे पहले मुझे मैदान पर इतना गुस्सा कभी नहीं आया था.”
कश्मीरी पिता और अंग्रेज मां के बेटे मोईन अली को दाढ़ी बढ़ाने और शराब का विज्ञापन नहीं करने की वजह से भी कई बातें सुननी पड़ती हैं.
# कोलिन क्राफ्ट-साउथ अफ्रीका:
साल 1970 में साउथ अफ्रीकी सरकार की रंगभेद नीति की वजह से ICC ने साउथ अफ्रीकी क्रिकेट टीम को बैन कर दिया. ये बैन साल 1991 यानी 21 साल तक बना रहा. लेकिन इस बीच साल 1983 में वेस्टइंडीज़ की एक रेबेल टीम साउथ अफ्रीका क्रिकेट खेलने पहुंची. इस टीम का हिस्सा थे उनके स्टार पेसर कोलिन क्रॉफ्ट. कोलिन ने वेस्टइंडीज़ के लिए 27 टेस्ट मैचों में 125 विकेट चटकाए. यानि कमाल की बोलिंग. लेकिन जब वो साउथ अफ्रीका गए तो उनके साथ भी नस्लीय घटना हो गई.

उस वक्त दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव किस कदर हावी था. इसका उदाहरण ये है कि वहां पर वाइट्स स्पेशल ट्रेन चला करती थी. यानि सिर्फ गोरों के लिए. 1983 में केपटाउन से लौटते वक्त कोलिन इसी ट्रेन में सवार हो गए. लेकिन एक मशहूर क्रिकेटर होने के बावजूद उन्हें उनके रंग की वजह से उस ट्रेन से बाहर निकाल फेंक दिया गया. हालांकि इसके बाद एक गोरे यात्री ने इसका विरोध किया और तीसरी श्रेणी के गैर-गोरे वाले डिब्बे में कोलिन के साथ सफर किया.
# सरफ़राज अहमद-साउथ अफ्रीका:
नस्लीय टिप्पणी करने का मामला पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान से भी जुड़ा है. 2017 में भारत के खिलाफ पाकिस्तान को चैम्पियंस ट्रॉफी जिताने वाले कप्तान सरफ़राज़ अहमद ने भी साल 2019 में एक नस्लीय टिप्पणी की थी. ये मामला घटा साउथ अफ्रीका के डरबन शहर में. जहां पर पांच मैचों की वनडे सीरीज़ के दूसरे वनडे में सरफराज़ अहमद ने साउथ अफ्रीकी क्रिकेटर एंडिले फेलुक्वायो पर एक बेहद घटिया टिप्पणी की थी.
मैच के दौरान जब साउथ अफ्रीकी बल्लेबाज़ एंडिले फेलुक्वायो को आउट करना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो रहा था तो सरफराज़ स्टम्प माइक में कहते सुने गए कि
”अबे *ले…तेरी अम्मी आज कहां बैठी हैं? क्या पढ़वाकर आया है आज तू?”
Pakistan wicket keeper-captain Sarfraz Ahmed was caught on stump mic making an apparent racist comment on South Africa batsman Andile Phehlukwayo during the second ODI. “Abey kaale teri ammi aaj kahan baithi hui hai? Kya padhwa ke aaya hai aaj? #Sports #Cricket #TV9News pic.twitter.com/K0OVujA6zX
— tv9gujarati (@tv9gujarati) January 23, 2019
इसके बाद साथी अंग्रेज़ी कॉमेंटेटर ने रमीज़ राजा से पूछा भी कि इसका क्या मतलब है रमीज़. तो रमीज़ राजा ने ये कहकर इस बात को टाल दिया कि ये एक लंबा वाक्य है. हालांकि बाद में जब ये वीडियो वायरल हुआ तो सरफराज़ पर कार्रवाई की गई और उनपर चार मैचों का सस्पेंशन लगाया गया. बाद में सरफराज़ अहमद ने मैच के आवेश में किए गए इस कमेंट के लिए माफ़ी भी मांगी.
# टोनी ग्रेग का ‘ग्रोवल’:
इंग्लैंड क्रिकेट माने क्रिकेट का जनक. वेस्टइंडीज़ की टीम 1976 में इंग्लैंड के दौरे पर पहुंची. लेकिन टेस्ट सीरीज़ शुरू होने से पहले ही इंग्लैंड के कप्तान टोनी ग्रेग ने एक ऐसा बयान दे दिया. जो वर्ल्ड क्रिकेट के लिए हैरान करने वाला था. टोनी ग्रेग ने वेस्टइंडीज़ क्रिकेट के लिए ‘ग्रोवल’ शब्द का इस्तेमाल किया. एक ऐसा नस्लभेदी कमेंट. जिसने वेस्टइंडीज़ क्रिकेट को बदलकर रख दिया.
1 जून 1976, ट्रेंट ब्रिज. पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ का आगाज़ करने से पहले पूरी वेस्ट इंडीज़ टीम होटल के लाउंज में आराम फरमा रही थी. थोड़ी देर बाद ही टीम मीटिंग थी. लाउंज में एक टीवी लगा था. उस टीवी पर विपक्षी टीम के कप्तान टोनी ग्रेग की झलक दिखी. और झलक के साथ लहराती ब्रेकिंग न्यूज़ की बड़ी सी पट्टी. पूरा विंडीज़ ठहर गया. जो जहां था, वहीं चिपक गया. टीवी पर दक्षिण अफ्रीकी एक्सेंट और हावभाव में टोनी ने कहा,
”आपको याद होगा वेस्टइंडीज़ के लड़के अगर टॉप पर पहुंच गए तो वो बेहतरीन क्रिकेटर्स हैं. लेकिन अगर उन पर दबाव बनाया गया तो वो नाक रगड़ेंगे (Grovel), और हम क्लोज़ी (ब्रायन) और अपने कुछ और साथियों की मदद से विंडीज़ टीम को नाक रगड़वाएंगे.”
बस ये वो पल था जिसने क्रिकेट को शर्मसार कर दिया और वेस्टइंडीज़ क्रिकेट को एकजुट.
इतिहास में पहली बार कैरेबियन फ़ैन्स ने मैदान पर इस तरह से कूच किया, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था. टेस्ट सीरीज़ की शुरुआत हुई और जब भी कैरेबियाई बल्लेबाज़ चौका लगाते तो ग्रेग की तरफ देखकर मैदान पर ज़ोर से एक ही आवाज़ आती
‘ग्रोवल….ग्रोवल….’
सिर्फ फैंस ने ही नहीं वेस्टइंडीज़ टीम ने भी इंग्लैंड से बदला लिया और इस सीरीज़ के पहले दोनों टेस्ट ड्रॉ पर खत्म होने के बाद सीरीज़ के आखिरी तीनों टेस्ट जीते. वेस्टइंडीज़ के लिए माइकल होल्डिंग और एंडी रॉबर्ट्स ने मिलकर 56 विकेट चटकाए और सीरीज़ में इंग्लिश बल्लेबाज़ों को शरीर पर कई ज़ख्म भी दिए.
चेतेश्वर पुजारा-स्टीव:
इन घटनाओं के अलावा भारतीय क्रिकेट में भी रेसिज़्म की दो घटनाओं से आपको रूबरू करवाते हैं. चेतेश्वर पुजारा वो भारतीय क्रिकेटर हैं जो इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट भी खेलते हैं. पुजारा ने यॉर्कशर के लिए क्रिकेट खेला है. उस दौरान उनकी टीम के कुछ साथी उन्हें स्टीव बुलाया करते थे. खुद पुजारा ने भी 2019 के एक इंटरव्यू में इस बारे में बताया था कि
‘टीम के साथी खिलाड़ियों को मेरा नाम चेतेश्वर बुलाने में परेशानी होती थी. उन्होंने मुझसे मेरा निक नेम पूछा और जब मैंने मना कर दिया तो जैक ब्रूक्स ने मुझसे कहा कि हम आपको स्टीव बुलाएंगे. हालांकि मुझे चेतेश्वर ही पसंद था.’
इस बात को लेकर यॉर्कशर क्लब के एक ऑफिसर ताज बट ने भी ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा था कि
‘एशियन मूल के खिलाड़ियों के साथ टैक्सी ड्राइवर और रेस्तरां वर्कर जैसे शब्द इस्तेमाल किए जाते थे. जो भी गोरी चमड़ी का नहीं होता उसे वे स्टीव कहते थे. यहां तक कि चेतेश्वर पुजारा को भी स्टीव कहकर बुलाते थे क्योंकि वे उसका नाम बोल नहीं पाते थे.’
हालांकि इस मामले को तूल पकड़ता देख. इंग्लिश क्रिकेटर जैक ब्रूक्स ने चेतेश्वर पुजारा से माफ़ी मांग ली है.
हरभजन सिंह-मंकीगेट:
2008 में भारत-ऑस्ट्रेलिया सिडनी टेस्ट के दौरान भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह पर भी नस्लभेदी टिप्पणी करने के आरोप लगे थे. उस वक्त ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एंड्र्यू सायमंड्स ने हरभजन सिंह पर खुद के लिए नस्लभेदी टिप्पणी करने की शिकायत की थी.
उस मैच के दौरान इंडिया की पहली इनिंग्स में हरभजन सिंह और साइमंड्स के बीच कुछ कहा सुनी हो गयी. उस कहा सुनी में बीच बचाव करने सचिन पहुंचे. और साइमंड्स की तरफदारी करते हुए हेडेन खड़े दिख रहे थे. दिन ख़त्म होने पर साइमंड्स ने मैच रेफ़री के पास अपील की कि हरभजन ने उन्हें रेशियली अब्यूज़ किया है. नस्लभेदी टिप्पणी. ये एक घनघोर क्राइम माना जाता है. मैच रेफ़री माइक प्रॉक्टर ने भज्जी को जवाब तलब किया. हरभजन पर 4 मैचों का बैन लगाया गया. बाद में हरभजन ने बताया भी कि उन्होंने असल में साइमंड्स को एक गाली दी थी. जिसकी शुरुआत ‘तेरी मां की’ से होती है. उस ‘मां की’ को साइमंड्स ने ‘मंकी’ यानी बंदर समझ लिया. इसी मामले की सुनवाई के दौरान सचिन एक गवाह के रूप में रेफ़री के सामने आये. क्योंकि जब ये वाकया हुआ तब सचिन भज्जी और साइमंड्स के साथ मौजूद थे. और शिकायत कर दी. भज्जी पर लगे बैन के बाद खूब बवाल हुआ.
अगले दिन इंडियन कैम्प ने ऐसे संदेश दिए जिससे लगने लगा कि टूर बीच में ही बंद हो जायेगा. लेकिन BCCI और भारतीय क्रिकेट के दबाव के चलते हरभजन का चार मैच का बैन 50% मैच फ़ीस कटने में बदल गया.
इस तरह से क्रिकेट के मैदान के ये वो किस्से हैं. जिन्होंने क्रिकेट के मैदान का ये अलग रूप फैंस को दिखाया.
डिविलियर्स के जाने पर विराट का दिल क्यों टूट गया?