कैप्टन सिंह की बेटी को एक कमेंट में लिखा गया है कि उनके साथ तरह-तरह की यौन क्रियाएं की जाएंगी, उनका गैंगरेप करवाया जाएगा. और भी बहुत आपराधिक किस्म की बातें लिखी गई हैं.
गुरमेहर कौर. 20 साल की लड़की. दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ती है. कारगिल युद्ध के ठीक बाद 1999 में ही कुपवाड़ा में आतंकवादी हमले में लड़ते हुए शहीद हुए कैप्टन मनदीप सिंह की बेटी. हमें नाज़ है कि कैप्टन सिंह हमारे लिए लड़े. उन जैसे शहीद जब मरते हैं तो निश्चिंत होकर और ये सोचकर कि पीछे मेरे परिवार और बच्चों की देखभाल के लिए पूरा देश है, कि देश के लोग उनके बच्चों को बहुत प्यार और सुरक्षा देंगे. लेकिन अफसोस कि एेसा होता नहीं. हम उस देश के वासी हैं जहां सैनिकों की शहादत का इस्तेमाल सिर्फ पॉलिटिक्स खेलने के लिए होता है. कोई सुरक्षाकर्मी बोले कि खाना सही नहीं मिलता तो उसके खिलाफ जांच बैठ जाती है.
खैर, हाल ही में डीयू के रामजस कॉलेज में एक घटना हुई थी. दो विचारधाराओं के छात्र-छात्राएं अभिव्यक्ति की आजादी और देशभक्ति जैसे दो मसलों को लेकर आमने-सामने हो गए. इस मसले पर गुरमेहर ने एक स्टैंड लिया. उन्होंने समझा कि वे आजाद मुल्क में रहती हैं और अपने मन की बात कह सकती हैं. उन्होंने फेसबुक पर अपनी तस्वीर अपलोड की जिसमें एक तख्ती थाम रखी है. तख्ती पर लिखा है: “मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट हूं. मुझे एबीवीपी से डर नहीं लगता. मैं अकेली नहीं हूं. भारत का हर छात्र मेरे साथ है. #स्टूडेंट्स_अगेंस्ट_एबीवीपी.”
उनकी देखा-देखी फेसबुक और बहुत से लोगों ने एेसी तख्ती लेकर अभिव्यक्ति दी. एेसी प्रोफाइल पिक्स की लाइन लग गई. लेकिन हैरान और शर्मिंदा करने वाली बात थी कि इसलिए गुरमेहर को एेसी गंदी गालियां दी गईं जिन्हें पढ़कर मन खराब हो जाता है. एेसी गालियां कोई अपराधी किसी महिला का रेप करते हुए या उसकी हत्या करते हुए ही दे सकता है. जिन्होंने गालियां नहीं दी उन्होंने एक सेकेंड में गद्दार लिख दिया. और एक बार नहीं कई-कई बार.
कैप्टन मनदीप सिंह जिंदा होते तो देखते कि उनकी बच्ची को ‘देशप्रेमी’ लोग गद्दार कह रहे हैं. किसी ने लिख दिया कि इसे गोली मार दो. किसी ने लिखा कि तुम्हारा गैंगरेप करवाऊंगा.
इससे बड़ी त्रासदी और कुछ हो नहीं सकती.
एक 20 साल की लड़की को महज़ एक स्टैंड लेने भर से अपने ही देशवासियों का ये घृणित बिहेवियर देखना पड़ा. ये गद्दार जैसे शब्द बोलने वाले वही हैं जो देश के हर मसले पर इन दिनों दूसरे पक्ष से कहते हैं “हमारे देश के सैनिक सीमा पर खड़े हैं, सियाचिन में माइनस टैंप्रेचर में पहरा दे रहे हैं तो तुम … ये बात कर रहे हो!”
गुरमेहर की फेसबुक पोस्ट ने जैसे स्वघोषित देशभक्तों की उंगलियों में ज़हर भर दिया. ऐसे-ऐसे कमेन्ट टाइप किए उन्होंने कि शर्म भी शर्म से दुबकी पड़ी होगी कहीं. ज़रा बानगी तो देखिए:
“चुल्लू भर पानी में डूब मरो. शहीद की बेटी जेहादी बन गई.”
“आज इसका बाप जिंदा होता तो शर्म से मर जाता.”
“इसका भी ब्रेन वॉश हो गया.”
“तुम जैसी लड़कियां भारतीय समाज और संस्कृति के लिए ख़तरनाक हो.”
“आतंकियों को सपोर्ट करने वाला आतंकी होता है. तुम्हारे पिता फ़ौज में थे तो इसका मतलब ये नहीं कि तुम गद्दार नहीं हो सकती.”
“गुरमेहर कौर नई कन्हैया कुमार है.”
“तुम एक दम *** और ****** हो.”
“तुम हिप्पोक्रेट हो और अपने पिता की शहादत बेच रही हो.”
“आई वॉना फ़** यू रियली.”
“अगर तुम सिख धर्म से हो तो लानत है तुम्हारे ऊपर.”
“ये एक टेररिस्ट है अब. जिसको दिखे गोली मार दो. जन्नत नसीब होगी – नथुराम गोडसे.”
“इन गद्दारों का साथ दो और यही गद्दार एक दिन आबादी बढ़ने पर तुम्हे हलाल करेंगे.”
“गद्दार. तुम अपने पिता की कुर्बानी का अनादर कर रही हो.”
“सारे मुल्लों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. इनकी बड़ी बहन ‘गुरमेहरिना बेग़म’ इनकी आज़ादी के लिए लड़ रही है.”
इतने सारे कमेंट्स में रेड मार्किंग वाली एेसी गंदी गालियां हैं कि पढ़वा नहीं सकते. बहुत बहुत घृणित. इस कमेंट के आधार पर इस यूज़र को गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
राष्ट्र प्रेम के नाम पर, देश के नाम पर जम के उल्टियां की गई.
गुरमेहर ने अद्भुत धीरज दिखाते हुए कई सारे ट्वीटस करके बताया कि वो किस तरह से अपने स्टैंड पर दृढ़ता से खड़ी है. उन्होंने लिखा,
“सत्ता में कौन है इससे देशभक्ति डिफाइन नहीं होती. ये तो अंदर से आती है. मेरे पिता को मेरे पर गर्व होता. 20 साल की उम्र में अपने साथियों के लिए खड़े होना! उन्हें वाकई बहुत गर्व होता.”
एक और ट्वीट में गुरमेहर ने कहा, “राष्ट्र यूनिवर्सिटीज़ बनाने से बनता है जहां छात्र सोचना और बोलना सीखें, ना कि उनको बंद कर देने का शोर मचाने से.”
नारी को सम्मान देने का हमारा ये तरीका कोई नया नहीं है वैसे. श्रुति सेठ हो, नेहा धूपिया हो, स्वरा भास्कर हो या कोई और. हमारे संस्कार समय-समय पर ऐसे ही उबल-उबल कर बाहर निकलते रहते हैं. मवाद की तरह. घिन आने लगी है अब. देशभक्ति की उदात्त भावना को मज़ाक में तब्दील कर के रख दिया है. ज़रा सा विरोध का सुर उंचा करो आदमी फ़ौरन देशद्रोही ठहरा दिया जाता है. इस पैमाने पर देखा जाए इस देश का हर आज़ाद ज़ुबान रखने का ख्वाहिशमंद शख्स देशद्रोही है. और ये संख्या करोड़ों में होगी.
देश के नाम को अपनी गुंडागर्दी की शील्ड बनाते शर्म नहीं आती इनको. देश के नाम पर एक 20 साल की बच्ची से बदज़ुबानी करते इनकी महान संस्कृति को छींक तक नहीं आती. ये साइबर सूरमा किसी की भी मानसिक शांति में पलीता लगाने के लिए तैयार बैठे रहते हैं. अगर यही भारत की बहुसंख्य जनता की विचारधारा है तो हम सबके लिए चेत जाने का वक़्त आ चुका है. ये एक बेहद चिंतित करने वाला नज़ारा है.
सैनिक को इस्तेमाल कर के हर आर्गुमेंट का गला घोटने वाले वक़्त आने पर सैनिक को भी नहीं बख्शते. महज़ दो साल की उम्र में अपने पिता को खो देने वाली सैनिक-पुत्री को तमाम स्वघोषित राष्ट्रभक्त ‘गद्दार’ घोषित कर रहे हैं. ये विडंबना विद्रूप है. बाकी सब तो ठीक है बस उस ‘मेरा भारत महान’ वाले स्लोगन को रद्दी की टोकरी में फेंक दीजिये.