प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 64 फीट ऊंची एक मूर्ति का अनावरण करने हरियाणा में रोहतक ज़िले के सांपला गांव पहुंचे. ये मूर्ति सर छोटूराम की है. किसान नेता सर छोटूराम का जन्म इसी गांव में हुआ था. छोटूराम के वंशज और भाजपा के बड़े नेता राव बीरेंद्र सिंह ने 2016 में घोषणा की थी कि वो छोटूराम की मूर्ति बनवाएंगे और उसका उद्घाटन प्रधानमंत्री के हाथों करवाएंगे. मूर्ति बनने के बाद लंबे वक्त तक उद्घाटन तो नहीं हुआ, लेकिन छोटूराम को लेकर राजनीति बहुत हुई. आखिरकार प्रधानमंत्री पहुंचे. लोगों से सीधे जुड़ने के लिए प्रधानमंत्री ने अपना भाषण हरियाणवी में शुरू किया. उन्होंने कहा-
देश की सीमा पै रक्षा करण मैं सबतै घणे जवान, देश की करोड़ों आबादी का पेट भरण मैं सबतै आगै किसान, अर खेला मैं सबतै ज्यादा मैडल जिताण आले खिलाड़ी देण आली धरती नै मैं प्रणाम करता हूं. देश का मान, सम्मान अर स्वाभिमान बढ़ाण मैं हरियाणवियों का कोई मुकाबला नी सै.
कम शब्दों में इसका मतलब समझें तो ये हरियाणा और हरियाणवियों की तारीफ थी. खेल, खेत और खतरे हर मोर्चे पर. रैली चूंकि सांपला में थी इसलिए भीड़ या सुनने वाले कम ही थे. इसके दो कारण थे. पहला, अभी दो दिन पहले ही किसानों की राजनीति करने वाली इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने रैली की थी. जिसका सीधा असर जाट वोटर्स पर पड़ा है. दूसरा, बीते दिनों दिल्ली में किसान क्रांति यात्रा के दौरान किसानों पर लाठीचार्ज के कारण इलाके में नाराज़गी देखी जा सकती है. रैली में जाने वालों ने भी महसूस किया कि भीड़ सिर्फ कार्यकर्ताओं की थी. आम जनता की नहीं.

रैली की मुख्य बातें:
#छोटूराम की सरदार पटेल से तुलना:
अपने भाषण में पीएम ने कहा कि छोटूराम जी का भाखड़ा बांध बनाने में बड़ा योगदान था. वो सरदार पटेल के करीबी थे. सरदार साहब उनके सामर्थ्य को बहुत बेहतर तरीके से पहचानते थे. वो देश और राज्य का विकास एक साथ चाहते थे. प्रधानमंत्री का कहना था कि उन्हें दो महान नेताओं की प्रतिमाओं का अनावरण करने का मौका मिलेगा. पहले सर छोटूराम की और इसी महीने के आखिर में सरदार पटेल की.
#रेल कोच फैक्ट्री की आधारशिला रखी:
मोदी ने रोहतक से सटे सोनीपत जिले में रेल कोच फैक्ट्री की आधारशिला भी रखी. इस फैक्ट्री से लोगों को रोजगार मिलने की भी उम्मीद है.
#गढ़ी सांपला को क्यों चुना?
नरेंद्र मोदी के रोहतक आने के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. मनोहरलाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाने के बाद से ही जाट बहुल दक्षिण हरियाणा पर संगठन की पकड़ कमज़ोर हो रही थी. इसके अलावा पिछले दिनों दिल्ली में हुई किसान क्रांति यात्रा में किसानों के साथ हुई बदसलूकी से भी हरियाणा के किसान गुस्से में थे.
नरेंद्र मोदी की रैली से 2 दिन पहले हरियाणा के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के 105वें जन्मदिन पर इनेलो ने एक रैली आयोजित की थी, जिसमें भारी भीड़ जुटी. इसके अलावा मायावती के साथ क्षेत्रीय पार्टी का इस तरह का गठबंधन और किसानों की नाराज़गी भाजपा को डरा रही है.

हरियाणा भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनावों में एक नए तरह का प्रयोग किया था, जिसमें केवल 6 जाट विधायकों के साथ उसने गैर-जाट को मुख्यमंत्री बना दिया था. जबकि हरियाणा में जाटों की संख्या कुल जनसंख्या की एक चौथाई है. इसके अलावा जाट आरक्षण और बदलते राजनीतिक समीकरण के कारण भी भाजपा को हरियाणा में सत्ता खोने का डर सताने लगा है.
भाजपा के ही बाग़ी नेता राजकुमार सैनी ने नई पार्टी का ऐलान कर दिया है, जिसके कारण उत्तर हरियाणा में भाजपा का गणित बिगाड़ सकता है. हरियाणा में भाजपा की मुख्य राजनीतिक सहयोगी रही पार्टी इनेलो भी मायावती के साथ गठबंधन कर चुकी है. और अगर इन सब को नज़रअंदाज़ कर भी दिया जाए तो रोहतक और उसके आस-पास के ज़िलों (जिसे जाट-बेल्ट कहा जाता है) में भाजपा की कंडीशन वैसे भी कोई ज्यादा अच्छी नहीं. यही वो इलाका है, जहां कांग्रेस बहुत मजबूत है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रोहतक से सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा की अच्छी पकड़ है.
2014 के बाद से प्रधानमंत्री मोदी का हरियाणा का यह छठा दौरा है. इसमें से पिछले 6 महीने में प्रधानमंत्री मोदी हरियाणा में तीन अलग-अलग जगह जा चुके हैं. कद्दावर क्षेत्रीय पार्टी वाले छोटे से राज्य से भाजपा को चुनौती मिल सकती है. इसीलिए अपने जाट नेताओं को एक मंच पर लाकर भाजपा जाटों की हितैषी होने का संकेत देना चाहती है. छोटूराम के नाम पर उनके वंशज बीरेंद्र सिंह पार्टी में अपना कद बढ़ाना चाहते हैं. साथ ही, एक वक़्त सीएम पद के दावेदार कैप्टन अभिमन्यु भी दक्षिण हरियाणा पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं, जिसके लिए मोदी की लोकप्रियता का प्रयोग किया जा रहा है.
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