अर्नेस्तो कार्देनाल. कवि. उत्तरी और दक्षिणी अमरीका के बीचोंबीच मौजूद देश निकारागुआ से थे. 20 जनवरी 1926 को जन्म. 1 मार्च 2020 को 95 वर्ष की आयु में निधन हुआ. उनकी पर्सनल असिस्टेंट लुज़ मरीना एकोस्टा ने उनकी मौत की खबर दी एसोसिएटेड प्रेस को. कार्देनाल की कविताओं का अनुवाद कई भाषाओं में हुआ. हिंदी में भी. 80 के दशक में जब निकारागुआ में क्रांति हो रही थी, उस समय तक कार्देनाल रोमन कैथोलिक चर्च में पादरी के पद पर थे. चर्च के पूरे स्कूल से कार्देनाल ने विद्रोह कर दिया. 1984 में दिए गए अपने इंटरव्यू में कार्देनाल ने कहा कि जीसस ही मुझे कार्ल मार्क्स की ओर ले गए थे. जवान कार्देनाल कविताएं लिखते रहे. 2015 में दिए गए अपने एक इंटरव्यू में कार्देनाल ने कहा, “मैं एक रिवोल्यूशनरी हूं. इसका मतलब है कि मैं दुनिया बदलना चाहता हूं.”
पढ़िए अर्नेस्तो कार्देनाल की कविता उनके संग्रह ‘सुभाषित’ से, मनोज पटेल के अनुवाद में.
हम दोनों ही हार गए जब मैंने खो दिया तुम्हें
मैं इसलिए हारा क्योंकि तुम ही थी जिसे मैं सबसे ज्यादा प्यार करता था
और तुम इसलिए हारी क्योंकि मैं ही था तुम्हें सबसे ज्यादा प्यार करने वाला
मगर हम दोनों में से तुमने, मुझसे ज़्यादा खोया है
क्योंकि मैं किसी और को वैसे ही प्यार कर सकता हूं जिस तरह तुम्हें किया करता था
मगर तुम्हें उस तरह कोई नहीं प्यार करेगा जिस तरह मैं किया करता था
लड़कियों, तुम लोग जो किसी दिन पढ़ोगी इन कविताओं को आंदोलित होकर
और सपने देखोगी किसी कवि के
जानना कि मैंने लिखा था इन्हें तुम्हारे जैसी ही एक लड़की के लिए
और व्यर्थ ही गया यह सब
यही प्रतिशोध होगा मेरा
कि एक दिन तुम्हारे हाथों में होगा एक प्रसिद्ध कवि का कविता-संग्रह
और तुम पढ़ोगी इन पंक्तियों को जिन्हें कवि ने तुम्हारे लिए लिखा था
और तुम इसे जान भी नहीं पाओगी
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