कोई कह रहा है कि हमारे देश की तो हवा ही इतनी सेहतमंद है कि कोई बीमारी वगैरह ज्यादा पांव पसार नहीं पाएगी. कोई कह रहा कि साब, इस देश में कुंभ का मेला लगता है. लाखों लोग संगे-संगे डुबकी लगाते हैं. तब कुछ न होता तो ये कोरोना वायरस क्या करेगा!
आप कहेंगे कि ये तो कहने-सुनने भर की बात है. हम कहेंगे ठीक कह रहे हैं आप. लेकिन जब नंबर्स पर नज़र डालें तो भी यही बात आती है कि भारत में कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी COVID-19 के केसेज़ में इजाफा बाकी देशों की तुलना में कम है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने 18 मार्च को 800 से ज्यादा सैंपल लिए थे. अच्छी बात ये रही कि इनमें से कोई भी पॉजिटिव नहीं मिला.
826 samples tested, none of them are positive so far: Indian Council of Medical Research (ICMR) to ANI on random samples tested so far to rule out community transmission of COVID-19 pic.twitter.com/sUpWjdc9I4
— ANI (@ANI) March 19, 2020
लेकिन जब बात सेहत की हो, तो ये एन्श्योर कर लेना अच्छा होता है कि कहीं हम किसी गफलत में तो नहीं जी रहे. इसके लिए बातों को टटोलते रहना (बिना छुए) ज़रूरी है. बड़ी-भारी आबादी होने के बाद भी भारत में COVID-19 के केस बाकी देशों से कम क्यों आ रहे हैं? क्या वाकई हमारे यहां Coronavirus का इंफेक्शन बाकी देशों से कम फैल रहा है? या कहीं ऐसा तो नहीं कि केस सामने नहीं आ पा रहे हैं? कहीं ऐसा तो नहीं कि कोरोना के टेस्ट ही कम हो रहे हैं?
इसी पर बात करते हैं.
एक मरीज़ से 1.7 लोगों को इंफेक्शन का रेशियो
चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस की एक स्टडी रिपोर्ट आई है. इसमें बताया गया है कि भारत में COVID-19 के एक मरीज़ से ऑन ऐन ऐवरेज 1.7 लोगों को इंफेक्शन हो रहा है. ये अभी का रेट है.
यूं तो अगर एक मरीज से एक चंगे इंसान को भी इंफेक्शन हो रहा है, तो इससे बुरा कुछ नहीं. लेकिन इंफेक्शन के इस रेशियो की जब दूसरे देशों से तुलना करते हैं तो राहत की आधी सांस लेने को जी करता है.
चीन में COVID-19 के एक मरीज़ ने औसतन 2.14 मरीज़ों को बीमार किया. ईरान में 2.73 लोगों को और इटली में 2.34 को. टेबल से समझाएं? देखिए..
देश | एक मरीज़ से औसतन कितनों को इंफेक्शन | कुल केस |
ईरान | 2.73 | 16169 |
इटली | 2.34 | 31506 |
चीन | 2.14 | 81116 |
भारत | 1.7 | 168 |
ऊपर के तीनों देशों में इंफेक्शन फैलने की दर दो से ज्यादा है. नतीजा काफी ज्यादा केस. भारत में ये दर कम है, नतीजा- कम केस.
168 individuals have been confirmed positive in India among the possibly infected cases and contacts of known positive cases. #Coronavirus pic.twitter.com/EuzndepOOR
— ANI (@ANI) March 19, 2020
इस रफ्तार से कहां पहुंचेंगे?
हमने अभी ऊपर कहा था कि राहत की ‘आधी’ सांस लेने को जी करता है. भारत में इंफेक्शन की बाकियों से कम रफ्तार देखकर कोरोना वायरस की गंभीरता को कम बिल्कुल भी नहीं आंका जा सकता है. भारत में इंफेक्शन बढ़ने की अगर इतनी ही रफ्तार रही तो भी चार से पांच दिन में 200 केस सामने आ सकते हैं. और अगर ये स्थिति ज़रा भी बिगड़ी तो ये संख्या 500 तक भी पहुंच सकती है.
अब बात देश में COVID-19 टेस्ट पर…
हैंक बेकेडम नाम के सज्जन World Health Organization यानी WHO के भारत में प्रतिनिधि हैं. इन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बात की. कहा-
“हां, हम ये तो कह सकते हैं कि भारत ने कोरोना वायरस के खिलाफ बाकी देशों की तुलना में अब तक अच्छा किया है. लेकिन एक बात, जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है, वो है- टेस्ट की संख्या, जिसे बढ़ाने की ज़रूरत है.”
भारत में हर दस लाख लोगों पर 100 COVID-19 टेस्ट भी नहीं हो रहे हैं. जबकि इटली, साउथ कोरिया, अमेरिका जैसे देशों में ये संख्या हजार से ऊपर है. चीन के काफी पास होकर भी ताइवान में अब तक कोरोना वायरस के 100 केस भी नहीं आए हैं. वजह- उनका हाई टेस्ट रेशियो. दस लाख लोगों पर करीब 1500 का टेस्ट.

इस लिहाज़ से भारत को टेस्ट की संख्या में इजाफा करने की ज़रूरत है.
भारत में अभी स्थितियां कुछ संभली हुई सी लग रही हैं. इंफेक्शन फिलहाल कम है. एडवाइज़री पर लोग रिएक्ट कर रहे हैं. बीमारी को लेकर संजीदगी भी दिख रही है. इस लिहाज़ से टेस्ट बढ़ाए जाने की ज़रूरत और भी ज़्यादा महसूस होती है. ताकि ये संभली हुई स्थिति संभली ही रहे.
तब तक पैनिक नहीं, समझदारी से काम लें. वही बेसिक हाइजीन का ध्यान रखना है. हाथ धोते रहें, खांसते-छींकते वक्त मुंह पर कपड़ा या रुमाल रखें, पब्लिक प्लेस पर कम से कम जाएं वगैरह. स्वच्छ रहिए, स्वस्थ्य रहिए.
कोरोना वायरस पर क्या हैम्बर्ग यूनिवर्सिटी ने वाकई कोई सर्वे जारी किया है?