राहुल गांधी फुल फॉर्म में हैं आजकल. छुट्टियों से वार्मअप होकर लौटे हैं. अइसा धारदार स्पीच दिया कि विरोधियों की जबान को केंवाच लग गया. लेकिन उसका सबसे मारक हिस्सा कौन सा था जानते हो? जब उन्होंने बताया कि गुरू नानक के हाथ से लेकर “हेल हिटलर” के पंजे तक कांग्रेस का चुनाव चिन्ह है. हम तो भाव विभोर हो गए. कि हम ऐसे एरा में पल बढ़ रहे हैं कि राहुल गांधी सा महापुरुष मिला. हम अपनी किस्मत की दिवाली मना ही रहे थे कि एक और चमत्कार हो गया. चरखे से महात्मा गांधी को धकिया कर मसरंग पर मोदी जी सवार हो गए. उनकी तस्वीर तो आपने भी देखी होगी. जिसमें वो एकदम ध्यान लगाए योगी की मुद्रा में हैं. कितना एकाग्रचित्त हैं. चरखा चलाने नहीं, पोज देने में. ऐ इतिहास हम तेरे आभारी रहेंगे. तूने हमें दो दो महापुरुष एक साथ अता किए.
“मजबूरी का नाम महात्मा गांधी.” बचपन से ये कहावत सुनते आ रहे हैं लेकिन तब इसका मतलब समझ नहीं आता था. तब लगता था कि महात्मा गांधी कमजोर एकदम डांगर जैसे आदमी थे. अपनी हड्डियों के ढांचे का बोझ भी उनसे उठता नहीं था इसलिए वो मजबूरी का दूसरा नाम बना दिए गए. नहीं तो इतिहास में कितने ही नेता हुए हैं जिनका नाम रखा जा सकता था. पटेल, नेहरू, जिन्ना, सावरकर, हेडगेवार वगैरह. लेकिन ये सब कभी मजबूर नहीं लगे. जैसा तोड़ा मरोड़ा इतिहास हमको मिला उसके हिसाब से गांधी से ज्यादा मजबूर कोई नहीं था.
हालांकि ये हमारी कमअक्ली थी. मानता हूं. इकरार है. नासमझी में ये बात समझता रहा. अब जाकर समझ आया कि हर जगह गांधी का नाम लेना किनके लिए मजबूरी है. राहुल जी ने अगर “मुझमें तुममें खड्ग खंभ में, जहं देखो तहं कांग्रेस निशान” की रागिनी छेड़ी है तो मोदी जी ने भी कमर कस ली है. पटेल के साथ ही गांधी को भी साध लिया है. पटेल तो खैर अपनी बड़ी सी मूर्ति लगवाकर खुश हो लेंगे. लेकिन गांधी तो पूरे रिप्लेस होने पर आ गए हैं. खादी ग्रामोद्योग के कैलेंडर पर गांधी जा चुके. इसके पहले वो मध्य प्रदेश में दो हजार के नोटों से उठकर चले गए थे. अगला नंबर सारे नोटों का है. अगर वाइब्रैंट गुजरात महोत्सव से उर्जित पटेल उठकर भागे नहीं होते तो इसका ऑफिशियली ऐलान हो जाता.
खास बात ये है कि मोदी जी कैलेंडर में आए हैं. इसके बाद ठाकुर प्रसाद पंचांग पर जो बूढ़े बाबा का फोटो आता है, उनके आंसू बहते देखे गए हैं. समर्थकों में खासा उत्साह इस बार किंगफिशर कैलेंडर को लेकर है. और जैसे जैसे कांग्रेस के चिन्हों को मोदीजी कैश कराते जा रहे हैं. वो दिन दूर नहीं जब राहुल गांधी को हटाकर वो कांग्रेस उपाध्यक्ष का पद ग्रहण कर लेंगे.
खैर राहुल गांधी की भी हाहाकारी स्पीच जाते जाते सुन जाइए.
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