23 मई, 1984 का दिन. समय दिन के एक बजकर सात मिनट. और माउंट एवरेस्ट पर उत्तराखंड के उत्तरकाशी की एक बेटी भारत का झंडा लहराती है. भारत की उस बेटी का नाम है बछेन्द्री पाल. भारत की पहली और विश्व की पांचवीं महिला, जिन्होंने एवरेस्ट फतह किया. बछेन्द्री पाल की ज़िन्दगी भी तमाम उतार-चढ़ाव से भरी रही. उनकी ज़िन्दगी को लेकर कुछ किस्से प्रचलित हैं. आपको बताते हैं क्या हैं वो किस्से-
1. सिलाई करके की पढ़ाई
बछेन्द्री पाल के घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी. लेकिन किताबें बछेंद्री को लगातार खींच रही थीं. कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने सिलाई करना सीख लिया और सलवार-कमीज़ सिलना शुरू कर दिया. सिलाई करके उन्हें 5-6 रुपए रोज़ के मिल जाते थे. जिससे उनका खर्च निकल आता था. स्कूल टाइम में बछेंद्री न सिर्फ पढ़ने में अच्छी थीं, बल्कि खेल-कूद में भी बेहद अच्छा परफॉर्म करती थीं. पढ़ाई के साथ-साथ शॉट-पुट, जेवेलिन थ्रो और डिस्कस में भी काफी बढ़िया परफॉर्म किया.
2. अपनी टीचर के घर में घुस गई थीं, इसलिए पिटाई हुई
बछेंद्री बचपन में काफी शरारती थीं. स्कूल टाइम में इनकी एक टीचर थीं, जो काफी सुंदर थीं. ये और दूसरी लड़कियां इस बात को लेकर आश्चर्य में रहती थीं कि वो इतनी सुंदर कैसे हैं. उनकी सुंदरता का राज़ जानने के लिए एक दिन वो अपने दो दोस्तों के साथ स्कूल से भागकर खिड़की के जरिए उनके कमरे में घुस गईं. वो ड्रेसिंग टेबिल पर देखने लगीं कि बोतलों में क्या रखा है कि तभी उन्हें बाहर किसी के पैरों की आवाज़ सुनाई दी. वो अपने दोस्तों के साथ बेड के नीचे छिप गईं. मैडम को पता चल गया और बछेंद्री की जम के धुनाई हुई.
3. नहीं मिली अच्छी नौकरी तो ज्वाइन किया माउंटनियरिंग का कोर्स
बी.ए. के करने के बाद बछेन्द्री ने एम.ए. (संस्कृत) किया और फिर बी.एड. की डिग्री हासिल की. इतनी पढ़ाई करने के बाद भी बछेन्द्री को कहीं अच्छी नौकरी नहीं मिली. जहां भी नौकरी मिलने की बात होती, वहां उन्हें कम तनख्वाह वाली जूनियर लेवल की नौकरी की ऑफर दी जाती. इसलिए उन्होंने ज्वाइन नहीं किया क्योंकि बछेंद्री को लगा कि ये उनकी ज्यादा पढ़ाई की तौहीन है. इसके बाद बछेन्द्री ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में दाखिले के लिए आवेदन कर दिया. उन्हें इस कोर्स में सबसे अच्छा माना गया.
4. जब पिता ने छत से नीचे फेंक दिया
बछेंद्री जब छोटी सी थीं, तो एक दिन उनके पापा रामायण पाठ कर रहे थे. वो पापा का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए लगातार कोशिश कर रही थीं. लेकिन वो ध्यान नहीं दे रहे थे. उन्होंने कई तरीकों से कोशिश की लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. इग्नोर किए जाने की वजह से वो लगातार परेशान करती रहीं. पापा ने मना किया पर वो नहीं मानीं. इस पर वो काफी गुस्सा हो गए और बछेंद्री को घसीटते हुए छत पर ले आए और नीचे फेंक दिया. लेकिन नीचे गिरते-गिरते बछेन्द्री के हाथों में एक झाड़ी आ गई. उनका चेहरा डर के मारे नीला पड़ गया था. बाद में उनके पापा ने खुद उनको बचाया. और इस बात को लेकर इनके मम्मी-पापा में खूब झगड़ा हुआ.
5. इंदिरा गांधी ने की तारीफ
1984 में इंदिरा गांधी ने इनकी तारीफ करते हुए कहा, “बछेंद्री, मै तुम्हारी जैसी सौ बछेंद्री चाहती हूं.” बछेंद्री कहती हैं कि जब मैंने उनसे कहा कि मैं एडवेंचर स्पोर्ट्स को प्रमोट करना चाहती हूं तो उन्होंने कहा कि इस काम के लिए गांव से महिलाओं को अपने साथ जोड़ो.