उनके पास मोसाद है. जान खतरे में डालकर दुश्मनों को ठिकाने लगाने वाले बंदे हैं. इसीलिए छोटा सा देश दुनिया भर की नाक का बाल बना हुआ है. अमेरिका समेरिका सब कुन्ने से बचके निकलते हैं इजराइल के नाम पर.
लेकिन आपको तो पता ही है. हमारी पावन धरा पर देवता अवतार लेते रहे हैं. और देवताओं की ताकत इंसानों से ज्यादा ही होगी. चाहे वो मोसाद हों या मवाद. इसीलिए इतना हाईटेक इंतजाम होने के बाद भी इजराइल की सबसे खास चीज चोरी हो गई. वो चीज इतनी खास है कि अपने देश की उस चीज का कोई अपमान कर दे तो उसके कपार पर लट्ठ पड़ जाएं. फिल्म चलने से पहले खड़े न हो तो लोग कुर्सी से उठाकर सड़क पर फेंक दें. हां साहब, राष्ट्रगान की बात कर रहे हैं हम.
हमारे देश के राष्ट्रगान की धुन कोई और चुरा ले जाए. ये होने दोगे? उसकी खाल निकालकर उसमें गोबर नहीं भर दोगे? तो इजराइल का राष्ट्रगान चोरी हो गया. आज नहीं, 20 साल पहले. पता नहीं अब तक उन लोगों को पता चला या नहीं. और चुराया किसने? अरे नहीं भाई कोई जेम्स बॉन्ड नहीं, कोई अजीत डोवाल नहीं. अपने यहां म्यूजिक इंडस्ट्री में एक देवता हुए हैं. अनु मलिक नाम है इनका.
सन 96 में एक मस्त जबरजस्त पिच्चर आई थी. दिलजले. उसमें अपने करेंट शिवाय अजय देवगन थे. और सोनाली बेंद्रे. इत्ती खूंखार पिच्चर थी भाई साब कि मजा आ गया था देखकर. उसी में अनु भाई ने इजराइल की नेशनल एंथेम उठाकर हमारा देशभक्ति गाना बना दिया था. “मेरा मुल्क मेरा देश मेरा ये वतन. शांती क उन्नती क प्यार का चमन.”
गाने के बारे में तो खूब जानते हो. इजराइल के चुराए गए माल मतलब उनकी नेशनल एंथेम के बारे में जान लो. इसको कहते हैं हैतिकवा(Hatikvah), हिंदी में आशा. उम्मीद. दरअसल ये ओरिजनल भी कहीं से उठाया गया है. एक यहूदी कवि थे ज़ोलोचिव के, ये जगह अब यूक्रेन में है. नाम था नफ्टाली हर्ज इम्बर. नाम लेने में दिक्कत हो रही हो तो न लो. पढ़ लो बस. इन्होंने ये पोयम लिखी थी सन 1877 में. येरुसलम में सन 1886 में एक किताब छपी जिसमें ये 9 स्टैंजा की कविता छपी.
खैर इसको एंथेम के तौर पर एडॉप्ट किया गया सन 1897 में. लेकिन ब्रिटेन की सरकार ने इसको गाने और बजाने पर बैन लगा दिया. सन 1919 में, अरब की कारगुजारी के बाद. 1948 में इजराइल प्रॉपर तरीके से देश बना. तबसे कहानी शुरू हुई कि इसको नेशनल एंथेम बनाया जाए. लेकिन बनी जाकर 2004 में. जब इसको एडिट करके छोटा किया गया. और इसका म्यूजिक लिया गया है 16वीं सदी के एक इटैलियन गीत से. जो उठा लिया 20वीं सदी में श्री अनु मलिक में.
इन हिब्रू भाषा की लिरिक्स का अर्थ है: जैसे जैसे हमारे दिल की गहराई में हमारी आत्मा मचलती है, आंखें पूरब की ओर मुड़ जाती हैं. ज़ियोन(येरुसलम) को देखने के लिए. हमारी उम्मीद, दो हजार साल पुरानी उम्मीद कभी नहीं टूटेगी. हमारे देश के लोगों की आजादी के लिए. येरुसलम के लिए.