देश में कोरोना के कुल मरीज करीब साढ़े चार लाख हो गए हैं. ये नंबर लगातार बढ़ रहा है और अगले कुछ महीनों में एक करोड़ तक भी पहुंच सकता है. अब ऐसे में कोई आपसे कहे कि कोरोना की दवा आ गई है जो मरीज को पूरी तरह से ठीक कर देती है. यानी कोरोना संक्रमण अगर हो भी जाए दवा से ठीक होने के 100 पर्सेंट चांस, मरने का ज़ीरो पर्सेंट चांस. इसी तरह के दावे के साथ आज योग गुरु रामदेव ने हरिद्वार में पतंजलि की कोरोनो किट जारी की. बाबा रामदेव ने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए दुनिया को जिस दवा की जरूरत थी वो हमने बना डाली. तो इसका क्या मतलब है ? क्या अब कोरोना से किसी की भी मौत नहीं होगी अगर वो पतंजलि वाली दवा खा लेंगे तो ? और महीनों से कोरोना के इलाज के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक जिस दवा की खोज में जुटे थे क्या अब वो पूरी हो गई है ? आज की बड़ी खबर में इन्हीं सवालों के जवाब हम टटोलेंगे.

शुरू से शुरू करते हैं. हरिद्वार में कोरोना की दवा लॉन्च करने की ये तस्वीरें देखिए. बाबा रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के अलावा कुछ और लोग भी मंच पर नज़र आ रहे हैं. इनमें से रामदेव की दांयी तरफ हैं जयपुर की एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन बलबीर तोमर. मंच पर उनकी कॉलेज के कुछ और प्रोफेसर भी हैं. बाबा रामदेव के मुताबिक पंतजलि ने जयपुर वाली मेडिकल कॉलेज के साथ ही मिलकर ही कोरोना किट तैयार की है. कोरोना किट, हां पतंजलि के डिब्बे पर ये ही नाम लिखा है जिससे 100 फीसदी कोरोना ठीक होने का दावा है. और इस किट में क्या है. तीन अलग अलग चीजे हैं. एक कोरोनिल, दूसरी श्वासारी और तीसरा अणु तेल. श्वासारि और अणु तेल, ये दोनों प्रोडक्ट पतंजलि पहले से बेचता है. सर्दी जुकाम से नाक बंद होने पर अणु तेल को नाक में डालने के लिए कहा जाता है और श्वासारी फेंफड़ों की बेहतरी के बताया जाता है. नई चीज़ है कोरोनिल. क्या है कोरोनिल और कैसे बनाया गया.
गिलॉय, तुलसी और अश्वगंधा. इन तीनों चीजों से बनी है पतंजलि की वो दवा जिसके बारे में कोविड को 100 फीसदी ठीक करने का दावा है. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इन चीजों का सेवन पहले से भी बताया जा रहा था. बाबा रामदेव का भी 8 अप्रैल का एक वीडियो पंतजिल के यूट्यूब चैनल पर है जिसमें वो इन चीजों के सेवन के लिए कह रहे हैं. तो अब सवाल ये है कि जो चीजें इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बताई जा रही थी क्या उन्हें कोरोना की दवा कहकर बेचना ठीक है? दिल्ली के ही सर गंगाराम हॉस्पिटल के सीनियर फिजिशियन डॉ एम वली के मुताबिक कोरोनिल इम्यूनिटी बढ़ा सकती है वायरस का मारने में कारगर नहीं हो सकती है.

अब कोराना किट को लेकर किए जा रहे दूसरे दावे पर आते हैं. दवा से 100 फीसदी मरीज ठीक होने का दावा. किसी भी नई दवा के बारे में मजबूती से ऐसा दावा ट्रायल के बाद ही किया जाता है. पंतजलि की तरफ से भी कहा जा रहा है कि ट्रायल किया है. डा बलबीर तोमर के मुताबिक इन्होंने अपने ही मेडिकल कॉलेज में 100 कोरोना पॉजिटिव पर क्लिनिकल ट्रायल किया. 100 में से 50 को ही दवा दी गई. क्या दवा दी गई- प्योर गिलोय, सफेद मूसली, प्योर तुलसी ये सब. पतंजिल के मुताबिक जिन मरीजों को ये दवा दी गई थी उनका कोरोना टेस्ट 7 दिन बाद नेगेटिव आया जबकि जिनको दवा नहीं दी गई थी उनमें से 65 फीसदी का ही नेगेटिव आया. यानी दवा के इस्तेमाल से 35 फीसदी मरीज जल्दी ठीक हुए थे. ये जयपुर वाली मेडिकल कॉलेज का इनहाउस ट्रायल था.
कोरोना के बारे में एक बात शुरू से बताई जा रही है कि इसमें फैटलिटी रेट कम है, मृत्यू दर कम है. करीब 2-3 फीसदी मरीज ही मरते हैं बाकी ठीक हो जाते हैं. भारत के आंकड़े भी यही कहते हैं. ये उन मरीजों की बात है जिन्हें पतंजलि वाली दवा नहीं दी जाती है. मौत सिर्फ गंभीर लक्षणों वाले मरीजों की ही होती है. तो क्या पंतजलि वाले ट्रायल में गंभीर लक्षणों वाले मरीज भी थे. जवाब है नहीं. सिर्फ माइल्ड और मॉडरेट सिम्पटम वाले मरीज थे. ऐसे मरीज आमतौर पर खुद ही ठीक हो जाते हैं. इसलिए पंतजलि का ये दावा कि कोरोनिल से 100 फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं ये एक बहुत ही छोटे सेंपल के आधार पर निकाला गया नतीजा है.
अब बात आती है कि कोई कंपनी कोरोना की दवा मरीजों को 100 फीसदी ठीक करने के दावे के साथ बेचे तो क्या सरकार से अनुमति की जरूरत नहीं है? क्या सरकार ये मान रही है कि पतंजलि ने कोरोना की दवा बना ली है? रामदेव ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्होंने सरकार की संस्था Central Trial registration of India यानी CTRI से परमिशन ली है. ये दावा भी आधा ही सच है. CTRI सिर्फ ट्रायल का रिकॉर्ड रखने वाली संस्था है. कोई अगर नई दवा का ट्रायल करता है तो CTRI को बताना पड़ता है. दवा बेचने के लिए सेंट्रल ड्र्ग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है. इसे Certificate of Pharmaceutical Product यानी CoPP कहते हैं. सेंट्रल ड्र्ग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन की वेबसाइट पर पंतजलि की ही कंपनी दिव्या फार्मेसी के कई प्रोडक्ट्स को सर्टिफेक्ट्स देने की जानकारी है. लेकिन कोरोनिल की जानकारी नहीं मिली. ना ही ऐसे सर्टिफिकेट का जिक्र बाबा रामदेव की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुआ.
We’ve prepared the first Ayurvedic-clinically controlled, research, evidence & trial based medicine for COVID19. We conducted a clinical case study&clinical controlled trial, and found 69% patients recovered in 3 days & 100% patients recovered in 7 days: Yog Guru Ramdev, Haridwar pic.twitter.com/QFQSVF0JIh
— ANI (@ANI) June 23, 2020
अखबारों में पिछले दो-तीन दिन की खबरों में पतंजलि के अलावा कुछ और दवा कंपनियों की भी कोरोना दवा की खबरें छपी हैं. साथ में ये भी छपा है कि इन कंपनियों को ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने दवा बेचने के लिए परमिशन दी है. कंपनियों ने भी बताया है कि उनकी दवा सिर्फ हल्के लक्षण वाले मरीजों में ही कारगर होंगी. ऐसे में सिर्फ 50 मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर ये कह देना कि इससे 100 फीसदी मरीज ठीक हो जाते हैं, ये एक तरह की जल्दबाजी है. और अगर ये इतनी ही बड़ी कामयाबी है तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च इस कामयाबी का जश्न क्यों नहीं मना रहा है.
कोरोना मरीजों को 100 फीसदी ठीक करने वाली पतंजलि की दवा पर हल्ला मचा तो अब आयुष मंत्रालय की भी नींद टूटी है. एक बयान जारी कर आयुष मंत्रालय ने कहा है कि हमें पतंजलि वाली दवा या उससे जुड़ी रिसर्च की कोई जानकारी नहीं है. मंत्रालय ने अब पतंजलि से दवा के ट्रायल के बारे में सारी जानकारी मांगी है. जैसे CTRI का सर्टिफिकेट, कहां ट्रायल किया, किन पर ट्रायल किया, ट्रायल के वक्त जो दवा दी थी उनमें क्या क्या था. इसके अलावा मंत्रालय ने ये भी बता दिया है कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडिज़ एक्ट 1954 के तहत भ्रामक प्रचार करना अपराध है.
उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने कहा है कि पतंजलि को खांसी-ज़ुकाम की दवा बनाने के लिए लाइसेंस दिया गया था, और रामदेव ने कोरोना की दवा बना दी. केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने बहुत सारी चीज़ों का ब्यौरा मांगा है. साथ ही कहा है कि बिना आयुष मंत्रालय की स्वीकृति के दवा का प्रचार या बिक्री शुरू नहीं कर सकते हैं.
As per Patanjali’s application, we issued them license. They didn’t mention coronavirus, we only approved license for immunity booster, cough & fever. We’ll issue them a notice asking how they got permission to make the kit (for COVID19): Licence Officer, Uttarakhand Ayurved Dept pic.twitter.com/I7CWKoJhbK
— ANI (@ANI) June 24, 2020
कोई गलत जानकारी देकर दवा बेचे पर उस पर कार्रवाई के लिए हमारे देश में कानून हैं, इन पर नजर रखने के लिए संस्था हैं. अगर भ्रामक दावों के साथ कोरोना की भी दवा बेची जा रही है तो कार्रवाई होनी चाहिए.
विडियो- सरकार ने बाबा रामदेव की कोरोना दवा ‘कोरोनिल’ को नोटिस क्यों दिया?