सनरूफ वाली गाड़ी जरूर लें, लेकिन फिर ये नुकसान भी जान लें
मान लिया कि सनरूफ वाली गाड़ी देखने में अच्छी लगती है. खासकर पैनोरमिक सनरूफ. आजकल ज्यादातर गाड़ियों में सनरूफ या पैनोरमिक सनरूफ का ऑप्शन दिया जा रहा है. लेकिन ये फीचर अगर खराब हो गया, तो इसे ठीक कराने में अच्छा-खासा खर्चा आता है. सेफ्टी के लिहाज से भी ये फीचर काफी रिस्की हो सकता है.

‘गाड़ी ले रहे हो, कितने की है? अच्छा 15 लाख रुपये की. फिर तो उसमें सनरूफ भी होगी? नहीं है? अब 15 लाख रुपये की कार खरीदी और उसमें सनरूफ भी नहीं. इस प्राइस में तो अच्छी-खासी सनरूफ वाली गाड़ियां मिल जाती है. अच्छा फील भी देती है.’
हमेशा तो नहीं, लेकिन अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं जिन्हें लगता है कि सनरूफ ले लो, तो गाड़ी बढ़िया लगती है. मान लिया कि सनरूफ वाली गाड़ी देखने में अच्छी लगती है. खासकर पैनोरमिक सनरूफ. आजकल ज्यादातर गाड़ियों में सनरूफ या पैनोरमिक सनरूफ का ऑप्शन दिया जा रहा है. लेकिन ये फीचर अगर खराब हो गया, तो इसे ठीक कराने में अच्छा-खासा खर्चा आता है. सेफ्टी के लिहाज से भी ये फीचर काफी रिस्की हो सकता है.
हाल ही में एक महिला अपनी Volkswagen Virtus से पुणे से मानगांव जा रही थी. तभी महाराष्ट्र के ताम्हिनी घाट में पहाड़ी से एक बड़ा पत्थर महिला की चलती कार पर गिर गया. इससे कार का सनरूफ टूट गया और महिला की मौके पर ही मौत हो गई. कुछ समय पहले भी एक केस आया था, जिसमें एक बच्चा गाड़ी की सनरूफ से बाहर निकलकर खड़ा हुआ था. तभी उसका सिर एक रोड बैरियर से टकरा जाता है. बच्चा तेज झटके से कार के अंदर गिरता है. ऐसे और भी कई मामले हैं, जो सनरूफ वाली कारों की सेफ्टी पर सवाल खड़े करते हैं.
लेकिन जिस कार लवर को सनरूफ चाहिए, वह उसे लेगा ही. ये खुद की पसंद पर निर्भर करता है. क्योंकि सूरज की किरणों का छत के अंदर से कार में पड़ना, एक अच्छी फीलिंग देता है. जब बारिश की बूंदें सनरूफ पर पड़ती है, तब और भी अच्छा लगता है. लेकिन सेफ्टी के हिसाब से सनरूफ को कार का बेस्ट फीचर नहीं माना जा सकता है. आज हम आपको बताएंगे कि सनरूफ कार लेना क्यों एक बेस्ट ऑप्शन नहीं है.
आसमान और डिस्ट्रेक्शनसनरूफ 'एस्थेटिक' फीलिंग देती है, लेकिन ड्राइविंग के दौरान ध्यान भी भटका सकती है. आप ग्लास से आसमान में देखने की कोशिश करते हैं. इसकी वजह से ड्राइवर का फोकस सड़क पर से हट सकता है. इसके अलावा, सनरूफ से बाहर निकलना काफी रिस्की हो सकता है. एक उदाहरण हम ऊपर दे ही चुके हैं.

सनरूफ की कांच की छत शैटरप्रूफ (जो चटककर न टूटे) नहीं होती है. ये आमतौर पर टेम्पर्ड या लैमिनेटेड ग्लास होती है. ज्यादा तापमान, मैनुफैक्चरिंग एरर, तेज रफ्तार में टक्कर या पत्थर गिरने जैसी सिचुएशन में सनरूफ में दरारें पड़ सकती हैं. या गंभीर स्थिति में कांच पूरी तरह टूट भी सकता है.
केबिन में होती है ज्यादा गर्मीसनरूफ से सूरज की किरणें कार के अंदर आना अच्छा जरूरत लगता है. लेकिन इससे कार में गर्मी भी ज्यादा हो सकती है क्योंकि अंदर बैठे लोगों पर धूप सीधा पड़ती है. बिल्ट-इन शेड्स के बावजूद, ग्रीन हाउस इफेक्ट की वजह से सनरूफ केबिन के अंदर तापमान बढ़ा सकती है. इससे कार के AC पर ज्यादा प्रेशर पड़ेगा. उसे ज्यादा काम करना पड़ेगा और फ्यूल भी ज्यादा जलेगा.
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केबिन बन सकता है स्विमिंग पूलसमय के साथ सनरूफ की सील खराब हो सकती है. इससे केबिन के अंदर पानी आ सकता है. मतलब एस्थेटिक तो मिलेगी, लेकिन मानसून के दौरान ये केबिन में पानी भरने की वजह भी बन सकती है.
सनरूफ मतलब जेब खर्चअगर सनरूफ खराब हो गई, तो जेब खर्च के लिए भी तैयार रहना पड़ेगा. क्योंकि टूटी हुई मोटर से लेकर टूटे हुए शीशे तक, सनरूफ की मरम्मत की लागत काफी ज्यादा हो सकती है.
सनरूफ एक प्रीमियम फील गाड़ियों में दे सकती है. लेकिन सेफ्टी के हिसाब से ये फीचर अब भी रिस्की है. ऊपर से अगर ये खराब हो गया तो इसकी मरम्मत की कॉस्ट भी काफी महंगी हो सकती है. बाकी, मर्जी आपकी है.
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