इतने छोटे से इंजन के साथ भी कैसे पहाड़ों पर बिना डगमगाए चलती है Bolero?
महिंद्रा Bolero कहें या बाहुबली. आधे इंडिया में माल ढुलाई के लिए इस गाड़ी का इस्तेमाल होता है. ऐसे में लगेगा कि गाड़ी में बहुत दमदार इंजन लगा होगा. मगर हकीकत इससे अलग है. इस गाड़ी में महज 75bhp का इंजन लगा है. फिर ऐसा क्या है इसमें जो यह गाड़ी रोड पर किंग बनकर चलती है.

एक जगह से दूसरी जगह माल पहुंचाना हो या फिर पहाड़ों पर चलाना हो, Bolero कभी निराश नहीं करती. 2000 में लॉन्च हुई ये गाड़ी आज भी आधे इंडिया में माल ढुलाई का काम करती है. इसके सामने नए जमाने की SUV डगमगा जाए, लेकिन ये चलती रहती है. चलती रहती है वो भी आराम. अब तो इस गाड़ी का अपडेटेड वर्जन भी आ गया है. जिसमें थोड़ा बहुत एक्सटीरियर और इंटीरियर में बदलाव किया गया है. लेकिन आम जानकारों को शायद अजीब लगे कि इस बाहुबली गाड़ी का इंजन इतना दमदार नहीं है.
बोलेरो में महज 75bhp का इंजन लगा है, जबकि Mahindra Scorpio N के डीजल इंजन में 130bhp की पावर मिलती है. वहीं, Mahindra XUV700 का 2.2 लीटर डीजल इंजन, 172.45bhp की पावर प्रोड्यूस करता है. इसके अलावा Toyota Hilux का डीजल इंजन 201.15bhp की पावर देता है. लगभग 3 Bolero जितनी ताकत.
टॉर्क का कमालBolero का 1.5 लीटर mHawk75 डीजल इंजन, 75bhp की पावर और 210Nm का टॉर्क जनरेट करता है. माने कि सिर्फ 75bhp की पावर के साथ भी ये गाड़ी पहाड़ों पर कहीं भी चली जाती है. लेकिन ऐसा कैसे है?
इसका जवाब है टॉर्क. टॉर्क किसी वाहन को खींचने या उठाने की क्षमता होती है, जबकि पावर का सबंध स्पीड से होता है. SUV बड़ी और भारी गाड़ियां होती हैं. इसलिए इनके बड़े आकार और वजन की वजह से ये स्पीड से ज्यादा टॉर्क की डिमांड करती है और Bolero भी एक SUV ही है. इसका डीजल इंजन मैक्सिमम 210Nm का टॉर्क सिर्फ 1600 RPM से 2100 RPM पर जनरेट कर सकता है. इसलिए ये गाड़ी पहाड़ों पर भी आसानी से भागती है. वहीं, कई महंगी SUV (कॉम्पैक्ट SUV) में तो इतना टॉर्क मिलता भी नहीं है.
बता दें कि इंजन की ताकत हमेशा HP में मापी जाती है. इसकी वजह है स्टीम इंजन. 1760 में James Watt ने स्टीम इंजन बनाते समय ताकत मापने के लिए घोड़ों का इस्तेमाल किया था. क्योंकि घोड़े सदियों से ट्रांसपोर्ट का साधन रहे हैं. बाकी हॉर्सपावर के बारे में अच्छे से जानने के लिए. नीचे दी गई खबर पर क्लिक कर लीजिए.
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Bolero में अब भी रियर-व्हील ड्राइव के साथ बॉडी-ऑन-फ्रेम डिजाइन का इस्तेमाल दिया गया है. यानी लैडर- फ्रेम चेसिस. आम भाषा में कहें तो कमानी वाला फ्रेम. ये सब 4 मीटर SUV सेगमेंट में एक रेयर सेटअप है. लैडर- फ्रेम चेसिस ज्यादा मजबूत होता है. क्योंकि इसकी बॉडी और फ्रेम अलग-अलग होता है. इस वजह से ये गाड़ी उबड़-खाबड़ सड़कों और गड्ढों पर बेहतर तरीके से चल पाती है. रफ-टफ सिचुएशंस में भी बढ़िया परफॉर्मेंस देती है. ऊपर से अगर Bolero के चेसिस में या किसी पार्ट में कोई खराबी आ जाए, तो इसकी मरम्मत भी आसान और सस्ती है. यही कारण है कि ये SUV आज भी कई लोगों की पसंद है. खासकर ग्रामीण इलाकों में.
8 लाख रुपये में 7 सीटरBolero के बेस वेरिएंट का एक्स शोरूम प्राइस 7.99 लाख रुपये और टॉप मॉडल की कीमत 9.69 लाख रुपये है. 10 लाख रुपये से भी कम कीमत में ये गाड़ी 7 सीट ऑफर करती है. काफी कम कंपनियां सब 4 मीटर के अंदर 7 सीटें देती करती हैं. हालांकि, इसकी दूसरी और तीसरी लाइन में स्पेस ज्यादा अच्छा नहीं मिलता है. लेकिन तीसरी रो में अगर सीट नहीं चाहिए, तो उसे मोड़ा भी जा सकता है. इस कीमत पर Bolero ने अपना ‘नॉट सो बेस्ट’ लेकिन ‘बेस्ट’ देने का ट्राई किया है.
Bolero में सब चंगा है. लेकिन इसके 2 एयरबैग्स इसकी सेफ्टी पर सवाल कर सकते हैं.क्योंकि आज 3.70 लाख रुपये की एक हैचबैक (Alto K10) में भी 6 एयरबैग्स दिए जा रहे हैं. लेकिन ये बिस्ट अब भी 2 एयरबैग्स के साथ ही मार्केट में आया है. बाकी, कंपनी इसका पुराना लुक ही शायद बनाकर रखना चाहती थी. तभी इसमें हैलोजन हैडलाइट्स दी गई है.
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