कार में कुछ बदलाव कराना है? ऐसे मॉडिफिकेशन से नहीं कटेगा चालान!
Legal Car Modifications: कार में अगर कुछ बदलाव कराने की सोच रहे हैं, तो ये जानना जरूरी है कि आप क्या मॉडिफिकेशन करा सकते हैं और क्या नहीं. ताकि बाद में आपका चालान न कट जाए.

कार लेते ही मन में कई ख्याल आने लगते हैं. कभी लगता है कि पहिए बदलवा लें, कभी हॉर्न अपग्रेड करवा लें, तो कभी लगता है कि स्पीकर की आवाज में दम नहीं है, कुछ ज्यादा लाउड वाले स्पीकर लगा लें. कुल मिलाकर कार को अपनी पसंद के हिसाब से सेट करने का मन करता ही है. लेकिन दिक्कत ये है कि ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि कार में क्या मॉडिफिकेशन कानूनी तौर पर कराया जा सकता है और क्या नहीं.
लोग बस अपनी पसंद का लुक बनाने के चक्कर में आफ्टरमार्केट ऑप्शन तक पहुंच जाते हैं और जो मन में आया, बदलवा लेते हैं. फिर बाद में चालान अलग से कट जाता है. आज उन मॉडिफिकेशंस की बात कर लेते हैं, जिन्हें करवाने के बाद आप आराम से ड्राइव पर जा सकते हैं.
हालांकि, कुछ मॉडिफिकेशन में आपको RTO यानी रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस की परमिशन की भी जरूरत होती है. वहीं, कुछ मॉडिफिकेशन आप कुछ हद तक ही करा सकते हैं. बताते हैं नियम क्या कहता है.
टायर्स अपग्रेडभारत में कार के टायर अपग्रेड करना बिलकुल कानूनी है, बशर्ते आपके नए टायर कार कंपनी के तय मानकों के मुताबिक हों. माने कि टायर का अगर साइज बढ़ा रहे हैं, तो नए टायर की स्पीड रेटिंग और लोड इंडेक्स पुराने टायर से बराबर या ज्यादा होने चाहिए. नए टायर का आकार बड़ा है, तो टायर की साइड वॉल की ऊंचाई को कम करना होगा. ताकि कार चलाने में परेशानी न हो.
आप कार के लिए अलग तरह के टायर या अलग किस्म के रबर कंपाउंड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. जैसे कि रबड़ की मिक्सिंग या ग्रीपिंग के हिसाब से. यानी, टायर बदलते वक्त यह जरूरी है कि आप कार के लिए सुरक्षित और सही टायर चुनें, और वे कानूनी तरीके से गाड़ी के वजन और स्पीड को सपोर्ट कर पाएं.
डिजाइन वाले चक्केस्टील व्हील से अलॉय व्हील पर स्विच करना है या फिर अलॉय व्हील से ही नए डिजाइन के अलॉय व्हील लगवाना चाहते हैं, तो आराम से लगवा लीजिए. ये कार के लुक को भी बढ़ाते हैं. बशर्ते आपको ध्यान रखना है कि इनका आकार बड़ा न हो.
गाड़ी की डेंटिंग-पेंटिंगगाड़ी का रंग काले से सफेद, नीला, पीला कराना है, तो ये भी वैध है. लेकिन कार का रंग बदलवाने से पहले आपको रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) से अप्रूवल लेना होगा. एक बार अप्रूवल मिल जाए, तो मनचाहा रंग करा सकते हैं. आप गाड़ी पर बॉडी रैप भी करा सकते हैं.
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गाड़ी में बैठे हुए झटके कम लगने और ड्राइविंग क्वालिटी बेहतर करने के लिए गाड़ी का सस्पेंशन अपग्रेड करा सकते हैं. लेकिन इसके लिए भी अपने RTO से जानकारी लेना जरूरी है, क्योंकि कार को बहुत ज्यादा नीचे करना एक प्रॉब्लम क्रिएट कर सकता है. जैसे कि स्पीड ब्रेकर पर अंडरबॉडी टकरा सकती है.
इसके अलावा राइड हाइट बहुत ज्यादा बढ़ना भी दिक्कत हो सकती है. क्योंकि इससे सेंटर ऑफ ग्रैविटी बढ़ती है, जिससे हैंडलिंग खराब हो सकती है और सस्पेंशन ज्योमेट्री बिगड़ सकती है. वहीं, एंटी-रोल बार लगाने जैसे बदलाव मोड़ लेते समय बॉडी रोल (गाड़ी के मुड़ने का झुकाव) को कम कर सकते हैं. मतलब ज्यादा स्टेबल राइड.
लाइट अपडेटहैलोजन लाइट से गाड़ी में LED हेडलाइट लगवानी है, तो ये वैध है. लेकिन अगर आप ऐसी लाइट लगवाते हैं, जो सामने वाले की विजिबिलिटी कम कर दें. उसे न दिखे, तो आपका चालान कट सकता है.
CNG Kit फिटपेट्रोल का खर्च कम करने के लिए गाड़ी में CNG किट फिट करानी है, तो आफ्टर मार्केट से ये भी करा सकते हैं. लेकिन इसके लिए भी RTO से इजाजत चाहिए. CNG किट की इजाजत देने के बाद RTO की तरफ से नया रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) जारी किया जाता है. कई ऑफिशियल कार डीलरशिप से भी CNG किट लगवाई जा सकती है.
इसके अलावा आप इंफोटेनमेंट, सीट कवर, आर्मरेस्ट और स्पीकर भी बदलवा सकते हैं. माने कि कार में आप काफी कुछ बदलाव करा सकते हैं. लेकिन ये बदलाव RTO के तहत कानूनी होेने चाहिए. कुल मिलाकर कोई भी कार मॉडिफिकेशन से पहले RTO और अपनी व्हीकल इंश्योरेंस कंपनी से पूछ लेना बेहतर रहता है, ताकि बाद में चालान कटने या क्लेम में परेशानी की नौबत न आए.
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