The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Auto
  • car cost cutting These features should be in every car model

लाखों रुपये देने के बाद भी कार में नहीं मिलतीं ये चीजें, देखिए कंपनियां कैसे-कैसे बचाती हैं पैसे

Car Companies cost cutting: एक गाड़ी जब मार्केट में लॉन्च होती है, तो उसके कई वेरिएंट्स पेश किए जाते हैं. यानी बेस मॉडल से लेकर टॉप मॉडल तक. इनके बीच काफी अंतर होता है. लेकिन कई बार कार कंपनियां बेस मॉडल में कुछ ऐसी कॉस्ट-कटिंग कर देती हैं, जो समझ से परे लगती है.

Advertisement
Sensless cost cutting on cars
कार कंपनियों की कंजूसी (फोटो-Pexels, Team-BHP)
pic
रितिका
28 अक्तूबर 2025 (Updated: 28 अक्तूबर 2025, 02:10 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

कार कंपनियां जब भी नई कार बाजार में उतारती हैं तो पूरा फोकस टॉप मॉडल पर होता है. इसी के पूरे फीचर और एक्सेसरी के बारे में बताया जाता है. हां कीमत हमेशा बेस वेरियंट की बताई जाती है. ठीक बात है. टॉप मॉडल पर फोकस कीजिए लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि बेस मॉडल को भूल ही जाइए. कहने का मतलब जहां टॉप मॉडल में सब फिट कर देते हैं वहीं बेस मॉडल में कंजूसी दिखाई जाती है. कई सारी जरूरी एक्सेसरी गायब होती हैं लेकिन उनको लगाने की जगह जरूर होती है. माने कार खरीदने के बाद आपका मन करे तो अलग से लगवा लो. क्यों भाई, आप पहले से कंपनी से फिट करके दे दो. थोड़ा पैसा और ले लो. अब कंपनियां ये करेंगी या नहीं, वो अलग बात. हां कंजूसी वाली लिस्ट हम आपको जरूर बता देते हैं. 

रियर वाइपर

किसी भी नई कार के बारे में पढ़ते या सुनते समय अक्सर उसके फीचर्स में रियर वाइपर, रियर डिफॉगर का जिक्र होता है. लेकिन ये रियर वाइपर या डिफॉगर सिर्फ टॉप मॉडल या उसके नीचे आने वाले एक-दो मॉडल्स में मिल जाता है. बेस वेरिएंट में नहीं. ये फीचर बारिश के समय काफी काम आता है. क्योंकि फ्रंट में लगे, वाइपर तो विजिबिलिटी बरकरार रखते हैं. लेकिन IRVM से पीछे की तरफ देखने लगे, तो कुछ भी साफ नजर नहीं आता.

आर्म रेस्ट

आर्म रेस्ट एक कॉमन फीचर लगता है. लेकिन आज भी कई बेस वेरिएंट कारों में ये रियर क्या फ्रंट में भी नहीं दिया जाता है. मतलब कि इतना पैसा बचाकर कंपनियां जाएंगी कहां? ये समझ आता है कि एक बेस वेरिएंट और टॉप वेरिएंट में फर्क करना है. लेकिन हाथ को अब क्या बेस मॉडल खरीदने वाला व्यक्ति आराम नहीं दे सकता?

sensless_cost_cutting_on_cars
फोटो-टाटा मोटर्स
बूट की लाइट गुल

गाड़ी के बूट में कुछ गिर गया, तो उसे टॉर्च जलाकर ढूंढते रहो. ऐसा हाल है कई बेस मॉडल्स का. क्योंकि बूट स्पेस में दी जाने वाली लाइट की भी कार कंपनियां बेस वेरिएंट में छंटनी कर देती हैं. ये छोटी सी लाइट ना देकर, कार कंपनियां कितने ही पैसे बचा लेती हैं, ये तो वो ही जानें.

हेडरेस्ट

अरे, अरे अगर आप सोच रहे हैं कि यहां हम कहने वाले हैं कि कार कंपनियां बेस मॉडल में हेडरेस्ट भी नहीं देती, तो ऐसा नहीं है. बेस मॉडल से लेकर टॉप मॉडल सभी में आपको हेडरेस्ट मिल जाएगा. लेकिन वो एडजस्टेबल होगा या नहीं, ये ही फर्क बेस और टॉप मॉडल का है. कई कारों के बेस वेरिएंट में फ्रंट सीट पर हेडरेस्ट को एडजस्ट किया जा सकता है. लेकिन रियर सीट के हेडरेस्ट बिल्कुल फिक्स होते हैं.

वन-टच पावर विंडो

वन-टच पावर्ड विंडो यानी एक बार खिड़की का बटन दबाया, तो शीशे अपने आप ऊपर या नीचे हो जाते हैं. मतलब आपको विंडो बंद करने तक बटन को दबाए नहीं रखना पड़ता. ये फीचर बेस मॉडल्स में भी ड्राइवर सीट पर देखने को मिल जाता है. लेकिन पैसेंजर सीट, रियर सीट पर नहीं.

हैलोजन लाइट्स

हैलोजन लाइट्स बेस मॉडल को कई बार टॉप मॉडल से अलग बनाती हैं. ठीक बात. पैसे बचाने हैं. लेकिन केबिन में LED लाइट देने से कितने ही पैसे खर्च हो जाएंगे? आज भी कई कंपनियां कार के अंदर रोशनी करने के लिए हैलोजन लाइट्स देती हैं.

sensless_cost_cutting_on_cars
फोटो- मारुति सुजुकी
व्हील क्लेडिंग

व्हील क्लेडिंग सड़क के शोर को बहुत हद तक कम करने का काम करता है. ये पहिए के ऊपर कार की बॉडी पर लगी एक प्लास्टिक की परत होती है. लेकिन कई कारों में ये भी नहीं दिया जाता है.

एक कार के बेस मॉडल और टॉप मॉडल के बीच में काफी अंतर होता है. क्योंकि टॉप मॉडल्स में काफी फीचर्स और सेफ्टी फीचर्स दिए जाते हैं. लेकिन कुछ फीचर्स ऐसे जरूर हैं, जो एक कार के सभी वेरिएंट्स में देने चाहिए. कई बार कुछ फीचर्स को कंपनियां लग्जरी के रूप में दिखाती हैं. जैसे कि हिल होल्ड असिस्ट. पुल पर तो बेस वेरिएंट और टॉप मॉडल वाले सभी लोग चढ़ते हैं, तो ये काम का फीचर सभी कारों में क्यों नहीं दिया जाता? पूछिए अपनी कार कंपनी से. 

वीडियो: सेहत: काले प्लास्टिक के डिब्बों में खाना क्यों नहीं पैक करना चाहिए?

Advertisement

Advertisement

()