क्या होता है ‘शुगरिंग’
इसके बारे में जानने के लिए हमने बात की डॉक्टर अप्रितम गोयल से. उन्होंने बताया-
‘भले ही इंटरनेट पर इसकी चर्चा अब हो रही हो. पर ये टेक्नीक बहुत पुरानी है. पर्शियन टेक्नीक है ये. कुछ वैक्सिंग की ही तरह. इसमें एक पेस्ट बनता है. पानी, नींबू का जूस, और शक्कर का. इस पेस्ट को पहले गर्म किया जाता है. फिर इन्हें थोड़ी देर के लिए ठंडा किया जाता है. इसके बाद इसे स्किन पर लगाया जाता है. वैक्सिंग की तरह ये बालों को जड़ से हटा देता है.’वैक्सिंग और ‘शुगरिंग’ में क्या फ़र्क है
दोनों में एक ही फ़र्क है.
वैक्सिंग में वैक्स उस दिशा में लगाया जाता है जिधर बालों की ग्रोथ होती है. फिर एक स्ट्रिप की मदद से बाल खींचे जाते हैं. बालों की ग्रोथ की उल्टी दिशा में. ‘शुगरिंग’ में उसका ठीक उल्टा होता है. पेस्ट को बालों की उल्टी दिशा में लगाया जाता है. फिर इसी दिशा में उसे खींचा भी जाता है. एक स्ट्रिप की मदद से. इससे चेहरे, अंडर आर्म्स, हाथ, पैर, और पीठ के बाल हटा सकते हैं.

इसके क्या फ़ायदे हैं
- शक्कर की वजह से स्किन के डेड सेल्स भी हट जाते हैं. स्किन काफ़ी स्मूथ हो जाती है.
- वैक्सिंग की ही तरह जब बाल वापस आते हैं तो वो सॉफ्ट और हल्के निकलते हैं.
- इसमें वैक्सिंग से कम दर्द होता है
‘शुगरिंग’ के क्या नुक्सान हैं
डॉक्टर अप्रितम गोयल बताती हैं-
‘सेंसिटिव स्किन वालों को इस टेक्नीक से दूर ही रहना चाहिए. अव्वल तो जो पेस्ट बनाया जाता है उससे स्किन के जलने का ख़तरा रहता है. वैक्सिंग से कहीं ज़्यादा. अगर ये पेस्ट गर्म होगा तो आपकी स्किन जल सकती है. दूसरी बात. इस पेस्ट को लगाने से पहले थोड़ा ठंडा किया जाता है. अगर पेस्ट ज़्यादा ठंडा हो जाएगा तो ये बेकार है. जिन लोगों की सेंसिटिव स्किन होती है, ‘शुगरिंग’ से उनकी स्किन पर लाल दाने निकल सकते हैं. साथ ही खुजली और रेडनेस भी रहती है. इसलिए मैं इसे ट्राई करने की सलाह नहीं दूंगी.’डॉक्टर ने तो रिकमेंड करने से मना कर दिया. अब आप खुद ही फ़ैसला करिए कि इंटरनेट पर तैरने वाली हर चीज़ आज़मानी चाहिए या नहीं.
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