राजकुमार हरियाणा की एक मिडल क्लास फैमिली से आते हैं. अपने बचपन की याद शेयर करते हुए वो बताते हैं-
''मैं बड़े साधारण परिवार से आता हूं. मेरी लाइफ में एक समय ऐसा भी था, जब मेरे पास अपनी स्कूल फीस देने भर के भी पैसे नहीं थे. दो साल तक मेरी फीस टीचर्स ने भरी. जब मैं मुंबई आया, तब हम एक छोटे से मकान में रहते थे. मैं अपने हिस्से का 7000 हज़ार रुपए किराया देता था, जो मेरे हिसाब से काफी ज़्यादा था. मुझे यहां रहने के लिए प्रति महीने 15 से 20000 हज़ार रुपए की ज़रूरत थी. तभी मेरे फोन पर मैसेज आता कि मेरे अकाउंट में सिर्फ 18 रुपए बचे हैं. और मेरे दोस्त के पास सिर्फ 23 रुपए. ये मेरे लिए काफी मुश्किल वक्त था.''

फिल्म 'मेड इन चाइना' के एक सीन में राजकुमार राव. राज इस फिल्म में एक आंत्रप्रेन्योर की भूमिका निभा रहे हैं.
मुंबई मौका देने से पहले सबको परखती है. ऊंच-नीच सबकुछ सिखाने के बाद अपना हिस्सा बनाती है. राजकुमार राव को भी मुंबई टेस्ट देना पड़ा. अपने हिस्से का संघर्ष उन्हें भी करना पड़ा. इन्हीं दिनों के बारे में बात करते हुए राज बताते हैं-
''मेरा एक दोस्त था- विनोद, जो खुद भी एक्टर था. हम बाइक से ऑडिशन देने जाते थे. मुझे प्रेजेंटेशन का प भी नहीं आता था. कैसा दिखना है? क्या पहनना है? इन चीज़ों के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी. बाइक से ट्रैवल करने के बाद हम धूल-मिट्टी से गंदे हो जाते थे. हम अपनी गाड़ी रोकते और गुलाब जल से एक-दूसरे का चेहरा साफ करते. ये करके हमें लगता कि हम काफी सही लग रहे हैं.''ये तो कुछ भी नहीं. राज बताते हैं कि उन्हें पैसे कि इतनी तंगी होती थी कि लोगों से पैसे उधार मांगने पड़ते थे. और जब उधार वाला ऑप्शन भी खत्म हो जाता है, तो वो अपने दोस्तों के घर जाकर उनका ही खाना शेयर कर लेते थे. राजकुमार राव की ये बातें मुंबई जाने का सपना देखने वाले उन लाखों लोगों के लिए एक लेसन है. मुंबई जाना मुश्किल नहीं है, अपना नाम बनाने के लिए वहां बने रह पाना मुश्किल है.
राजकुमार राव का लल्लनटॉप इंटरव्यू आप यहां देख सकते हैं: