आज के अखबार अगर आपने पढ़े होंगे, तो एक विज्ञापन की तरफ आपका ध्यान ज़रूर गया होगा. क्या था ये विज्ञापन और किसने छपवाया था? विज्ञापन था डिजिटल करेंसी का और इसे छपवाया था रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने. वही RBI, जो आपके-हमारे लिए नोट छापती है. अब सवाल ये कि RBI को विज्ञापन क्यों छपवाना पड़ा? वो इसलिए कि उसे नोट न छापने पड़ें. कन्फ्यूज़ हो गए क्या?
क्या होती है ये डिजिटल करेंसी? UPI और अकाउंट में पड़े पैसों से ये कितनी अलग है?
डिजिटल करेंसी का क्रिप्टो करेंसी से कोई लेना देना नहीं है. ये पूरी तरह वैध करेंसी है. नोट की ही तरह है, बस छूने को नहीं मिलेगी. देख सकते हैं.

दरअसल, RBI ने डिजिटल रुपए का विज्ञापन छपवाया था. इसका क्रिप्टो करेंसी से कोई लेना देना नहीं है. ये पूरी तरह वैध करेंसी है. नोट की ही तरह है, बस छूने को नहीं मिलेगी. देख सकते हैं. तो वो सब जो आप डिजिटल करेंसी के बारे में जानना चाहते हैं, अभी जान लीजिए.
डिजिटल रुपया क्या है?CBDC या डिजिटल रुपया भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से जारी किए जाने वाले करेंसी नोटों का ही डिजिटल स्वरूप है. ये करेंसी नोटों की तरह ही पूरी तरह वैध और मान्य है. जिसका इस्तेमाल सभी तरह के लेन-देन के लिए किया जा सकेगा. क्योंकि इसे RBI ने ही जारी किया है. RBI ने डिजिटल करेंसी को दो कैटेगरी में बांटा है. CBDC-W और CBDC-R. CBDC-W मतलब होलसेल करेंसी और CBDC-R मतलब रिटेल करेंसी.
थोड़ा सरल भाषा में समझने की कोशिश करते हैं. जैसे आप बैंक से पैसे निकालने जाते हैं, ये बिल्कुल वैसे ही रहेंगे. लेकिन अपके बटुए में नहीं. ई-वॉलेट में. ई-करेंसी निकालने से वैसे ही पैसे कटेंगे, जैसे बैंक और एटीएम से पैसे निकालने पर कटते हैं. ये आपके मोबाइल फोन, बैंक एकाउंट या डिजिटल वॉलेट में नकदी की तरह रहेगा और आप जब चाहें, तब इसका इस्तेमाल कर सकेंगे.
रिज़र्व बैंक (RBI) ने 1 दिसंबर, 2022 से रिटेल डिजिटल रुपए की शुरुआत की थी. शुरुआत में इसकी पायलट लांचिंग हुई. पायलट मतलब कि पहले कुछ गिने-चुने शहरों में इसकी लांचिंग हुई. इसके बाद इसका दायरा बढ़ा. शुरुआत में डिजिटल रुपया मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लांच हुआ. बाद में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला जैसे शहरों में भी डिजिटल रुपया लांच किया जा रहा है.
UPI और डिजिटल करेंसी में क्या अंतर?रिजर्व बैंक की इस डिजिटल करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) नाम दिया गया है. लेकिन डिजिटल रुपये का नाम सुनकर आपके दिमाग में ये सवाल आएगा कि हम पेटीएम (Paytm), गूगल-पे (Google Pay) और फोन-पे (Phone Pay) से क्या करते थे? दरअसल, इनमें अंतर है. आज के समय में हम किसी भी दुकान पर तमाम तरह के ई वॉलेट से यूपीआई का इस्तेमाल कर पेमेंट कर देते हैं लेकिन इसे डिजिटल करेंसी नहीं कहा जा सकता है. क्योंकि यूपीआई के जरिये ट्रांसफर किया गया पैसा फिजिकल करेंसी के जरिये ही चलता है. यानी यूपीआई पेमेंट डायरेक्ट बैंक अकाउंट टू बैंक अकाउंट होता है. लेकिन डिजिटल रुपया अपने आप में अंडरलाइंड पेमेंट होगा, जिसका इस्तेमाल करेंसी के बदले डिजीटल भुगतान के लिए किया जा सकेगा. यानी जैसे आप अपने बटुए से पैसा निकाल कर दे देते थे, अकाउंट का उससे कोई लेनादेना नहीं था. वैसे ही ई-वॉलेट से आप डिजिटल रुपये दे देंगे और बैंक अकाउंट का काम ही नहीं पड़ेगा.
डिजिटल रुपये का इस्तेमाल आप छोटी-बड़ी खरीदारी के लिए कर सकते हैं. इसका मतलब है कि आप दूध, सब्जी से लेकर दूसरी रोजमर्रा की खरीदारी के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. अनजान आदमी को जानकारी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आपकी प्राइवेसी बरकरार रहेगी. कैश लेकर चलने की जरूरत नहीं होगी. सरकार को यह फायदा होगा कि फिजिकल रुपये को छापने की लागत घटेगी. डिजिटल इकॉनमी की दिशा में सरकार का यह बड़ा कदम होगा. डिजिटल रुपए को बैंक मनी और कैश में आसानी से कनवर्ट कर सकेंगे. विदेशों में अपने दोस्त रिश्तेदारों को पैसे भेजने में आसानी होगी और खर्चा भी कम होगा. ई रुपया बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी काम करेगा.