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99 पर्सेंट के दौर में 60 पर्सेंट लाने वाले बच्चे की मां ने जो लिखा, उसे कोर्स में पढ़ाया जाना चाहिए

जिस दौर में 80 पर्सेंट वाले बच्चे ख़ुदकुशी कर लेते हैं, वहां ये पोस्ट राहत भरी है.

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वंदना कटोच को 10वीं पास करने वाले अपने बेटे पर गर्व है.
उस दौर में जब 10वीं और 12वी परीक्षा में टॉपर्स को 500 में से 500 नंबर मिल रहे हैं. टॉपर्स 100 प्रतिशत नंबर ला रहे हैं. 90 प्रतिशत से कम नंबर लाने वाले बच्चों की कोई बात नहीं करना चाहता. एक मां 60 प्रतिशत लाने वाले अपने बच्चे से खुश है. वह फेसबुक पर पोस्ट लिख इस पर गर्व कर रही है. जिस दिन सीबीएसई 10वीं के नतीजे घोषित हुए वंदना कटोच ने फेसबुक पर एक मैसेज पोस्ट किया. यह बेटे को बधाई देने के लिए था. जो कि मैथ्स, साइंस और हिन्दी सब्जेक्ट में कुछ समय पहले संघर्ष कर रहा था. लेकिन उसने परीक्षा में अच्छा किया. उन्होंने लिखा, मैं अपने बेटे के बताना चाहती हूं कि मम्मी को उस पर गर्व है. जनवरी में वह जहां था वहां से खुद को निकालने के लिए उसने संघर्ष किया. वंदना कोटच ने सोशल मीडिया के जरिए अपने बेटे को बताया कि ज्यादा नंबर एक व्यक्ति को या उसकी जिंदगी को नहीं बनाते हैं. जब से उन्होंने फेसबुक पर यह पोस्ट लिखा है. लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं.
वंदना कटोच ने फेसबुक पर लिखा,
मैं अपने बेटे पर काफी गर्व महसूस कर रही हूं. उसने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 60 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. ये 90 प्रतिशत मार्क्स नहीं हैं, लेकिन मेरी भावनाएं नहीं बदली है. मैंने अपने बेटे का संघर्ष देखा है. जहां वह कुछ विषयों को छोड़ने की स्थिति में था. इसके बाद उसने पढ़ाई को लेकर संघर्ष किया. बेटे आमेर, जैसे मछलियों से पेड़ों पर चढ़ने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन उसके ठीक उलट तुम अपने ही दायरे की भीतर ही एक बड़ी उपलब्धि हासिल करो. तुम मछली की तरह पेड़ पर तो नहीं चढ़ सकते, लेकिन वह बड़े समुद्र को अपना लक्ष्य बना सकते हो. मेरा प्यार तुम्हारे लिए. अपने भीतर सहज अच्छाई, जिज्ञासा और ज्ञान को हमेशा जीवित रखो.' और हां उसका अटपटा सेंस ऑफ ह्मयूमर भी.
vandna fb post

वंदना कटोच ने द हिन्दू को बताया, 'जब मेरे बेटे को स्कूल में नंबर मिलते थे तो उनमें प्राउड फील करने जैसा कुछ नहीं होता था. जब मैं बस स्टॉप पर बेटे को लेने जाती थी मैं उसे याद दिलाती थी कि उन पहाड़ों के बारे में जिसे उसने फतह किया था. हर किसी की यात्रा अलग है. कटोच ने अपनी यात्रा के दौरान देखा कि कैसी उनकी साथ वाली महिलाओं के बच्चे जो कभी फेल हो गए थे सफल फोटोग्राफर बन गए. पढ़ाई में अच्छा नहीं करने के बाद भी वह जीवन के अन्य क्षेत्र में सफल रहे.
वंदना कटोच का कहना है कि,'अक्सर ऐसा होता है कि जो बच्चे एग्जाम के दौरान अच्छे नंबर नहीं लाते उनके माता पिता बैकफुट पर होते हैं. और उसके बारे में बातचीत नहीं करते. क्योंकि उन लोगों को लगता है कि यह उनकी गलती है और कोई पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहता. उन्हें लगता है कि मैंने बेटे के साथ मेहनत नहीं की.
अपनी फैमिली के साथ वंदना कटोच (फोटो-फेसबुक से)
अपनी फैमिली के साथ वंदना कटोच (फोटो-फेसबुक से)

इस मामले में आमेर का स्कूल वसंत वैली स्कूल (दिल्ली) भी सपोटिव है. कटोच को लगता है कि हमारा सिस्टम उन बच्चों के लिए नहीं बना है जो किसी पार्टिकुलर वे में पढ़ाई करना चाहते हैं. बोर्ड को इस मामले में काम करने की जरूरत है. जिससे सिस्टमैटिक चेंज लाया जा सके. आमेर ने 11वीं में सब्जेक्ट का चुनाव कर लिया है. वह उन विषयों की पढ़ाई करेगा जिसमें उसे खुशी मिलती है. सॉसियोलॉजी, साइकोलॉजी, हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस और अंग्रेजी.


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