इस गाने को लिखा था 13वीं सदी के मशहूर सूफी संत अमीर खुसरो ने. अपने मुर्शिद निज़ामु्द्दीन औलिया के लिए. म्यूज़िक डायरेक्टर और सोना के पति राम संपथ ने इसे नए संगीत से सजाकर हमारे सामने रखा है. इस वीडियो की एक और खास बात है. जो लुक्स सोना का इस वीडियो में दिखाई दे रहा है, उसे फेसबुक पर मौजूद जनता के साथ इंटरैक्ट करके चुना गया है.
अब इस गाने के वीडियो पर बवाल हो गया है. किसी सूफी संगठन ने सोना के इस वीडियो को अश्लील बताते हुए सूफी सभ्यता की बेइज़्जती करने का आरोप लगाया है. हमने सबसे पहले आपको ये वीडियो इसीलिए दिखाया है ताकि आप खुद तय कर सकें कि इसमें ऑफेंड होने लायक क्या है. सोना ने धमकी वाली बात की जानकारी मुंबई पुलिस को टैग करते हुए ट्विटर पर दी. उन्होंने कहा कि कोई मदारिया सूफी फाउंडेशन है, जो उनके सेंसर बोर्ड द्वारा पास किए गए वीडियो को 'वल्गर' बता रहा है. साथ ही इस वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म से हटाने की भी मांग की है क्योंकि ये सूफी गाने के पैमाने पर खरा नहीं उतरता है.
सोना ने मुंबई पुलिस को टैग करते हुए एक के बाद एक पांच ट्वीट किए और पूरे मामले की जानकारी उन्हें दी. यहां देखिए सोना महापात्रा के किए वो ट्वीट्स:

(प्रिय मुंबई पुलिस मुझे मदारिया सूफी फाउंडेशन की ओर से धमकी भरे नोटिस में मेरे गाने 'तोरी सूरत' के वीडियो को सभी मीडिया प्लैटफॉर्म से हटाने को कहा गया है. उनका मानना है कि ये वीडियो अश्लील है और इससे सांप्रदायिक मामलों को हवा मिलेगी. मुझे जानना है कि इस बारे में मैं किससे बात कर सकती हूं.)

(सूफी मदारिया फाउंडेशन के लोग मुझे नियमित गलतियां करने वाला करार दिया है. उन्होंने कहा कि मेरा पांच साल पुराना एक और वीडियो है, जिसमें मैं 'पिया से नैना' नाम का एक सूफियाना कलाम गा रही हूं. कोक स्टूडियो में गाए इस गाने में भी इस्लाम की नाफरमानी की गई है क्योंकि इसमें पश्चिमी संगीत के इस्तेमाल के साथ मैंने अपना अंग प्रदर्शन किया है.)

(मदारिया फाउंडेशन को 'तोरी सूरत' के वीडियो डिस्क्रिप्शन से भी दिक्कत है. जिसमें लिखा हुआ है कि 'सोना धरती पर औरत के रूप में अलग-अलग संस्कृतियों में दिख रही हैं. स्लीवलेस कपड़े पहने साथी डांसरों के साथ अंग प्रदर्शन करते हुए.')

(मुझे लिखे नोटिस में सूफी फाउंडेशन खुद को सूफीज़्म, शांति और भाईचारे के लिए काम करने वाले बताते हैं. मैं भारत से पूछना चाहती हूं 'बहनचारा' के लिए क्या? ऐसा क्यों है कि महिलाओं से आज के समय और ज़माने में भी खुद को ढंककर रखने की उम्मीद की जाती है, लोगों के बीच नाचने-गाने की मनाही है.)

(मैंने मदारिया सूफी फाउंडेशन का धमकीभरा ईमेल नोटिस, जिसमें मुझसे वो वीडियो हटाने की बात कही गई है, वो मैं आपके ऑफिशियल मेल पर फॉर्वर्ड करना चाहती हूं.)
इतने हो-हल्ले के बाद मशहूर लेखक जावेद अख्तर ने कड़े शब्दों में उस संस्था को डांटते हुए कहा, 'अमीर खुसरो के गीत पर सोना महापात्रा द्वारा बनाए गए गाने पर आपत्ति ज़ाहिर करने वाले संस्थान की मैं कड़ी शब्दों में निंदा करता हूं. इन मुल्लों को ये पता होना चाहिए कि अमीर खुसरो किसी की जागीर नहीं हैं. वो हम सबके, पूरे भारत के हैं.'

देखिए जावेद अख्तर का वो ट्वीट.
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